Ranchi-शांति और भाईचारा की पहचान रखने वाले झारखंड में खनन कंपनियों से उगाही को लेकर गैंगवार कोई नयी बात नहीं है. विशेष रुप से कोयला नगरी धनबाद में गैंगस्टरों की भिड़त और खून-खराबे की लम्बी परंपरा रही है. और इसके साथ ही सियासत में दखलअंदाजी के उनके किस्से भी पुराने हैं. कई गैंगस्टर तो अपनी रणनीति और सुरक्षा कारणों से जेल में ही रहना कुछ ज्यादा पसंद करते हैं, तो कईयों ने सफेद सियासी लिबास पहन लिया है, हालांकि दोनों का काम एक ही हैं, लेकिन बदनामी की टोपी इन खुले गैंगस्टरों पर कुछ ज्यादा ही आती है.
दावा किया जाता है कि बदनामी का सेहरा ओढ़े ये गैंगस्टर अपनी काली कमाई के इकलौते मालिक नहीं होते, इनकी अकूत कमाई का एक बड़ा हिस्सा उपर तक पहुंचता है, हालांकि अब तक इस बात को कोई जान-समझ नहीं पाया कि यह उपर कहां तक जाता है, लेकिन जिस प्रकार ये पूरी सत्ता को चुनौती देते हुए अपना कारवां बढ़ाते रहते हैं, और प्रशासन और पूरा पुलिस महकमा इनके सामने विवश नजर आता है, उससे इन दावों में कुछ सत्यता तो निश्चित रुप से प्रतीत होती है. नहीं तो यह कैसे संभव है कि जेल में बंद रहकर अमन के ये कुख्यात दुश्मन अपनी उगाही की दुकान को बेरोकटोक अंजाम तक पहुंचाते रहें.
आंतक और खौफ का दूसरा नाम अमन
लेकिन हम यहां बात झारखंडी अमन के तीन वैसे दुश्मनों की बात कर रहे हैं, जिनकी नाम की शुरुआत तो अमन से होती है, लेकिन उनके कारनामें आंतक और खौफ का दूसरा नाम है. जिसके एक कॉल से अच्छे अच्छे जांबाजो को पसीना छुट्ट जाता है, ये वे अमन हैं तो बहुत मजे से जेल में रहकर भी हर दिन लाखों की उगाही करते हैं, जिसका एक फोन किसी व्यापारी के पास गया की नहीं, उसके गुर्दों तक रुपये की भरी थैली पहुंच जाती है. और जिसने इंकार करने की जहमत उठायी, उसका अंजाम क्या होता है, शायद उसकी चर्चा करने की कोई विशेष जरुरत नहीं है.
एक बाईक चोर ने अमन सिंह जैसे गैंगस्टर को गोलियों से छलनी किया!
जी हां, हम बात कर रहे हैं अमन सिंह, अमन साव और अमन श्रीवास्तव की. कल यानी रविवार को अमन सिंह की धनबाद जेल में ही गोलियों से छलनी कर दिया गया. और दावा किया जाता है कि जिस अपराधी ने इस घटना को अंजाम दिया, वह दरअसल एक पेशेवर बाइक चोर है. हालांकि बाइक चोरी का सिद्धहस्त एक सामान्य सा अपराधी में किसी गैंगस्टर का सामना करने की हिम्मत भी होगी, यह एक बड़ा सवाल है. क्योंकि अमन सिंह झारखंड में अपराध जगत का नया खिलाड़ी भले ही हो, लेकिन अपराध की दुनिया का वह बेताज बादशाह था, एक बाइक चोरी करने वाला शख्स उसकी हत्या क्यों करेगा, यह अपने आप में एक गंभीर सवाल है. जिसका जवाब प्रशासन और जांच अधिकारियों को तलाशना होगा
गुजरात से लेकर बंगाल तक चलता का जलबा
यहां याद रहे कि अमन सिंह पर गुजरात से लेकर बंगाल तक हत्या, लूट और उगाही के मामले दर्ज है, उस पर कई नेताओं की हत्या में शामिल होने का भी आरोप था. मूल रुप से उत्तर प्रदेश का रहने वाला अमन सिंह की पहचान एक पेशेवर शूटर की थी, झारखंड में अपराध की दुनिया में उसका सबसे पहले नाम धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह हत्याकांड के बाद आया था, तब दावा किया गया था कि अमन सिंह ने संजीव सिंह के साथ मिलकर इस हत्याकांड को अंजाम दिया था. दावा यह भी किया जाता है कि अमन सिंह का सीधा सम्पर्क यूपी के कुख्यात गैगस्टर मुन्ना बंजरगी के साथ था. और उसी के कहने पर उसने 2015 में आजमगढ़ के सुप्रसिद्ध चिकित्सक सरोज को गोली मारी थी. इस मामले में जेल से बाहर आने के बाद नीरज सिंह को अपना अगला निशाना बनाया. और इसके साथ ही झारखंड में उसकी तूती बोलनी लगी. वह जेल में अमन शांति के साथ रहकर लाखों रुपये की हर दिन वसूली करता था. कल उसके साथ क्या अंजाम हुआ, वह सब कुछ आपके सामने है.
अमन साहू झारखंड में आंतक का दूसरा नाम
अमन सिंह के साथ ही एक दूसरा अमन भी झारखंड में अमन का सबसे बड़ा दुश्मन बन कर खडा है. उसका नाम है बुढ़मू के अमन साव, अमन साव का बड़कागांव, पतरातू, रामगढ़, टंडवा, पिपरवार, मांडू, रजरप्पा, लातेहार और खलारी इलाके में तूती बोलती है. इसका काम भी कोयले के व्यापार में संलग्न व्यावसायियों से उगाही की है. इस समय पर वह चाईबासा जेल में बंद है. इसके पहले वह पलामू जेल में बंद था, लेकिन दावा किया जाता है कि पलामू जेल में रहकर भी हर दिन लाखों की वसूली और लगातार आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहा था, जिसके बाद उस चाईबास जेल में स्थानांतरित कर दिया गया. लेकिन कुछ ही दिन बीते की उसे एकबार फिर से पलामू जेल ले लाया गया. लेकिन एक जेल से दूसरे जेल की यात्रा करवाने से क्या उसके आपराधिक वारदातों पर कोई लगाम लगा, इसका कोई साफ जवाब किसी के पास नहीं है. दावा तो यह किया जाता है कि बार बार जेल बदलने से अपराध की दुनिया में अपराधियों को एक विशेष नजर से देखा जाने लगता है, उसका रुतबा बढ़ता है और इसके साथ ही उसी अनुपात में उसकी कमाई में भी इजाफा होता है.
अमन श्रीवास्तव जिसे विरासत में मिली थी अपराधी की दुनिया
लेकिन अमन के इन दुश्मनों की यह कहानी यहीं खत्म नहीं होती, एक तीसरा नाम भी झारखंड के अपराध जगत में सुर्खियां बटोर रहा है, वह नाम है अमन श्रीवास्तव का. झारखंड में खौफ का नाम अमन श्रीवास्तव को झारखंड पुलिस ने महाराष्ट्र् एटीएस के सहयोग से 16 मई को वाशी रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया था, जिसके बाद वह बिरसा मुंडा केन्द्रीय कारागार में बंद है. दावा किया जाता है कि 32 वर्षीय अमन बचपन से ही क्लास्ट्रोफोबिया से पीड़ित है, यानी उसे बंद स्थान में डर लगता है, यही कारण है कि जेल प्रशासन के द्वारा अभी उसका मनौवैज्ञानिक इलाज करवाया जा रहा है. यहां यह भी बता दें कि अमन श्रीवास्तव को अपराध की यह दुनिया विरासत और पारिवारिक मजबूरियों में मिली है.
कौन है अमन श्रीवास्तव
दरअसल अमन श्रीवास्तव कुख्यात गैंगस्टर सुनील श्रीवास्तव का बेटा है. सुनील श्रीवास्तव का मूल रुप से चतरा जिले के कुपा गांव का रहने वाला था, रांची विश्वविद्यालय से उसकी स्नातक की पढ़ाई हुई थी, और इसी छात्र जीवन में उसकी मुलाकात मीना नाम की एक युवती से हुई, जिसे वह अपनी जीवन संगिनी बनाता चाहता था, लेकिन परिवार को यह रिश्ता मंजूर नहीं था. लेकिन इस विरोध के बावजूद सुनील ने मीना के साथ अपनी जिंदगी की शुरुआत कर दी और धीरे धीरे कोयले काली दुनिया में उतरता चला गया, प्यार से लोग से बाबा के नाम से पुकारने लगे थें, दावा किया जाता है कि बिहार झारखंड के बड़े बड़े राजनेताओं के साथ उसका सम्पर्क था. लेकिन दो जून 2016 को हजारीबाग में कोर्ट में ही उसे गोलियों से भून दिया गया, जिसके बाद गिरोह संचालन की जिम्मेवारी अमन श्रीवास्तव के कंधों पर आ गयी और अमन का नाम ही झारखंड में खौफ का पर्याय बन गया.
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