TNP DESK- हेमंत सोरेन के सियासी चाल को आजमाने के चक्कर में भाजपा राजस्थान में अपना हाथ जला बैठी. लोकसभा चुनाव के ठीक पहले विधान सभा उपचुनाव में उसके मंत्री सुरेन्द्र पाल को कांग्रेस प्रत्याशी के हाथों भारी हार का सामना करना पड़ा. ध्यान रहे कि डुमरी और मधुपुर उपचुनाव के पहले ही हेमंत सोरेन ने बेबी देवी और हफीजुल अंसारी को मंत्री बना कर बड़ा सियासी दांव खेला था, और दोनों ही बार यह चाल बेहद सफल भी रही. लेकिन हेमंत सोरेन के इसी सियासी दांव का नकल करने के चक्कर में भाजपा को लोक सभा चुनाव के ठीक पहले अपना हाथ जलाना पड़ गया.
मंत्री रहते उपचुनाव हार गये सुरेन्द्र पाल
दरअसल राजस्थान विधान सभा चुनाव में 199 सीटों पर ही चुनाव सम्पन्न हुआ था, जबकि कांग्रेसी उम्मीदवार गुरमीत सिंह कुन्नर की मौत के कारण श्रीकरणपुर विधान सभा सीट का चुनाव स्थगित करना पड़ा था, भाजपा को यह विश्वास था कि यदि वह भी हेमंत के नक्शेकदम पर चलते हुए सुरेन्द्र पाल को मंत्री का ताज पहना देती है तो यह सीट उसके लिए पक्की हो जायेगी, लेकिन भाजपा यह भूल गयी कि मधुपुर हो या डुमरी दोनों ही स्थानों पर उसके पूर्व विधायक और मंत्रियों की मौत हुई थी, मधुपुर की सीट झामुमो के कद्दावर अल्पसंख्यक चेहरा हाजी हुसैन और डुमरी की सीट टाईगर जगरनाथ की मौत के बाद खाली हुई थी. झामुमो इसी सहानुभूति को कैश करने में कामयाब रहा, इसके विपरीत श्रीकरणपुर में कांग्रेस प्रत्याशी की मौत के बाद लहर कांग्रेस के पक्ष में थी, बावजूद इसके भाजपा हेमंत फार्मूला को अपनाकर इस सीट को अपने पास करना चाहती है, लेकिन अंतत: उसे लोकसभा चुनाव के पहले एक अशुभ संकेत का सामना करना पड़ा. निश्चित रुप से इस जीत से एक बार फिर से कांग्रेसी खेमे में उत्साह की लहर दौड़ेगी और इसका खामियाजा लोकसभा चुनाव में भाजपा को भुगतना पड़ सकता है.
4+