चतरा में कालीचरण के मुकाबले केएन त्रिपाठी, क्या खत्म होने वाला है कांग्रेस का 40 वर्षों का सूखा

यदि वह राजपूत जाति के बीच पसरी नाराजगी में अपनी राह बनाते हैं, और उस नाराजगी के साथ पिछड़ी जातियों की गोलबंदी करने में कामयाब होते हैं, तो स्थितियां बदल भी सकती है, लेकिन यदि पिछड़ी जातियों की ओर से किसी मजबूत चेहरे ने निर्दलीय के रुप में ताल ठोक दिया और एक गोलबंदी तैयार हो गयी तो इसका नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.

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