Ranchi- सेना जमीन घोटाले में ईडी पूरी रफ्तार के साथ इसके बिखरे एक-एक कड़ियों को आपस में जोड़ रही है, आरोपियों से पूछताछ और उनसे मिले सुरागों के सहारे वह इसके मास्टर माइंड तक पहुंच चुकी है. अब तक की मिली जानकारी के अनुसार इसका मुख्य मास्टर माईंड प्रेम प्रकाश, विष्णु अग्रवाल और अमित अग्रवाल है. इसी तिकड़ी ने सेना जमीन घोटाले का पूरा प्लॉट तैयार किया था, बाकी के किरदार महज एक्स्ट्रा कैरेक्टर थें. जिसका सहयोग इस कहानी को अंजाम तक पहुंचाने के लिए लिया गया था, इसके बदले में उन्हे भी लाभ का एक हिस्सा दिया गया था.
एक ही पते पर स्थित है अमित अग्रवाल और जगत बंधु टी स्टेट कंपनी का कार्यालय
ताजा जानकारी के अनुसार मूल रैयत का होने का दावा करने वाला प्रदीप बागची ने सेना की जिस जमीन को जगत बंधु टी स्टेट नामक कंपनी के मालिक दिलीप घोष को बेचा था, उसका बैंक अकाउंट 5 सितंबर 2020 को IDFC बैंक में खोला गया था, कंपनी के पते रुप में FMI हाउस, F3, ब्लॉक GP, सेक्टर 5, बिधाननगर, कोलकाता अंकित है, मजेदार बात यह है कि अमित अग्रवाल का कार्यालय भी इसी पते पर है.
खाता खुलते ही हुआ करोड़ों का लेन देन
अब यहां से दोनों के बीच सूत्र मिलते नजर आने लगते हैं. बड़ी बात यह है कि 5 सितंबर को जगत बंधु टी स्टेट कंपनी का खाता खुलवाया जाता है और महज इसके एक माह के अन्दर ही इस खाते से करोड़े रुपये का ट्रांजेक्शन होता है. लेकिन इससे भी बड़ा अजूबा यह होता है कि कंपनी के खाते में जमा किये गये 4 करोड़ 69 लाख 80 हजार रुपए में से 4 करोड़ 13 लाख 87 हजार रुपए राजेश ऑटो मर्चेंटाइज प्राइवेट लिमिटेड के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता है.
अमित अग्रवाल की है राजेश ऑटो मर्चेंटाइज प्राइवेट लिमिटेड
यहां याद रहे कि राजेश ऑटो मर्चेंटाइज प्राइवेट लिमिटेड अमित अग्रवाल की ही कंपनी है. जगत बंधु टी स्टेट कंपनी से राजेश ऑटो मर्चेंटाइज प्राइवेट लिमिटेड में पैसे का ट्रांजेक्शन करने वाला विकास जाना और दिलीप शाह दोनों ही अमित अग्रवाल की कंपनी राजेश ऑटो मर्चेंटाइज प्राइवेट लिमिटेड के कर्मचारी हैं.
असली रैयत का होने का दावा करने वाले प्रदीप बागची को मिला महज 25 लाख रुपये
यहां यह भी याद रहे कि प्रदीप बागची ने निबंधन पदाधिकारी के सामने यह स्वीकार किया था कि इस जमीन के बदले में उसे 7 करोड़ रुपये चेक के माध्यम से मिले हैं. जबकि अब जांच में इसका खुलासा हुआ है कि इस पूरी डील के बदले प्रदीप बागची को सिर्फ 25 लाख रुपए ही मिले. रजिस्टर्ड डीड में जिन ग्याहर चेकों का जिक्र किया गया, वह कभी भी कैश नहीं हुआ. ये सारे चेक आईडीबीआई बैंक के थें. अब सवाल यह उठ रहा है कि जब यह सौदा 7 करोड़ में किया गया था, तब प्रदीप बागची को मात्र 25 लाख का ही भुगतान क्यों किया गया. इसी कारण यह दावा किया जा रहा है कि फर्जी कागजातों के आधार पर प्रदीप बागची के नाम पर इस जमीन का कागजात इसी तिकड़ी के द्वारा किया गया था, और प्रदीप बागची के साथ हुए समझौते के तहत उसे 25 लाख का भुगतान कर दिया गया. प्रदीप बागची को अपना हिस्सा मिल गया और वह चुप हो गया.
14 जून के पहले चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी में है ईडी
ध्यान रहे कि ईडी ने इस मामले में अब तक अमित अग्रवाल, दिलीप घोष, रांची के पूर्व उपायुक्त छवि रंजन, बड़गाईं अंचल के राजस्व उप निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद, कथित रैयत प्रदीप बागची, जमीन कारोबारी अफसर अली, इम्तियाज खान, तल्हा खान, फैयाज खान व मोहम्मद सद्दाम को गिरफ्तार कर चुकी है. लेकिन मामला विष्णु अग्रवाल पर फंसा हुआ है, ईडी समन के जवाब में उसके द्वारा हर बार अपनी बीमारी का हवाला दिया जा रहा. अब देखना होगा कि बीमारी की आड़ में वह कितनों दिनों तक अपनी गिरफ्तारी को टालने में सफल रहता है. इस बीच खबर यह है कि ईडी इस मामले में 14 जून के पहले चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी में है.
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