रांची(RANCHI)- जिस ईडी की छापेमारी और बुलावे पर कभी अधिकारियों में दहशत कायम हो जाता था, अधिकारियों और अपराधियों की नींद उड़ जाती थी. लेकिन लगता है कि अब अधिकारियों में ईडी का खौफ सिमटता जा रहा है, हालिया दिनों में अधिकारियों में यह सोच पनपी है कि झारखंड के हर एक अधिकारी को एक ना एक दिन ईडी के समक्ष तो पेश होना ही है, सवाल सिर्फ आगे-पीछे का है और छापेमारी तो आम बात है.
छवि रंजन के आवास से अधिकारियों को मिली एक प्रश्नोत्तरी
दरअसल यह सवाल इसलिए खड़ा हो गया है, क्योंकि रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन के आवास से अधिकारियों को एक प्रश्नोत्तरी हाथ लगी है. जिसमें उन सभी संभावित प्रश्नों को हल करने की कोशिश की गयी है, जिसे ईडी की छापेमारी के दौरान पूछा जा सकता है. बिन्दूवार इस प्रश्नोत्तरी में ईडी के एक-एक सवालों का तोड़ है, यदि यह पूछा जाय तो क्या जवाब हो, और यदि वह पूछा जाय तो क्या.
सूत्रों का दावा है कि इन प्रश्नों और उसके जवाबों को देखकर लगता है कि कोई छात्र अपनी परीक्षा की तैयारी कर रहा हो. यानी दीर्घकालीन प्रश्न का उतर क्या होगा और यदि सवाल ऑप्शनल होगा तो कहां टीक लगाया जायेगा.
क्या छवि रंजन को मिल गयी थी छापेमारी की भनक
इसके साथ ही यह सवाल भी उठ खड़ा हुआ है कि क्या छवि रंजन प्रसाद को ईडी की छापेमारी की भनक लग गयी थी, क्या उन्हे यह जानकारी मिल गयी थी कि आज कल में उनके आवास पर ईडी की छापेमारी की जानी है. यदि ऐसा है तो यह ईडी की गोपनीयता पर ही एक गंभीर सवाल है?
क्या इस स्थिति में अपने दायित्वों का निर्वाह कर सकेंगे अधिकारी
लेकिन इसके विपरीत यदि यह माना जाय कि छवि रंजन को इस बात का एहसास था कि उनके खिलाफ ईडी कार्रवाई कर सकती है, और इसीलिए यह प्रश्नोत्तरी तैयार की गयी थी, तब क्या यह माना जाय, कि झारखंड के अधिकारी अपने काम काज पर ध्यान देने के बजाय आज कल ईडी से संभावित प्रश्नों को हल करने में ज्यादा मशगूल हैं और यदि यही वास्तविक स्थिति है तो यह निश्चित रुप से झारखंड के लिए दुर्भाग्य की स्थिति है, इस स्थिति में तो कोई भी अधिकारी अपने दायित्व का निर्वहन नहीं कर सकता. उसके अन्दर तो हर समय एक कुंठा और भय बना रहेगा. क्या इस स्थिति में वह अपने दायित्वों का निर्वाह कर सकेगा?
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