टीएनपी डेस्क(TNP DESK): झारखंड में जब से ईडी ने छापेमारी और कार्रवाई शुरू की है, तब से रोज नए-नए मोड़ आ रहे हैं. कभी झारखंड सरकार और केंद्र सरकार आमने-सामने आ जाते हैं, कभी सीएम ईडी को चुनौती देते हैं, जांच एजेंसियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन होता है. मगर, अब दो एजेंसियां ही आमने-सामने आ गई हैं. एक ओर ईडी ने 1000 करोड़ मामले में सीएम हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा को मुख्य आरोपी बनाया है. तो वहीं झारखंड पुलिस ने पंकज मिश्रा को उन पर लगे सारे आरोपों से बरी कर दिया है. मगर, इसके बाद फिर कुछ ऐसा हुआ कि झारखंड पुलिस और ईडी आमने-सामने आ गई है. ऐसा शायद पहली बार हो रहा है जब दो सरकारी एजेंसियां एक दूसरे के खिलाफ आ गई है.
दरअसल, अवैध खनन मामले में आरोपी पंकज मिश्रा को लेकर संताल के डीआईजी सुदर्शन प्रसाद मंडल ने एक प्रेस कान्फ्रेंस किया और इसमें उन्होंने पंकज मिश्रा को क्लीन चीट दे दी. ये प्रेस कान्फ्रेंस इसलिए भी खास था, क्योंकि ये शायद पहला मौका है जब डीआईजी रैंक का ऑफिसर प्रेस कान्फ्रेंस कर किसी आरोपी को क्लीन चीट दे रहा हो. इसी से आप पंकज मिश्रा के रसूक का अंदाजा लगा सकते हैं. क्लीन चीट देने के दौरान डीआईजी सुदर्शन प्रसाद मंडल ने बताया कि पंकज मिश्रा के खिलाफ जिस विजय हांसदा ने परिवाद पत्र भेजा था और केस दाखिल करने की बात कही थी वह अब केस नहीं लड़ना चाहता है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि विजय हांसदा ने अशोक यादव के कहने पर पत्र दाखिल किया था. इसके अलावा विजय से पुलिस को लिखकर दिया है कि उससे झूठा केस कराया गया था.
विजय हांसदा ने पुलिस थ्योरी को बताया झूठा
मगर, अब इस मामले में नया मोड़ आ गया है. जिससे पुलिस की ये थ्योरी झूठी साबित हो रही है. क्योंकि पुलिस की जिस थ्योरी में बताया गया कि विजय हांसदा केस नहीं लड़ना चाहता और उससे झूठा केस कराया गया है. उस विजय हांसदा ने अब कोर्ट को अपने अधिवक्ता के माध्यम से एक आवेदन सौंपा है, जिससे पुलिस पर ही सवाल उठने लगे हैं.
दरअसल, विजय हांसदा ने इस आवेदन में कोर्ट को बताया कि वह केस लड़ना चाहता है. पुलिस ने उससे एक सादे कागज पर साइन लिया था, और उसी पर पुलिस ने अवैध खनन मामले में दर्ज उसकी शिकायत को वापस लेने के लिए पेपर तैयार कर लिया. विजय ने कहा कि वह अभी भी अपनी शिकायत पर कायम है और केस लड़ना चाहता है. बता दें कि विजय हांसदा 13 नवंबर से जेल में बंद है. उसे साहेबगंज पुलिस ने आर्म्स ऐक्ट के मामले में जेल भेजा है. मगर, अब वह अवैध खनन मामले में ईडी की ओर से गवाह भी बन चुका है.
डीआईजी सुदर्शन मंडल में पीसी में क्या कहा था
आपको बता दें कि पुलिस महानिरीक्षक सुदर्शन प्रसाद मंडल ने पीसी कर बताया था कि पंकज मिश्रा के खिलाफ जिस विजय हांसदा ने परिवाद पत्र भेजा था और केस दाखिल करने की बात कही थी वह अब केस नहीं लड़ना चाहता है. इसके अलावा पुलिस ने बताया कि विजय हांसदा ने अशोक यादव के कहने पर पत्र दाखिल किया था. इसके अलावा विजय से पुलिस को लिखकर दिया है कि उससे झूठा केस कराया गया था.
अवैध खनन मामले में ईडी का गवाह बनने वाले अशोक यादव फिलहाल जेल में हैं. इस मामले पर पुलिस उप महानिरीक्षक ने कहा कि वह आर्म्स एक्ट केस में जेल में है. वहीं, पुलिस उप-महानिरीक्षक ने इस बात से साफ इंकार किया कि ईडी का गवाह बनने की वजह से उसे गिरफ्तार किया गया है. वहीं, एक और केस का जिक्र करते हुए डीआइजी सुदर्शन मंडल ने बताया कि 12 जून 2020 को शंभू नंदन कुमार के आवेदन पर पंकज मिश्रा, आलमगीर आलम के अलावा 11 नामजद और 12 अज्ञात पर मामला दर्ज हुआ था. लेकिन बाद में इस केस में साक्ष्य के आधार पर पंकज मिश्रा और आलमगीर आलम को निर्दोष करार दे दिया गया था. बता दें कि यह मामला टेंडर मैनेज करने के संबंध में था. हालांकि, इस मामले से जुड़ी जानकारी और केस ईडी टेक ओवर कर चुकी है.
राज्य के अंदर दो एजेंसियां आमने-सामने
अब बड़ा सवाल ये है कि क्या विजय हांसदा पर पुलिस सच में दबाव बना रही है? मगर, इससे भी बड़ा सवाल ये है कि अवैध खनन मामले को लेकर डीआईजी को प्रेस कान्फ्रेंस क्यों करनी पड़ी और पंकज मिश्रा को क्लीन चीट देनी पड़ी. क्या डीआईजी को किसी ने पीसी करने को कहा था? या वायरल खबरों के खंडन को लेकर ही उन्होंने पीसी किया? लेकिन उन्होंने जिस भी उद्देश्य से ये पीसी किया हो, लेकिन उन्होंने इस दौरान जो भी कहा, उसे विजय हांसदा ने पूरी तरह से घुमा दिया है. ऐसे में दुमका पुलिस और साहेबगंज पुलिस सवालों के घेरे में आ गई है, क्योंकि पुलिस पर ये भी सवाल है कि पंकज मिश्रा से पहले कितने आरोपियों को पुलिस ने क्लीन चीट दी? क्या पंकज मिश्रा सच में इतने रसूकदार हैं कि डीआईजी को लगा कि उनके खिलाफ जो खबरें चल रही हैं उसका सार्वजनिक तौर पर खंडन करना चाहिए. ये बात भी सच है कि झारखंड पुलिस राज्य सरकार के अंतर्गत आती है और कहीं ना कहीं उनका सॉफ्ट कॉर्नर सरकार और मुख्यमंत्री की तरफ होता है. तो क्या सीएम या सरकार का दबाव था ऐसा करने के लिए? क्योंकि विजय हांसदा के आवेदन के बाद ईडी अब इन्हीं चीजों को आधार बनाएगी. ऐसे में अब ईडी इस मामले में और विजय हांसदा पर दबाव बनाने के मामले में राज्य के कई अधिकारियों से भी पूछताछ कर सकती है. हो सकता है कि डीआईजी सुदर्शन मंडल से भी ईडी पूछताछ करे. ऐसे में झारखंड पुलिस और ईडी आमने-सामने होंगी.
पुलिस द्वारा क्लीन चीट देने के बाद ईडी की कार्रवाई शुरू
दरअसल, ईडी ने मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा और मंत्री आलमगीर आलम को टोल प्लाजा केस में क्लीन चीट देने वाले जांच अधिकारी सरफुद्दीन खान को समन किया है. उन्हें 5 दिसंबर को पूछताछ के लिए बुलाया गया है. वहीं, पंकज के न्यायिक हिरासत में फोन पर बातचीत के मामले में उनके सहयोगी सूरज से छह और चंदन से सात दिसंबर को पूछताछ होगी. इसके अलावा अमित अग्रवाल के वकालतनामा में गड़बड़ी के मामले में रांची जेल के सुपरिटेंडेंट हामिद अख्तर से भी पांच दिसंबर को पूछताछ होगी. झारखंड पुलिस के क्लीन चीट के बाद ईडी की इस कार्रवाई ने साफ कर दिया है कि राज्य के अंदर दो एजेंसियों की ये लड़ाई अभी लंबी चलने वाली है. अभी ये मामला पूरा दिलचस्प मोड़ पर आ पहुंचा है. साथ ही ये देखना भी बड़ा दिलचस्प होगा कि राज्य के अंदर दो एजेंसियां कैसे एक-दूसरे से लड़ती हैं.
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