Ranchi-लोक सभा चुनाव के ठीक पहले झारखंड का इकलौता कांग्रेसी सांसद गीता कोड़ा के द्वारा पंजे को बॉय बॉय कर कमल की सवारी करने के बाद कोल्हान की सियासत में जो कोलाहल मचा है, वह थमता नहीं दिख रहा. कभी जिस कोड़ा दंपत्ति के इर्द गिर्द कोल्हान में कांग्रेस की सियासत घूमती थी. आज उसी कोड़ा दंपत्ति से नजदीकियों के आधार पर कार्यकर्ताओं की निष्ठा और पार्टी के प्रति समर्पण को मापा जा रहा है. कोल्हान का हर कांग्रेसी कार्यकर्ता पार्टी की नजर में संदेह के घेरे में है और इसका सबसे बड़ा शिकार पश्चिमी सिंहभूम से इकलौते विधायक सोना राम सिंकु बनते दिख रहे हैं. दावा किया जाता है कि गीता कोड़ा की बेवफाई के बाद सोनाराम पर ना तो कांग्रेसी विश्वास करने को तैयार हैं और ना ही झामुमो कार्यकर्ता महागठबंधन का हिस्सा मान रहे हैं. हर किसी की नजर में सोनाराम यानि कोड़ा दंपत्ति का हनुमान, और जब गीता ही साथ छोड़ गयी तब इस सोनाराम की प्रतिबद्धता पर क्यों विश्वास किया जाय?
मधु कोड़ा यानि सोना राम सिंकु का गॉड फादर
ध्यान रहे कि कोल्हान की सियासत में सोना राम की पहचान मधु कोड़ा के हनुमान के रुप होती रही है. मधु कोड़ा को सोना राम का गॉड फादर भी माना जाता है, और उसकी वजह सोना राम का सियासी सफर के पीछे कोड़ा दंपत्ति का योगदान है. सोना राम कभी मधु कोड़ा के लिए कुछ दूसरे काम करते थें, नजदीकी संबंध था. लेकिन जब वर्ष 2019 में गीता कोड़ा चाईबासा से कांग्रेस का परचम लहरा कर संसद भवन पहुंची तो यह सवाल खड़ा हो गया कि अब उनकी जगनाथपुर विधान सभा से विधान सभा किसे भेजा जाय, क्योंकि जगनाथपुर को कोड़ा दंपत्ति का सुरक्षित किला माना जाता है. सियासी जानकारों का दावा किया जाता है कि जगनाथपुर में जीत उसी के हिस्से आयेगी, जिसके सिर पर मधु कोड़ा का आशीर्वाद होगा. और जब यह सवाल कांग्रेस के अंदर उठने लगा तो खुद मधु कोड़ा ने ही सोना राम सिंकु का नाम आगे किया और कांग्रेस की ओर से महज उस नाम पर मुहर लगायी गयी. सब कुछ ठीक ठीक चल रहा था. लेकिन जैसे ही मधु कोड़ा ने पलटी मारते हुए भाजपा का दामन थामा, सोना राम की सियासत फंसती नजर आने लगी. वफादारी पर सवाल खड़े किये जाना लगा. हालांकि सोना राम बार बार पार्टी के प्रति अपनी वफादारी के दावे कर रहे हैं, लेकिन संदेह का बादल छंटता दिख नहीं रहा.
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