पटना(PATNA)-एनडीए बैठक का आमंत्रण पत्र मिलते ही चिराग पासवान अचानक से हमलावर नजर आने लगे हैं, सीएम नीतीश की तुलना एक तानाशाह से करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हे भाजपा कार्यकर्ता की मौत की जिम्मेवारी लेनी ही होगी. मुख्यमंत्री के साथ ही वह राज्य के गृह मंत्री हैं, उसकी पहली जिम्मेवारी उन पर बनती है. खास कर तब जब वह केन्द्र की सरकार पर अलोकतांत्रिक होने का आरोप लगाते रहते हैं, भाजपा पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाते हैं, लेकिन बिहार में लोकतंत्र की क्या हालत है नीतीश कुमार को इसका भी आत्मपरीक्षण करना चाहिए.
जनभावनाओं को लाठीचार्ज से नहीं दबाया जा सकता
चिराग पासवान ने कहा कि जनभावनाओं को लाठीचार्ज से दबाया नहीं जा सकता, उन्होंने सवालिया लहजे में पूछा कि आखिर कोई सरकार लाठीचार्ज जैसे अलोकतांत्रिक कदम कैसे उठा सकती है, शिक्षक अभ्यर्थी हों या किसान सलाहकार सरकार हर आवाज सुननी होगी, उनका समाधान खोजना होगा, लेकिन समाधान तो दूर यहां तो सरकार आवाज सुनने को ही तैयार नहीं है. लाठीचार्ज कर लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है.
राजद के याद दिलाया पुराना दिन
राजद नेताओं को पुराने दिन की याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि जब राजद नेताओं की विधान सभा में पिटाई की गयी थी, मार्शल के द्वारा उन्हे धक्के मार कर सदन से बाहर निकाला गया था. तब तो राजद ने विधान सभा से लेकर सड़क तक कोहराम मचाया था, अलोकतांत्रिक करार दिया था, सीएम नीतीश को तानाशाह बताया था, लेकिन अब भाजपा नेताओं की पिटाई पर राजद की चुप्पी सवाल खड़े कर रही है. राजद नेताओं की पिटाई अलोकतांत्रिक और भाजपा नेताओं की पिटाई लोकतांत्रिक कैसे हो सकती है. सत्ता में जाते ही राजद की यह भाषा क्यों बदल रही है, आखिर उसकी विवशता क्या है, उसे तो इसके लिए नीतीश कुमार से सवाल पूछना चाहिए था.
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