Ranchi- 2024 जंग को भूलकर पूरा देश अभी पांच राज्यों के विधान सभा के नतीजों पर अपनी नजर जमाये है. हर बनते बिगड़ते समीकरण को समझने की कोशिश की जा रही है. इस बीच झारखंड की सियासत में उलटफेर करने का दंभ भरने वाले टाईगर जयराम 2024 के लिए अपने सियासी पहलवानों की खोज करने की कवायद में जुटे हुए हैं.
अपने सामाजिक समीकरण के हिसाब से चेहरों की तलाश में जयराम
माना जा रहा है कि टाईगर जयराम की कोशिश उन चेहरों की तलाश की है, जिसे 2024 के चुनावी दंगल में झोंका जा सके, हार जीत तो अपनी जगह, लेकिन उनकी इस कोशिश से झारखंड की सियासत में ताजी हवा का एक झोंका जरुर आ सके. एक बड़ी खबर यह भी है कि जयराम की कोशिश अपने चेहरे को किसी खास जाति और समुदाय के बीच बांधने की नहीं है, उनके रणनीतिकारों की कोशिश जयराम के चेहरे को हर आदिवासी-मूलवासी का चेहरा बनाने की है, और यही कारण है कि लोकसभा चुनाव के लिए पहलवानों की खोज में हर जाति वर्ग से चेहरों की तलाश जा रही है, ताकि अन्य पार्टियों की तरह ही जयराम की पार्टी पर किसी खास जाति की पार्टी होने का तोहमत नहीं लगाया जा सके. जयराम की पार्टी यानि खांटी आदिवासी-मूलवासियों की पार्टी, लेकिन इस आदिवासी और मूलवासी पहचान के साथ ही यह अनुंगूज भी सामने नहीं आये कि जयराम झारखंड में बाहरी लोगों के लिए कोई खतरा हैं. उनकी मांग महज आदिवासी मूलवासियों को उनका न्यायोचित हक दिलवाने की है. ताकि उनका जनप्रतिनिधि उनका ही बेटा भाई बन सके, संसद से लेकर विधान सभा में आदिवासी-मूलवासी चेहरों को ही प्रतिनिधित्व मिल सके. यहां की सरकारी नौकरियों में आदिवासी मूलवासियों का ही नियोजन हो सके.
तार्किक युवा और वक्ताओं की खोज जारी
दावा किया जा रहा है कि जयराम की नजर अभी फिलहाल गिरिडीह, कोडरमा और हजारीबाग लोकसभा सीटों पर है, हालांकि वह रांची और जमशेदपुर से भी वह अपना प्रत्याशी उतराने का इरादा रखते हैं. खबर है कि अन्दर खाने संभावित प्रत्याशियों का चयन किया जा रहा है, लोगों से राय ली जा रही है, वैसे पढ़े लिखे और तार्किक वक्ता और युवाओं की खोज की जा रही है, जो विषम परिस्थिति में भी जयराम के साथ खड़े रह सकें, जो जीत के बाद किसी प्रलोभन का शिकार हो कर पार्टी को अलविदा ना कह दें.
हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र में बढ़ चुकी है संजय मेहता की सियासी सक्रियता
लेकिन इन तमाम कवायद के बीच टाईगर जयराम की सेना का एक महत्वपूर्ण योद्धा संजय महतो लगातार हजारीबाग में जनसंवाद करते हुए देखे जा रहे हैं, जिसके बाद माना जा रहा है कि 2024 की लड़ाई में हजारीबाग में जयराम का चेहरा संजय मेहता ही होंगे. यहां बता दें कि एक पीआर कंपनी चलाने वाले संजय मेहता काफी लम्बे अर्स से टाईगर जयराम के साथ जुड़े हैं, माना जाता है कि जयराम के लिए जिस प्रकार से सभाओं और रैलियों का आयोजन किया जाता है उसके पीछे संजय मेहता की कल्पना और दिमाग है.
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अपनी उम्मीदवारी पर बोलने से बचते नजर आ रहे हैं संजय मेहता
हालांकि इस मसले पर अभी खुद संजय मेहता भी काफी खुल कर बोलने से बचते नजर आते हैं. उनका मानना है कि सही समय और सभी सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखकर ही पार्टी अपने उम्मीवारों की घोषणा करेगी. लेकिन हजारीबाग में उनकी बढ़ती सक्रियता और जनसंवाद का कार्यक्रम इस बात का साफ इशारा है कि इस बार संजय मेहता स्थापित राजनेताओं के सामने एक चुनौती पेश करने वाले हैं. अपनी उम्मीदवार पर संजय मेहता भले ही चुप्पी साध लें, लेकिन इतना जरुर बोलते हैं कि यदि पार्टी इस संसदीय सीट से अपना उम्मीवार उतारती है, भले ही वह चेहरा कोई भी हो, इतना तय है कि हम काफी मजबूत टक्कर देने जा रहे हैं. चेहरा कौन होगा, यह कोई सवाल नहीं है. क्योंकि लोकसभा क्षेत्र कोई भी हो, चेहरा सिर्फ जयराम होंगे. हम तो सिर्फ उनकी आवाज को कोने कोने तक पहुंचाने का एक माध्यम भर होंगे, यही हमारी उपयोगिता और यही हमारी प्रासंगिकता है.
बाहरी भीतरी के नारे के साथ झारखंड की सियासत में जयराम की इंट्री
यहां बता दें कि जिस बाहरी भीतरी के नारे के साथ जयराम झारखंड की सियासत में अपनी इंट्री करने जा रहे हैं, उसकी अनुंगूज आज हर तरफ सुनाई पड़ रही है, जयराम का तो दावा है कि जिस प्रकार भाजपा में अमर बाऊरी और जेपी पटेल को आगे लाया गया, वह उनके आन्दोलन का ही नतीजा है. टाईगर जयराम के इस नारे को झारखंड के गली-कुचियों में अपार लोकप्रियता मिल रही है. हजारों हजार की भीड़ मंत्रमुग्ध होकर सुन रही है. हालांकि विरोधी टाईगर को सियासी अखाड़े का नौसिखुआ पहलवान मान कर अनदेखी करने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जयराम की सभाओं में जो अप्रत्याशित और स्वाभाविक भीड़ जुट रही है, वह इस बात की तस्दीक कर रही है, कि राजनीति का यह चमकता सितारा आने वाले दिनों में सियासी अखाड़ें के महारथियों को गंभीर चुनौती पेश करने वाला है. हालांकि इस बाहरी-भीतरी के नारे से नुकसान किसका होता है, और अंतिम लाभ किसको मिलता है, यह एक अलग चर्चा का विषय है, लेकिन इतना साफ है कि झारखंड की सियासत के वह चेहरे जो यूपी, बिहार और राजस्थान से आकर अपनी राजनीति दुकान सजाते रहे हैं, अब उनकी दुकान की चमक फिकी पड़ने वाली है, और यह सियासी पहलवान हर दल में मौजूद हैं. और जयराम इन नामों को अपने सार्वजनिक सभाओं में जोर शोर से उछाल रहे हैं. वह या तो हजारीबाग सांसद जयंत सिन्हा हों या धनबाद सांसद पीएन सिंह, चतरा सांसद सुनील कुमार सिंह या गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे, बरही विधायक अकेला यादव, कांके विधायक समरी लाल आज सभी उनके निशाने पर है.
क्या कहता है सामाजिक समीकरण
ध्यान रहे कि हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र में सबसे अधिक मतदाता मुस्लिम समुदाय का-3.70 लाख, कुशवाहा- 4.42 लाख, कुर्मी-2 लाख, ईशाई 70 हजार, वैश्य 2 लाख, जबकि आदिवासी और दूसरे जातियों की आबादी करीबन 1.5 लाख बतायी जाती है. यदि इन आंकड़ों पर गौर करें तो संजय मेहता इंडिया गठबंधन के साथ ही एनडीए खेमा के लिए भी एक गंभीर चुनौती बन सकते हैं, हालांकि हार जीत की बात अपनी जगह है, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि वह बहुत हद तक इस मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में सफल हो सकते हैं.
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