टीएनपी डेस्क(TNP DESK) विपक्षी एकता की जिस मुहिम को साकार करने का सपना लेकर सीएम नीतीश कुमार देश के कोने-कोने की खाक छान रहे हैं, लेकिन विपक्षी एकता की इस मुहिम में नीतीश कुमार को पहली बड़ी असफलता ओडिशा में मिली है. दोनों की चिरप्रतीक्षित मुलाकात के बाद नवीन कुमार ने विपक्षी एकता के मुद्दे पर पत्ता खोलने से साफ इंकार कर दिया है. उन्होंने कहा है कि इस मुलाकात के दौरान दोनों के बीच महागबंधन को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई.
विपक्षी एकता में कई पेंच
नवीन पटनायक के इस बयान के बाद इस बात की आशंका जताये जाने लगी है कि महागठबंधन के स्वरुप को लेकर नवीन कुमार आश्वस्त नहीं है. विपक्षी एकता की इस मुहिम में उन्हे कई पेंच दिखलायी दे रहे हैं. यही कारण है कि फिलहाल नवीन कुमार इस मुहिम से अपनी दूरी बना रहे हैं, हालांकि आने वाले दिनों में कई शर्तों के साथ वह इस महागठबंधन का हिस्सा बन सकते हैं, लेकिन इसके पहले उन्हे कांग्रेस की बढ़ती ताकत का भी आकलन करना है, कहीं विपक्षी एकता की इस मुहिम में वह ओडिशा के अन्दर तीसरे पायदान पर खड़ी कांग्रेस को प्राण वायु नहीं दे जायं. यह खतरा उनके सामने मौजूद है.
कांग्रेस को कमजोर समझना साबित हो सकती है भारी भूल
ध्य़ान रहे कि 147 विधान सभा सीटों वाले ओडिशा में भाजपा अभी 23 विधायकों के साथ दूसरी बड़ी पार्टी है, जबकी नवीन पटनायक के बीजू जनता दल को एक बड़े अंतर के साथ 112 सीटों पर खड़ी है, जबकि कांग्रेस के हिस्से महज 17 सीटें आयी है. लेकिन जिस प्रकार से हालिया दिनों में कांग्रेस की सक्रियता तेज हुई है. खासकर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद देश के दूसरे हिस्सों की तरह ही ओडिशा में भी कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के हौसले बुंलद है. उसको देखते हुए कांग्रेस को कमजोर समझना भारी भूल साबित हो सकती है, और राजनीति के चतुर खिलाड़ी नवीन पटनायक किसी हड़बड़ी में यह जोखिम लेने को तैयार नहीं है.
ओडिशा में कांग्रेस को मजबूत होना नवीन पटनायक के लिए बड़ा खतरा
जानकारों का भी मानना है कि कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के हौसले को देखते हुए कांग्रेसनीत किसी महागठबंधन का हिस्सा बनना नवीन पटनायक के सामने राजनीतिक मुश्किलें पैदा करेगी, साथ ही महागठबंधन में आने के बाद ओडिशा में कांग्रेस की स्थिति और भी मजबूत होगी. नवीन पटनायक किसी भी हालत में ओडिशा में कांग्रेस को मजबूत होते देखना पसंद नहीं कर सकतें. यही कारण है कि नवीन पटनायक के अंदर महागठबंधन को लेकर एक प्रकार की दुविधा है, वह महागठबंधन में जाने के पहले कई शर्त सामने रख सकते हैं.
कर्नाटक चुनाव के हो सकता है फैसला
खासकर हिमाचल फतह के बाद अब जिस प्रकार कर्नाटक चुनाव को लेकर मीडिया में खबरें आ रही है, तमाम सर्वेक्षणों में कांग्रेस को बहुमत की ओर बढ़ता दिखलाया जा रहा है, साथ ही मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में जिस तेजी से भाजपा नेताओं के द्वारा कांग्रेस का दामन थामा जा रहा है, उसके बाद कांग्रेस के साथ महागबंधन करना नवीन पटनायक के लिए एक घाटे का सौदा हो सकता है.
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