पटना(PATNA)- उधर दिल्ली में शरद पवार के आवास पर इंडिया गठबंधन की कोऑर्डिनेशन की बैठक कमिटि की बैठक चल रही थी, इधर कलकता से लेकर बिहार-यूपी में इंडिया गठबंधन से जुड़े नेताओं के ठिकानों पर छापेमारी की जा रही थी, अब इस छापेमारी को लेकर सवाल खड़े किये जाने लगे हैं, विपक्षी दलों का दावा है कि यह छापेमारी और कुछ नहीं चुनाव से पहले विपक्षी दलों से जुड़े नेताओं और समर्थकों में आतंक पैदा करने की एक कोशिश है.
उधर इंडिया गठबंधन की कोऑर्डिनेशन की बैठक, इधर इंडिया गठबंधन के नेताओं पर ईडी की छापेमारी
विपक्षी दलों का दावा है कि अब तक का इतिहास रहा है कि जब जब विपक्षी दलों की कोई महत्वपूर्ण बैठक होती है, ठीक उसी दिन भाजपा के द्वारा भी समानान्तर बैठक की जाती है, या इंडिया गठबंधन के नेताओं के आवास पर छापेमारी की जाती है. जब इंडिया गठबंधन की पहली बैठक पटना में हो रही थी, ठीक उस दिन भी पटना में ईडी की छापेमारी की जा रही थी, जब बेंगलूर में दूसरी बैठक का आयोजन किया गया तो उसी दिन भाजपा के द्वारा एनडीए की बैठक की घोषणा की गई, जब मुम्बई बैठक हुई तो उस दिन भी मुम्बई में एनडीए की बैठक आयोजित की गयी, और जब आज कोऑर्डिनेशन की बैठक की बैठक हो रही है, तब कोलकता से लेकर यूपी तक छापेमारी की जा रही है, और साथ ही पार्टी कार्यालय में पीएम मोदी का स्वागत किया जा रहा है.
छापेमारी का भ्रष्टाचार की लड़ाई से कोई लेने देना नहीं
इन घटनाओं से साफ है कि इस छापेमारी का भ्रष्टाचार की लड़ाई से कोई लेने देना नहीं है, इनकी कोशिश महज विपक्षी दलों से जुड़े नेताओं को यह संदेश देना है कि आप इंडिया गठबंधन के साथ गये नहीं कि ईडी ओर सीबीआई के घोड़े आपके विरोध छोड़ दिये जायेंगे.
विपक्षी दलों का आरोप है कि यही भाजपा और खुद प्रधानमंत्री अजित पवार के विरोध हजारों हजार करोड़ के घोटाले का आरोप लगाते थें, चक्की चक्की पिसिंग की घमकी दी जाती थी, लेकिन प्रधानमंत्री की घोषणा के दूसरे दिन ही जब अजित पवार ने एनडीए का दामन थाम लिया तो सारी जांच कर दी गयी, यह कहानी सिर्फ अजित पवार की नहीं है, आसाम के सीएम हेमंत विश्व सरमा के लेकर नारायण राणे और एकनाथ सिंदे की यही कहानी है, बंगला से लेकर यूपी तक दर्जनों ऐसे नेता है, जिसके विरुद्ध भाजपा और पीएम मोदी के द्वारा उछल उछल कर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया जाता था, लेकिन जैसे ही इन नेताओं ने पाला बदला, वे सीएम से लेकर केन्द्रीय मंत्री बना दिये गये और भ्रष्ट्रचार के कथित आरोपों पर पूर्ण विराम लग गया.
जदयू एमएलसी राधाचरण सेठ के ठिकानों पर यह चौथी छापेमारी है
जिस जदयू एमएलसी राधाचरण सेठ के ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है, और बड़ा घोटाला का दावा किया जा रहा है, फार्म हाउस से एक कथित डायरी मिलने की कहानी सुनाई जा रही है, कविता में कोडवर्ड लिखे होने का हुंकार भरा जा रहा है, उस राधाचरण सेठ के ठिकानों पर यह तीसरी छापेमारी है. इस छापेमारी में भी कुछ नहीं मिलने वाला है, सिर्फ सूत्रों के हवाले अखबारों की सुर्खिया बटोरनी की नापाक कोशिश है, भाजपाई मीडिया मैनेजमेंट का हिस्सा है. ताकि इंडिया गठबंधन को मीडिया की सुर्खियों से गायब किया जा सके और बिग ब्रेकिंग की शक्ल में भाजपाई एजेंडा को परोसा जा सके.
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