रांची(RANCHI)- हेमंत हटाओ झारखंड बचाओ” के नारे के साथ सचिवालय घेराव करने पहुंची प्रर्दशनकारियों का पुलिस के साथ भिड़त की खबरे हैं, प्रर्दशनकारियों की पत्थराबाजी में एक पत्रकार के घायल होने की भी खबर है, हालांकि बाद में प्रर्दशनकारियों को उग्र होता देख कर पुलिस की ओर से हल्का बल प्रयोग भी किया गया, जिसमें करीबन एक दर्जन प्रदर्शनकारी भी घायल हो गयें, जिनका इलाज पारस अस्पताल में किया जा रहा है. किसी भी प्रर्दशनकारी की हालत गंभीर होने की खबर नहीं है.
भाजपा के दावे पर उठ रहे हैं सवाल
लेकिन इस बीच सवाल भाजपा के उस दावे पर खड़ा हो गया है, जिसमें तीन लाख कार्यकर्ताओं को रांची पहुंचने का दावा किया गया था. जिसके बाद झामुमो की ओर मोर्चा संभालते हुए पार्टी महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने भाजपा के दावे पर तंज सकते हुए कहा था कि तीन लाख के दावे को छोड़िये, इनकी औकात तो चार हजार की भीड़ भी जुटाने की नहीं है, नहीं तो चार हजार की भीड़ को जुटाने के लिए गोड्डा से एक स्पेशल ट्रेन का संचालन नहीं करना पड़ता. इनकी मंशा है कि जिसमें संताल इलाके से लोगों का भर कर लाया जायेगा, लेकिन भाजपा यह भूल रही है कि यह संताल है, यहां सिर्फ और सिर्फ हमारा काम बोलता है, संताल में इनका कोई राजनीतिक वजूद नहीं है, भाजपा चाहे जितना भी जोर लगा ले, ये ट्रेनें खाली ही जाने वाली है.
चार हजार की भीड़ जुटाने के लिए भी यदि स्पेशल ट्रेन का सहारा
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा था कि भाजपा को चार हजार की भीड़ जुटाने के लिए भी यदि स्पेशल ट्रेन का सहारा लेना पड़ा रहा है, तब उसकी झारखंड में राजनीतिक पकड़ कितनी मजबूत है, समझा जा सकता है. बेहतर होता कि भाजपा शालिमार मैदान में अपनी सभा कर लेती, तब कम से कम भाजपा को स्पेशल ट्रेन चलाने की नौबत तो नहीं आती.
तीन लाख के दावे और 20 हजार की भीड़
आज जब रांची की सड़कों पर प्रर्दशनकारियों की संख्या देखी गयी तो भाजपा के दावे और झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य की भविष्यवाणी दोनों एक साथ आमने सामने खड़ी हो गयी, क्योंकि बामुश्किल प्रर्दशनकारियों की भीड़ बीस हजार से ज्यादा की नहीं थी.
कार्यकर्ताओं का यह टोटा किस बात का संकेत है
यह स्थिति उस पार्टी की है, जिसे आज भारत का सबसे ज्यादा सुविधा संपन्न पार्टी मानी जाती है, जिसके पास संसाधनों की कोई कमी नहीं है, बावजूद इसके कार्यकर्ताओं का यह टोटा, इस बात का साफ संकेत है कि अपनी तमाम चूक और असफलताओं के बावजूद झारखंड में आज भी हेमंत सरकरा की विश्वसनीयता कायम है, हां उसमें झरण के दावे किये जा सकते हैं, उसकी विश्वसनीयता में गिरावट को देखा जा सकता है, लेकिन बावजूद इसके, यह कहने में अतिश्योक्ति नहीं होगी कि आज भी झामुमो भाजपा पर भारी है, और स्वयं हेमंत सोरेन का जलबा आज भी कायम है?
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