पटना(PATNA)-प्रवासी बिहारी मजदूरों के साथ मारपीट का फर्जी वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड करने, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या पर जश्न और आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग, भाजपा विधायक से रंगदारी की मांग और बैंक मैनेजर से अभद्रता करने के आरोपी यूट्यूबर मनीष कश्यप बिहार पुलिस के लिए नयी मुसीबत नजर आने लगी है.
ध्यान रहे कि प्रवासी बिहारी मजदूरों के साथ मारपीट का फर्जी वीडियो अपलोड करने के आरोप में तमिलानाडू पुलिस उसे पूछताछ के लिए चेन्नई ले गयी थी, जहां से उसे भाजपा विधायक से रंगदारी की मांग और बैंक मैनेजर से अभद्रता के मामले में पेशी के लिए बतिया लाया गया था. लेकिन पेशी के बाद बिहार पुलिस उसे पटना लेकर पहुंच गयी, जहां उसे बिहारी मजदूरों के साथ मारपीट का फर्जी वीडियो अपलोड करने के मामले में ईओयू की ओर से दायर मुकदमें का सामना करना था, अब चुंकि इस मामले में उसकी पेशी मंगलवार को थी, तो बिहार पुलिस उसे लेकर बेऊर जेल पहुंच गयी, लेकिन बेऊर जेल प्रशासन उसे अपने पास रखने से इंकार करने लगा, उसका तर्क था कि उसे तो बेतिया जेल में रखा जाना था, वह उसे बेऊर जेल में क्यों रखें, आखिरकार काफी जद्दोजहद के बाद बेऊर जेल प्रशासन उसे रात भर के लिए अपने पास रखने को राजी हुआ, और आज सुबह-सुबह उसे पटना सिविल कोर्ट में पेशी के लिए ले जाया गया.
पुलिस जांच में सभी वीडियो फर्ज पाये गये थें
यहां बता दें कि बिहारी मजदूरों का फर्जी वीडियो अपलोड करने के मामले में ईओयू ने मनीष कश्यप के खिलाफ चार मुकदमें दायर किये हैं, दावा किया जाता है कि मनीष कश्यप कुछ लोगों के साथ मिलकर पटना में ही मारपीट का फर्जी वीडियो बना कर उसे सोशल मीडिया पर अपलोड किया करता था. इस फर्जी वीडियो आने के बाद पूरे बिहार की सियासत में बवाल मच गया था, भाजपा इसी आधार पर नीतीश कुमार से इस्तीफे की मांग कर रही थी, जबकि बाद सारे वीडियो फर्जी निकले और बिहारी मजदूरों के साथ तमिलानाडू में मारपीट की कोई वारदात नहीं हुई थी.
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