Patna- 2024 के लोकसभा चुनाव परिणाम का इंतजार कीजिये, जैसे ही भाजपा की सरकार बनती है, बिहार की राजनीति से नीतीश कुमार की विदाई लिख दी जायेगी. उनके लिए सीएम बने रहना तो दूर अपनी पार्टी को बचाने लिए दो चार होना पड़ेगा. कुछ यही अल्फाज थें, भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद के.
कैलाशपति मिश्रा की 100वीं जयंती पर पटना के बापू सभागार में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रविशंकर प्रसाद ने सीएम नीतीश के खिलाफ युद्ध का एलान करते हुए इस बात का दावा किया कि उनकी राजनीति के दिन अब खत्म हो चुके हैं, सिर्फ समय का इंतजार है, जैसे ही लोकसभा चुनाव का परिणाम आता है, और भाजपा की सरकार बनती है, इनकी विदाई की पटकथा लिख दी जायेगी.
कायस्थों की आबादी को कमतर दिखला कर हाशिये पर डालने की साजिश
ध्यान रहे कि जातीय जनगणना की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के बाद नीतीश कुमार लगातार भाजपा के निशाने पर हैं, खुद रविशंकर प्रसाद भी सीएम नीतीश पर कायस्थों की आबादी को कमतर दिखलाने का आरोप लगा चुके हैं, उनका दावा है कि सीएम नीतीश ने राजनीतिक पूर्वाग्रह में जातीय जनगणना के आंकड़ों में कायस्थों की आबादी को कम कर दिखलाया. जबकि गया पटना सहित पूरे बिहार में कायस्थों की एक बड़ी आबादी है. यह आंकड़ों की यह बाजीगरी महज कायस्थों को राजनीति से बाहर करने के लिए किया गया.
सीट बचाने की लगा रहे हैं जुगत
ध्यान रहे कि रविशंकर प्रसाद पटना साहिब संसदीय सीट से भाजपा के सांसद है. दावा किया जाता था कि पटना साहिब लोकसभा में कायस्थों की एक बड़ी आबादी निवास करती है, यही कारण है कि भाजपा इस सीट पर हमेशा से किसी ना किसी कायस्थ नेता को उम्मीदवार बनाती थी, शत्रुधन सिन्हा से लेकर रविशंकर प्रसाद इसी सीट से लोकसभा पहुंचते रहे हैं, लेकिन जातीय जनगणना की रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया कि पूरे बिहार की आबादी में कायस्थों की आबादी महज 0.6011 प्रतिशत है, जिसके बाद बिहार की राजनीति में कायस्थों की प्रासंगिकता पर सवाल खड़ा हो गया.
मोदी मंत्रिमंडल से हो चुकी है छुट्टी
इस बीच यहां यह भी बता दें कि मोदी सरकार में कानून मंत्री रहे रविशंकर प्रसाद को मंत्रिमंडल से छुट्टी कर दी गयी है. जिसके बाद यह लगातार अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता को बरकरार रखने की कोशिश कर रहे हैं, और काफी बढ़ चढ़ कर सीएम नीतीश पर निशाना साधते रहते हैं. ताजा हमले को इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.
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