रांची(RANCHI): झारखंड खनिज संपदाओं से भरा प्रदेश है. देश में सबसे अमीर राज्य में गिनती इस राज्य की होती है. सूबे में हर तरफ हरियाली पहाड़ लोगों को अपनी ओर खिचती है. लेकिन इस जंगल और पहाड़ के साथ साथ ग्रामीण इलाके के विकास पर ही नौकरशाह,रसुखदार और राजनेताओं की नजर पड़ गई. जिसके बाद विकास के नाम पर लूट शुरू हो गई. लूट भी इतनी बड़ी की आकड़े देख कर सब की आंखे फटी की फटी रह जाएगी. पैसे के पहाड़ को देख कर सवाल उठता है कि इन्हे तो जनता ने गरीबी दूर करने के लिए चुना था. लेकिन ये तो उन गरीबों के पैसे से खुद का विकास कर रहे है. इन घोटालों का खुलासा ईडी ने किया है.
सूबे में अवैध खनन घोटाले की जांच शुरू हुई तो इसकी लपेटे में दर्जनों लोग आए. तत्कालीन मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि से लेकर सीनियर आईएएस अधिकारी सलाखों के पीछे चले गए.जिस झारखंड में जल जंगल जमीन की बात होती है. उसी झारखंड के पहाड़ों को काट कर बेच दिया गया.ईडी ने जांच शुरू किया उसके बाद छापेमारी हुई. जिसमें करोड़ों नगद बरामद हुए अरबों की प्रॉपर्टी की जानकारी मिली.बाद में तत्कालीन खनन सचिव पूजा सिंघल से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा के साथ दर्जनों माफिया और रसुखदार सलाखों के पीछे जा पहुंचे.इस पूर्व घोटाले पर ईडी ने बताया कि 1250 करोड़ रुपये के अवैध खनन की गई है.
इसके बाद सूबे में जमीन घोटाले का खेल शुरू हुआ. किसी ने आदिवासी हॉस्टल की जमीन पर आलीशान मॉल बना लिया तो किसी ने भुईहरी जमीन पर कब्जा कर लिया. यहाँ तक की सेना की जमीन को भी फर्जी तरीके से बेच दिया गया. जिसके बाद ईडी ने जांच शुरू किया. एक एक कर पूछताछ हुई जिसके बाद करोड़ों की जमीन घोटाले का खुलासा हुआ. इसमें हेमंत सोरेन की कुर्सी गई और बाद में जेल पहुँच गए. इसके अलावा आईएएस अधिकारी छवि रंजन समेत दर्जनों जमीन दलाल और रसुखदारों पर गाज गिरी.फिलहाल अभी जमीन घोटाले की जांच जारी है,हर दिन इस मामले में पूछताछ का सिलसिला जारी है. इस बीच अब ग्रामीण विकास विभाग में खेल का भी खुलासा हो गया है.
ग्रामीण विकास विभाग में खेले जा रहे टेंडर कमीशन का छोर ईडी को दो साल पहले मिला था. जिसके बाद ग्रामीण विकास विभाग के मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम के ठिकानों पर ईडी ने दबिश बनाया था.इस छापेमारी में दस्तावेज,बंगला और गाड़ियों का जखीरा मिला था. बाद में चीफ इंजीनियर की गिरफ़्तारी हो गई. फिर पूछताछ का दौर चला बाद में जेल भेज दिए गए. वीरेंद्र राम से पूछताछ में निकली कड़ी को जोड़ने के लिए आगे ईडी ने कार्रवाई शुरू किया.आखिर में मंत्री आलमगीर आलम के निजी सहायक और सहायक का नौकर जहांगीर के ठिकानों पर दबिश बनाया. जिसमें 35 करोड़ से अधिक नगद बरामद हुए. बाद में दोनों की गिरफ़्तारी हुई. फिर पूछताछ का सिलसिला शुरू हुआ. इसमें नाम मंत्री आलमगीर का जुड़ गया. जिन्हे समन भेज कर पूछताछ के लिए तलब किया गया.
लंबी पूछताछ के बाद मंत्री आलमगीर के जवाब से ईडी के अधिकारी संतुष्ट नहीं हुए. आखिर 19 घंटे बाद उन्हे गिरफ्तार कर लिया गया. अब रिमांड पर लेकर पूछताछ जारी है. जिसमें मंत्री की डायरी ने भी कई राज खोला है. जिसके बाद ईडी ने ग्रामीण विकास विभाग के पूर्व सचिव मनीष रंजन को समन जारी किया है. लेकिन इन सब के बीच ईडी की ओर से कोर्ट में बताया गया कि झारखंड में ग्रामीण विकास विभाग में तीन हजार करोड़ का घोटाला हुआ है. जिसमें कई अधिकारी भी मिले हुए है.
इन घोटालों को देख कर ऐसा लगता है कि झारखंड में आदिवासी मूलवासी के उत्थान से ज्यादा लूटने की योजना तैयार की जाती है. जमीन को कब्जा किया गया,जंगल पहाड़ को बेच दिया गया. बचा गाँव का विकास तो उसपर भी गिद्ध की तरह नजर गड़ा कर लूटने का काम किया गया. इस जांच में अभी और भी खुलासे होना बाकी है. कई रसुखदार नौकरशाह और नेता सलाखों के पीछे जा सकते है.
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