TNP DESK- मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच जारी हिंसा दिन प्रति दिन और भी विकराल रुप धरता जा रहा है, आग की लपटे तेज होती जा रही है. महज चंद माह पहले तक एक दूसरे के साथ अमन और भाईचारे के साथ रहते रहे मैतेई और कुकी समुदाय एक दूसरे के खून के प्यासे बन चुके हैं. एक दूसरे के गांव, घर और जमीन पर कब्जे की होड़ मच चुकी है. चारों तरफ दंगाईयों की भीड़, खून और हाहाकार है, लोग सुरक्षित शरणस्थली की खोज में भागते नजर आ रहे हैं. इस अमानवीय त्रासदी का सबसे ज्यादा शिकार बच्चे और महिलाएँ है, दावा किया जा रहा कि भीड़ के द्वारा ना सिर्फ एक दूसरे के गांवों पर कब्जा किया जा रहा है, बल्कि महिलाओं और बच्चों को भी शिकार बनाया जा रहा है. एक दूसरे को जमींदोज करने की धमकी दी जा रही है.
केन्द्रीय विदेश राज्य मंत्री राजकुमार रंजन सिंह का बयान
हालत की गंभीरता का अंदाजा केन्द्रीय विदेश राज्य मंत्री राजकुमार रंजन सिंह की उस स्वीकारोक्ति से लगाया जा सकता है कि जिसमें उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि मणिपुर में कानून व्यवस्था बूरी तरह से फेल हो चुका है. यह एक अराजक स्टेट के रुप में तब्दील हो चुका है. यहां कानून का राज्य के बजाय सिर्फ भीड़ की ताकत दिख रही है.
दोनों ही बार भीड़ का शिकार बनने से बचे राजकुमार रंजन सिंह
ध्यान रहे कि खुद भी मैतेई समुदाय से आने वाले केन्द्रीय विदेश राज्य मंत्री राजकुमार रंजन सिंह मणिपुर के इंफाल इलाके से आते है, उनके आवास पर भी दो दो बार हमला किया जा चुका है, अभी चंद दिन पहले ही कुकी समुदाय की भीड़ ने उनके आवास को आग के हवाले कर दिया गया था. हालांकि खुशकिश्मती रही कि दोनों ही बार मंत्री राजकुमार रंजन सिंह अपने आवास पर नहीं थें.
भारत पाकिस्तान बंटवारे से की जा रही है तुलना
मणिपुर में हिंसा के इस तांडव की तुलना दैनिक भास्कर ने भारत और पाकिस्तान के बंटवारे वाले दृश्य से की है. उसने लिखा है कि” मणिपुर की लड़ाई दिनों दिन भीषण होती जा रही है. एक-दूसरे के गाँव, घर, ज़मीन हथियाये जा रहे हैं. लोग गाँव छोड़ कर भाग रहे हैं. हमलावर उन गाँवों पर क़ब्ज़ा करते जा रहे हैं. मैतेई लोग कुकी के गाँवों पर और कुकी लोग मैतेई के गाँवों पर. ठीक वैसे ही जैसा हिंदुस्तान-पाकिस्तान बँटवारे के वक्त हुआ था.“
क्या फेल हो गया डबल इंजन का प्रयोग?
ध्यान रहे कि मणिपुर में भाजपा की सरकार है. इसके कई मंत्री मणिपुर से आते हैं. 60 सदस्यीय विधान सभा में पूर्ण बहुमत की सरकार है. हालांकि स्थिति को सामान्य बनाने की कोशिश करते हुए मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने उपद्रवियों को तुरंत हिंसा समाप्त करने की चेतावनी दी है. उन्होंने कहा है कि हिंसा बंद नहीं की गयी तो इसका परिणाम भी भुगतना होगा.
डबल इंजन के बदले राहुल गांधी ने दी मोहब्बत की दुकान खोलने की सलाह
लेकिन फिर से बड़ा सवाल वही है कि इस हिंसा पर नियंत्रण की जिम्मेवारी किसके कंधों पर है, जबकि राज्य में डबल इंजन की सरकार है, इसी डबल इंजन की दुहाई देकर तो हर चुनाव में वोट मांगा जाता है, लेकिन आज जब मणिपुर को सबसे ज्यादा डबल इंजन की मदद की जरुरत है, उस डबल इंजन का मणिपुर में कोई अता पता नहीं है और सीएम वीरेन्द्र सिंह अकेले ही इस हिंसा पर काबू पाने की कोशिश करते दिख रहे हैं.
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