रांची(RANCHI)- जिस ईडब्ल्यूएस कोटा को अब तक सवर्ण जातियों के लिए आरक्षित माना जा रहा था, सीएम हेमंत ने अब उस ईडब्ल्यूएस का दरवाजा पिछड़ी और अत्यंत पिछड़ी वर्ग की जातियों के लिए खोल दिया है. राज्य सरकार ने वैसे सभी जिलों में जहां अनुसूचित जाति और जनजाति की बहुलता के कारण पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं है, ईडब्ल्यूएस कोटा से आरक्षण प्रदान करने का नीतिगत निर्णय ले लिया है.
ध्यान रहे कि लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, पश्चिमी सिंहभूम, दुमका, लातेहार और खूंटी वैसे जिले हैं जहां पिछड़ी जातियों को आरक्षण प्राप्त नहीं है, जिसके कारण काफी लम्बे अर्से से पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ी जातियों में नाराजगी रही है, पिछड़ी जातियों की इसी नाराजगी को दूर करने के लिए राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में कार्मिक विभाग के उस प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी गयी है, जिसमें पिछड़ी जातियों को आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के तहत आरक्षण प्रदान करने का प्रस्ताव दिया गया था.
मंत्रिमंडल एवं समन्वय विभाग की प्रधान सचिव वंदना दादेल ने कहा है कि इस कोटे से आरक्षण का लाभ लेने के लिए पिछड़ा जातियों को भी सवर्ण जातियों के समान ही आय संबंधी सारे प्रमाण पेश करने होंगे, और मापदंडों को पूरा करना होगा जो सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए निर्धारित हैं.
पिछड़ी जातियों को अपने पाले में लाने की पहल
हेमंत सोरेन के इस निर्णय को पिछड़ी जातियों को अपने पाले में लाने का बड़ा कदम माना जा रहा है. क्योंकि हेमंत सोरेन की सरकार पहले ही पिछड़ी जातियों का आरक्षण को बढ़ाने का बिल विधान सभा से पारित कर राज भवन भेज चुकी है, हालांकि उस बिल को राजभवन के द्वारा कई आपत्तियों के साथ वापस कर दिया गया था, वैसे स्थिति में जब तक उस मामले का समाधान नहीं हो जाता, पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण का रास्ता साफ कर दिया गया है. अब देखना होगा कि भाजपा इसे किस रुप में लेती है, क्योंकि पिछड़ी जातियों का आरक्षण का विरोध उसे भारी पड़ सकता है.
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