रांची(Ranchi) झारखंड के बाद पूर्व राज्यपाल रमेश बैस को महाराष्ट्र का गवर्नर बनाया गया है, उनके स्थान पर राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन झारखंड की कमान संभाल चुके हैं. इस बीच अपने बयानों से चर्चा में रहने वाले रमेश बैस इस बार एक लैपटॉप और मैकबुक की वजह से चर्चा में आ गये हैं.
छह माह पहले सरकारी पैसे से छह लाख में हुई थी खरीद
दरअसल दावा किया जा रहा है कि झारखंड छोड़ते वक्त रमेश वैस जाने अनजाने झारखंड राजभवन का एपल का लैपटॉप और मैकबुक भी साथ लेते गयें, करीबन छह माह पहले ही सरकारी पैसे से इसकी खरीद गई थी. इस पर करीबन छह लाख रुपये खर्च हुए थे. जब अपना कार्यभार संभालने के बाद नव नियुक्त राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के द्वारा इसकी खोज शुरु हुई तो जानकारी मिली की वह लैपटॉप और मैकबुक को रमेश बैस के साथ चला गया. इसके बाद इसके वापस लाने की पहल शुरु हुई. पत्राचार किया गया, लेकिन अब तक उसका कोई जवाब नहीं आया.
सीपी राधाकृष्णन की कार्यशैली बिल्कूल अलग
ध्यान रहे कि रमेश बैस के विपरीत सीपी राधाकृष्णन की कार्यशैली बिल्कूल अलग है. सीपी राधाकृष्णन का जीवन बेहद सादगीपूर्ण और मितव्ययी है, अपने और अपने परिवार के लिए एक भी सरकारी पैसा का उपयोग इनको जरा भी गंवारा नहीं है. इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि तमिलनाडू से इनका कोई भी परिजन झारखंड पहुंचता है, तब उसे रिसीव करने गाड़ियों का काफिला नहीं जाता, बस आम आदमी की तरह एक गाड़ी जाती है, वह गाड़ी भी उनकी पर्सनल गाड़ी होती है. साथ ही आने जाने का खर्च भी खुद की जेब से वहन किया जाता है. कहीं कोई दिखावा नहीं, राज्यपाल होने का ठसक नहीं.
राजभवन के खर्चे में एकबारगी 75 फीसदी की कटौती
शायद यही कारण है कि सीपी राधाकृष्णन के आते ही राजभवन के खर्चे में एकबारगी 75 फीसदी की कटौती हो गयी है. शायद आपको जानकर हैरत हो कि जिस मोबाइल का प्रयोग महामहिम के द्वारा किया जाता है, उसका बिल भी वह स्वयं वहन करते हैं. पूजा पाठ से लेकर बाजार की खरीददारी सब कुछ अपने पैसे से, और अपने वाहन से. परिवार के किसी भी सदस्य को सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल की इजाजत नहीं हैं.
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