TNP DESK-दुनिया की नामचीन आईटी कंपनियों में सुमार इंफोसिस के संस्थापक नागवारा रामाराव नारायण मूर्ति ने भारतीय शिक्षा पद्धति में आमूलचुक बदलाव के लिए विदशों से रिटार्यड टीचरों को भारत लाने की वकालत की है. उन्होंने कहा कि बगैर इसके भारतीय शिक्षा व्यवस्था में कोई बदलाव आता नहीं दिख रहा है. उन्होंने कहा कि हमें पूरी दुनिया से हर वर्ष करीबन दस हजार सेवानिवृत शिक्षकों का भारत लाना होगा, और इन्ही शिक्षकों से हमें अपने शिक्षकों को साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथमैटिक्स का प्रशिक्षण प्रदान करना होगा. उसके बाद ही हमारी शिक्षा पद्धति में किसी बदलाव की आशा की जा सकती है, हालांकि यह संख्या भी पर्याप्त नहीं है, लेकिन इस संख्या से शुरुआत की जा सकती है.
नारायणमूर्ति का दावा शिक्षकों के प्रशिक्षण पर प्रति वर्ष करना होगा एक अरब डॉलर की राशि खर्च
स्कूली शिक्षा में किये जा रहे व्यय को अपर्याप्त बताते हुए नारायणमूर्ति ने कहा कि हमें शिक्षकों के प्रशिक्षण प्रति वर्ष एक अरब डॉलर की राशि खर्च करने होगी. इंफोसिस के एक अन्य को-फाउंडर एस गोपालकृष्णन ने भी नारायण मूर्ति की बातों का समर्थन करते हुए कहा कि जैसे जैसे हमारी जीडीपी में वृद्धि दर्ज होती है, हमें अपनी शिक्षा व्यवस्था की बेहतरी के लिए नये रास्तो की तलाश करनी होगी. हम एक ही रास्ते पर चलकर कभी तरक्की नहीं कर सकते.
ध्यान रहे कि नारायण मूर्ति की गिनती दुनिया से सबसे अमीर व्यक्तियों में होती है, वह फोर्ब्स पत्रिका के अनुसार वह इस समय दुनिया के 711वें सबसे अमीर व्यक्ति बन गए हैं. इसके साथ ही उनकी एक और पहचान ब्रिटेन के पीएम ऋषि सूनक के ससुर के रुप में भी होती है. मूर्ति ने अपनी जिंदगी की शुरुआत भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद में मुख्य सिस्टम प्रोग्रामर के रुप में की थी और बाद में 1981 में इंफोसिस की आधारशीला रखा. 1981 से 2002 तक वह इसके सीईओ के रुप में कार्य करते रहें. 2002 से 2011 तक उन्होंने चेयरमैन की भूमिका का निर्वाह किया. लेकिन वर्ष 2011 में उन्होंने बोर्ड से इस्तीफा दे दिया
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