“संकट के क्षण हम रास्ता नहीं बदलते, किसी के डर से तकाज़ा नहीं बदलते” कल्पना सोरेन के निशाने पर भाजपा

अब वह कल्पना नहीं रही जो सार्वजनिक मंचों पर अपने आंसुओं के साथ सभा को संबोधित करती थी, अब भाषणों में तल्खी और घातक प्रहार की झलक दिखलायी देने लगी है और इसकी झलक सोशल मीडिया हैंडल पर पर भी देखी जा रही है

“संकट के क्षण हम रास्ता नहीं बदलते, किसी के डर से तकाज़ा नहीं बदलते” कल्पना सोरेन के निशाने पर भाजपा