रांची(RANCHI)- सिविल सर्विसेज डे पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उस वक्त सन्नाटा छा गया, जब सीएम हेमंत सोरेन ने सार्वजनिक रुप से अधिकारियों के सामने यह सवाल दाग दिया कि यहां उपस्थित कितने अधिकारियों को संताली मुंडारी, हो और दूसरे स्थानीय भाषाओं की जानकारी है. सीएम का सवाल सुन अधिकारी एक दूसरे का मुंह ताकने लगे. किसी भी अधिकारी के पास इसका कोई जवाब नहीं था. अधिकारियों ने सीएम हेमंत से इस प्रकार के अप्रिय सवाल पूछे जाने की तनिक भी उम्मीद नहीं थी.
अधिकारियों के सूखे चेहरे पर निगाह दौड़ाते हुए खुद सीएम ने इसका जवाब दिया
इस सवाल के बाद अधिकारियों के सूखे चेहरे पर निगाह दौड़ाते हुए खुद सीएम ने ही इसका जवाब भी दिया, उन्होंने कहा कि आज के दिन झारखंड में करीबन दो हजार से ज्यादा लोकसेवकों की फौज खड़ी है, इसमें से करीबन 1400 लोकसेवक सिविल सर्विसेज से आये हैं. सरकार की योजनाओं जमीन पर उतराने की जिम्मेवारी इन्ही के कंधों पर है. और स्थिति यह है कि आप में से किसी को भी यहां के स्थानीय,भाषा,संस्कृति और लोक पंरपरा की कोई जानकारी नहीं है. इस हालत में आप सबों के द्वारा कैसे लोगों से संवाद किया जाता होगा? आप कैसे सरकार की योजनाओं का धरातल पर मुआयना कर पाते होंगे? इस हालत में तो कोई भी आपको गलत जानकारी प्रदान कर भ्रमित कर सकता है. शायद यही कारण है कि जिन योजनाओं का शिलान्यास वर्ष 1975 में किया गया है, आज भी वे योजनाएं अधूरी पड़ी है.
झारखंडी तमिल तेलगू बोल सकते हैं लेकिन आप संताली मुंडारी नहीं, क्यों?
सीएम हेमंत ने अधिकारियों को हड़काते हुए कहा कि झारखंड के लोग पंजाबी, तमिल, तेलगू और कन्नड़ बोल सकते हैं, लेकिन आप यहां की स्थानीय भाषा का ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकते. यही कारण है कि झारखंड गठन के 22 वर्षों के बाद भी झारखंड आज भी वहीं खड़ा है. जबकि हमारे पास अपार प्राकृतिक संपदा है, सस्ता मानव बल है, प्राकृतिक सौंदर्य है, फिर भी हम पिछड़ा है.
स्थानीय लोगों से स्थानीय भाषा में संवाद करने की नसीहत
उन्होंने कहा कि राजनेता आते जाते रहेंगे, लेकिन आप स्थाई है, झारखंड का भविष्य आपके हाथों में है, यह आपकी जिम्मेवारी है कि सरकार की योजनाओं को जमीन पर उतारें और लोगों की भूखमरी, गरीबी और शोषण को दूर करें. और इसके लिए बेहद जरुरी है कि आप स्थानीय भाषा में लोगों से संवाद करें.
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