Ranchi-अपने विवादित बयानों के लिए झारखंड की राजनीति में कुख्यात-विख्यात कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने अब एक नया बम फोड़ा है, जिसके बाद भाजपा खेमें में अप्रत्याशित रुप से खुशी की लहर देखी जा रही है. हालांकि प्रत्यक्ष रुप से तो भाजपा ने इसे विधायक इरफान अंसारी का विकृत सोच बताया है, और कहा है कि महज अपने पिता के लिए एक टिकट हासिल करने लिए गोड्डा को मिनी पाकिस्तान बताना हिन्दूओं का अपमान है.
2024 के पहले भाजपा को मिला एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा
भाजपा के बयान से साफ है कि उसे 2024 के चुनाव के पहले गोड्डा संसदीय सीट के लिए एक बड़ा मुद्दा मिल गया है. अब भाजपा की ओर से इस बयान को हिन्दू अस्मिता से जोड़ा जायेगा और जिसकी परिणति आखिरकार हिन्दू मतों का धुर्वीकरण के रुप में सामने आयेगी.
कांग्रेस के खिलाफ बम या भाजपा के पक्ष में बैटिंग की शुरुआत
लेकिन क्या अपने दूसरे बयानों की तरह ही इरफान ने यह बयान भी बगैर किसी राजनीतिक लाभ-हानि का मुल्यांकन किये बिना दिया है. हालांकि इरफान अंसारी की छवि झारखंड की राजनीति में एक बयानवीर की रही है, लेकिन यह कोई साधारण बयान नहीं है, यदि गोड्डा संसदीय सीट का सामाजिक और राजनीति समीकरण को सामने रख कर इसका मुल्याकंन करें तो यह साफ नजर आता है कि इस बार इरफान अंसारी ने कांग्रेस के खिलाफ बम फोड़ा है, और 2024 के पहले भाजपा के पक्ष में राजनीतिक जमीन तैयार करने की शुरुआत कर दी है.
क्या है गोड्डा का सामाजिक समीकरण
लेकिन इरफान अंसारी के बयान को समझने के लिए जरुरी है कि गोड्डा संसदीय सीट का पूरा सामाजिक और राजनीति समीकरण को सामने रखा जाया. गोड्डा संसदीय सीट में कुल छह विधान सभा क्षेत्र हैं, जरमुंडी, मधुपुर, देवघर, गोड्डा, महागामा, और पोड़याहाट. इसमें से जरमुंडी, पोड़याहाट और महागामा सीट पर कांग्रेस का कब्जा है, जरमुंडी से हेमंत सरकार के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख, महागामा से दीपिका पांडेय सिंह और पोड़याहाट से प्रदीप यादव विधायक है. जबकि मधुपुर से झाममो के हफीजुल अंसारी विधायक है, देवघर विधान सभा से भाजपा के नारायण दास और गोड्डा सदर से भाजपा के अमित कुमार मंडल विधायक है.
गोड्डा की छह विधान सभा में चार पर है झामुमो कांग्रेस का कब्जा
साफ है कि छह विधान सभा में से चार पर आज के दिन झामुमो और कांग्रेस का कब्जा है, जबकि दो पर भाजपा के विधायक है. रही बात सामाजिक समीकरण की तो एक अनुमान के अनुसार गोड्डा संसदीय सीट में दो से ढाई लाख यादव, ढाई से तीन लाख मुसलमान, दो लाख ब्राह्मण, ढाई से तीन लाख वैश्य, डेढ़ लाख के करीब आदिवासी, एक लाख के करीब भूमिहार, राजपूत, कायस्थ हैं, इसके साथ ही पचपौनियां जातियों और दलितों की एक बड़ी आबादी है.
सिर्फ मुसलमान ही नहीं तय करता गोड्डा में हार जीत का फैसला
अब इन आंकड़ो का आप विश्लेषण करें तो साफ है कि सिर्फ और सिर्फ मुसलमान ही यहां जीत और हार का फैसला तय नहीं करता, यदि महागठबंधन की दृष्टि से भी इसका आंकलन करें तो यहां यादव, आदिवासी, दलित और दूसरे पचपौनियां जातियों की आबादी बहुत बडी है, जितनी आबादी मुसलमानों की है, उससे कुछ थोड़ा ही कम यादवों की भी आबादी है, दूसरी जातियों और सामाजिक समूहों की बात तो अलग है. फिर इरफान अंसारी किस आंकड़ों को सामने रख इसे मिनी पाकिस्तान बता रहे हैं.
कोलकत्ता कैश कांड के बाद पार्टी में हाशिये पर हैं विधायक इरफान अंसारी
कुछ जानकारों का मानना है कि कोलकत्ता कैश कांड के बाद विधायक इरफान अंसारी अपनी ही पार्टी में बेहद हाशिये पर ढकेल दिये गये हैं, उनकी विश्वसनीयता पर एक बड़ा प्रश्न चिह्न लगा है. इस हालत में पार्टी उनके टिकट को लेकर ही संदेह में है, हालांकि उनका टिकट कटने वाला है, आज के दिन इसे पुख्तातौर पर नहीं कहा जा सकता, लेकिन पार्टी के अन्दर एक खेमा उन्हे टिकत देने का पक्षधर नहीं है.
अभी उठने हैं कई राजनीतिक पर्दे यह बयान उस सियासी तूफान का महज एक हिस्सा
कोलकता कैश में अखबारों की सुर्खियां बन चुके इरफान अंसारी को भी इसका भान है, और यही कारण है कि उनके द्वारा इस प्रकार के बयान देकर अपनी राजनीतिक अस्तीत्व को बनाये रखने की कोशिश की जा रही है, हालांकि कुछ सूत्र इस बात का भी दावा कर रहे हैं कि अगले विधान सभा चुनाव में इरफान निर्दलीय उम्मीवार हो सकते हैं और उन्हे अप्रत्यक्ष रुप से भाजपा का समर्थन भी मिल सकता है. यही पूरी कवायद उसी आने वाली राजनीति का एक हिस्सा है, जिस पर अभी कई पर्दे उठने बाकी हैं.
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