रांची(RANCHI)- लम्बे समय से असाध्य बीमारी से जुझ रहे न्यायमूर्ति कैलाश प्रसाद देव का आज निधन हो गया, उनकी असमायिक मृत्यु पर अधिवक्ताओं में शोक की लहर है. हाईकोर्ट सहित राज्य की सभी निचली अदालतों में अवकाश घोषित किया गया है. न्यायमूर्ति कैलाश प्रसाद देव लम्बे अर्से से झारखंड में प्रैक्टिस करते रहे थें और अपने साथी अधिवक्ताओं के बीच से ही न्यायमूर्ति के पद पर पहुंचे थें.
झारखंड हाईकोर्ट में अवकाश घोषित किये जाने के कारण आज सीएम हेमंत भी ईडी समन के खिलाफ अपनी याचिका को दायर नहीं कर पायेंगे. यहां बता दें कि ईडी समन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे सीएम हेमंत को कोर्ट ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करने का निर्देश दिया था, माना जा रहा था कि वह आज अपनी याचिका को दायर कर सकते हैं, लेकिन न्यायमूर्ति कैलाश प्रसाद देव की असामयिक मृत्यु के बाद आज याचिका दायर करना असंभव हो गया है. इस प्रकार अब कल याचिका दायर कर ईडी समन के खिलाफ राहत की मांग की जा सकती है.
ध्यान रहे कि ईडी समन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे सीएम हेमंत ने पीएमएलए-2002 की धारा 50 और 63 की वैधता को चुनौती देते हुए कहा था कि इस धारा के कारण किसी को भी पूछताछ के दौरान गिरफ्तारी का भय बना रहता है.
ध्यान रहे कि कथित जमीन घोटला मामले में ईडी ने सीएम हेमंत को 14 अगस्त को अपने कार्यालय में उपस्थित होने का निर्देश दिया था, समन जारी होने के बाद सीएम हेमंत ने ईडी को एक पत्र भेजकर यह सवाल खड़ा किया था कि क्या किसी भी राज्य के मुखिया को 14 अगस्त को पूछताछ के लिए बुलावा भेजना उसे अपमानित करने की साजिश नहीं है? हर किसी को पत्ता है कि 15 अगस्त और 15 अगस्त के पहले किसी भी सीएम की कितनी व्यस्तता होती है, बावजूद इसके जानबूझ 14 अगस्त की तिथि को निर्धारित करना, इस बात का प्रमाण है कि अपने राजनीतिक आका के दवाब में ईडी एक निर्वाचित सरकार के मुखिया को बदनाम करने की साजिश रच रही है, ताकि इस मामले को स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर मीडिया का हेडलाईन बनाया जा सके. इसके साथ ही सीएम हेमंत ने ईडी को अपना समन वापस लेने या कानूनी कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहने को कहा
हालांकि उसके बाद एक बार फिर से 24 अगस्त को ईडी कार्यालय में उपस्थित होने का निर्देश दिया गया, लेकिन सीएम हेमंत उस दिन भी ईडी कार्यालय नहीं पहुंचे और ईडी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गयें, इधर मामला कोर्ट में रहने के बावजूद ईडी ने सीएम हेमंत के नाम 9 सितम्बर को तीसरा समन भेजा दिया, लेकिन सीएम हेमंत उस दिन भी ईडी कार्यालय नहीं पहुंचे. साफ है कि सीएम हेमंत इस मामले का समाधान सुप्रीम कोर्ट में चाहते थें, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट में याचिका लगाने के निर्देश के बाद सीएम हेमंत ने अपना याचिका को वापस ले लिया था.
पीएमएलए-2002 की धारा 50 और 63 की वैधता की चुनौती दे चुके हैं सीएम हेमंत
यहां बता दें कि सीएम हेमंत ने अपनी याचिका में पीएमएलए-2002 की धारा 50 और 63 की वैधता को चुनौती दी है, उन्होंने कहा कि पीएमएलए की धारा 19 के तहत जांच एजेंसी को धारा 50 के तहत बयान दर्ज करने के दौरान ही किसी को गिरफ्तार करने का अधिकार है. जबकि आईपीसी के तहत किसी भी जांच एजेंसी के समक्ष दिया गया बयान का कोर्ट में कोई मान्यता नहीं है, इस विरोधाभास को दूर करने की जरुरत है. उन्होंने ने इस मामले में ईडी के साथ ही न्याय एवं कानून मंत्रालय को भी प्रतिवादी बनाया है. हालांकि इस बीच खुद ईडी भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुकी है, और उसके द्वारा किसी भी नतीजे पर पहुंचने के पहले ईडी का पक्ष सुनने की गुहार लगायी गयी है. यहां यह बता दें कि यह मामला कार्ति पी चिदंबरम बनाम ईडी पर आधारित है, और वह मामला भी अभी कोर्ट में पेंडिंग है.
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