रांची(RANCHI)- 28 जुलाई से शुरु होने वाली शीतकालीन सत्र हंगामेदार रहने की उम्मीद है. जहां भाजपा बंगालदेशी घूसपैठियों के सवाल पर हंगामा खड़ा करने तैयारी में हैं, वहीं सत्ता पक्ष खतियान आधारित स्थानीय नीति, मॉब लीचिंग बिल, पिछड़ों का आरक्षण विस्तार को मुद्दा बना उसकी काट में जुटी है.
शीताकालीन सत्र से पहले राज्यपाल ने बंगलादेशी घुसपैठ पर प्रकट की अपनी चिंता
यहां बता दें कि शीतकालीन सत्र से ठीक पहले राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने इस मुददे को हवा दे दी है, उन्होंने दावा किया है कि इस मुददे पर उनकी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और सरकार से मुख्य सचिव से बात हुई है और उन्होंने अपनी चिंताओं से सरकार को अवगत करवा दिया है. सीपी राधाकृष्णन बंगलादेशी घुसपैठ के कारण झारखंड की बदलती जनसांख्यिकी पर अपनी चिंता प्रकट की है, उन्होंने कहा कि बंगालदेशी घुसपैठिये यहां की आदिवासी महिलाओं के साथ शादी-विवाह कर रहे हैं, जिसके कारण आदिवासी समाज की जीवन शैली में बदलाव हो रहा है. और यह बेहद चिंताजनक स्थिति है. हालांकि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट पहले ही केन्द्र सरकार से जवाब की मांग कर चुकी है.
सीमा की सुरक्षा की जिम्मेवारी केन्द्र सरकार की
दरअसल सत्ता पक्ष का दावा है कि सीमा की सुरक्षा की जिम्मेवारी केन्द्र सरकार की है, यदि तमाम सुरक्षा व्यवस्था को धता बता कर भी बांग्लादेशी देश की सीमा में प्रवेश कर रहे हैं तो यह केन्द्र सरकार की विफलता है, इसमें कहीं से भी राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं बनती है, हालांकि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में केन्द्र सरकार की ओर जवाब पेश नहीं किया है, लेकिन बावजूद भाजपा इसे झारखंड में बड़ा मुद्दा बनाना चाहती है.
बंगलादेशी घुसपैठ को हवा देकर आदिवासी मूलवासियों के मुद्दों को भटकाने की कोशिश
जानकारों का दावा है कि बंगलादेशी घुसपैठ को हवा देकर भाजपा खतियान आधारित स्थानीय नीति, मॉब लीचिंग बिल, पिछड़ों का आरक्षण विस्तार आदि मुद्दों को नेपथ्य में डालना चाहती है, सत्ता पक्ष का भी यही दावा कर रहा है, उसका तर्क है कि जब भी आदिवासी मूलवासियों के अधिकारों से जुड़ा कोई मुद्दा सामने आता है, उनके हक हकूक से जुड़े विधेयक विधान सभा के पटल पर रखे जाते हैं, भाजपा संवेदनात्मक मुद्दे को उछाल कर उसे भटकाना चाहती है, लेकिन भाजपा की यह चाल कामयाब नहीं होने वाली है. विधान सभा के अन्दर और बाहर इसका मुंहतोड़ जवाब दिया जायेगा.
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