Ranchi- सेना जमीन घोटाले में बिरसा मुंडा केन्द्रीय कारा में बंद निलंबित आईएस छवि रंजन को अपनी जमानत के लिए अभी लम्बा इंतजार करना पड़ सकता है. छवि रंजन की जमानत याचिका पर अब तक तीन तीन बार सुनवाई हो चुकी है, लेकिन हर बार जमानत याचिका को स्वीकार नहीं किया गया. अब इस मामले में 17 जुलाई को पीएमएलए कोर्ट में सुनवाई होनी है.
स्पेशल कोर्ट में हुई मामले की सुनवाई
आज भी उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई प्रीवेन्शन ऑफ मनी लाउंड्रिंग एक्ट की स्पेशल कोर्ट में सुनवाई हुई, लेकिन ईडी के विशेष लोक अभियोजक शिव कुमार कोर्ट से जवाब देने के लिये समय की मांग कर दी, जिसके बाद यह मामला 17 जुलाई तक के लिए टल गया. यहां बता दें कि इस मामले की पिछली सुनवाई तीन जुलाई को हुई थी, तब भी ईडी की ओर से जवाब के लिए समय की मांग की गयी थी. लेकिन आज भी से ईडी की ओर से एक बार फिर से समय की मांग कर ली गयी.
दो बार की पूछताछ के बाद 5 मई को हुई थी गिरफ्तारी
ध्यान रहे कि आर्मी जमीन घोटाले में दो बार की पूछताछ के बाद ईडी ने उन्हे 5 मई को गिरफ्तार किया था और तब से वह बिरसा मुंडा केन्द्रीय कारा में बंद है. ईडी का दावा कि छवि रंजन ने भूमाफियाओं से साठ गांठ कर सेना की जमीन को अवैध तरीके से हस्तांरित करवाने में मदद की थी. जमीन का अवैध हस्तांतरण के लिए अपने अधीनस्थ कर्मचारियों पर दवाब बनाया था. पावर ब्रोकर प्रेम प्रकाश, सेना की जमीन का रैयत होने का दावा करने वाले प्रदीप बागची, जमीन खरीददार जगत बंधु टी इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक दिलीप कुमार घोष, रिम्स कर्मी अफसर अली के साथ ही करीबन आधा दर्जन भू माफिया जेल में हैं.
कैसे हुआ था आर्मी लैंड स्कैम का खुलासा
यहां बता दें कि सेना की 4.55 एकड़ जमीन का यह फर्जीवाड़ा आयुक्त की जांच में सामने आया था. प्रदीप बागची ने फर्जी रैयत बनकर जगत बंधु टी इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक दिलीप कुमार घोष को उक्त जमीन बेची थी. दावा किया जाता है कि जमीन की खरीद-बिक्री के लिए प्रदीप बागची ने जिस होल्डिंग नंबर से संबंधित दो अलग-अलग कागजातों को लगाया था, वह जांच में फर्जी मिले थे, जिसके बाद नगर निगम की ओर से इस मामले में पहली प्राथमिकी दर्ज की गयी थी.
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