टीएनपी डेस्क (TNP DESK)-कर्नाटक का सियासी पारा अब आसमान छूने लगा है. प्रधानमंत्री मोदी के धुंआधार प्रचार के आगे जिस कांग्रेस को बड़ी मुश्किल से 110 के आसपास दिखलाया जा रहा था और त्रिशुंक विधान सभा की भविष्यवाणी कर यह जताने की कोशिश की जा रही थी, कि अभी सब कुछ भाजपा के हाथ से निकला नहीं है, और अभी बड़ा गेम बाकी है, हवाई जहाज तैयार खड़े हैं, एक इशारा होते ही विधायकों को बुलाया जा सकता है, और येन केन प्रकारेण भाजपा की सरकार बनायी जा सकती है.
गलत हुई हंग असेम्बली की राजनीतिक भविष्यवाणी
लेकिन कर्नाटक की जनता ने इन तमाम राजनीतिक मंसूबों पर पानी भेरते हुए कांग्रेस को पूर्ण बहुमत प्रदान करने का फैसला सुना दिया है. नतीजों से साफ है कि राजनीतिक पंडितों के द्वारा हंग असेम्बली की भविष्यवाणी महज एक पैंतरेबाजी थी, जिसका मतलब किसी ना किसी प्रकार से भाजपा को मुकाबले में बनाये रखना था, जबकी जमीनी हकीकत इसके विपरीत थी, कर्नाटका में कांग्रेस के पक्ष में हवा नहीं बल्कि तूफान चल रहा था और इसकी तस्दीक 134 सीटों का वह आंकड़ा खुद व खुद कह रहा है.
भाजपा के साथ जेडीएस को भी मिली निराशा
इसके साथ ही किंगमेकर का सपना संजोने वाले जेडीएस को भी बड़ी निराशा हाथ लगी है. नतीजा सामने आने के पहले ही इनके नेताओं के द्वारा भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने के दावे भी किये जाने लगे थे, लेकिन लगता है कर्नाटक की जनता ने अपना जोर किंग चुनने पर लगाया और किंग मेकर कौन होगा, इस पर कोई मगजमारी नहीं करने का फैसला कर लिया.
ब्रांड मोदी पर खड़े हुए सवाल, भाजपा में बढ़ी निराशा
लेकिन इसके साथ ही ब्रांड मोदी पर भी सवाल खड़े हो गयें है, ब्रांड मोदी को लेकर अब कई तरह के दावे सामने आने लगे है, कुछ लोगों का यह भी कहना है कि ब्रांड मोदी की राजनीतिक पिटाई पहले भी हो चुकी है, बंगाल, बिहार, हिमाचल, पंजाब, दिल्ली इसके गवाह हैं, जहां उनके द्वारा तमाम रैलियां की गयी, लेकिन वह परिणाम को भाजपा के पक्ष में करने में नाकाम रहें, कुछ उसी तरह की पुनरावृति कर्नाटक में भी हुई है. विरोधियों का दावा है कि एक ब्रांड के रुप में यह ब्रांड मोदी के झरण की शुरुआत नहीं होकर उसकी पूर्णाहूती है, अब किसी भी राज्य में सिर्फ और सिर्फ मोदी को आगे कर चुनाव जीतने की कोशिश करना भाजपा के लिए घातक होगा.
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