रांची(RANCHI)- झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार सोनू को झारखंड राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष बनाये जाने के प्रस्ताव पर मुख्य सचिव की कैंची के साथ ही झारखंड में नगर निकाय चुनाव को बड़ा झटका लगा है. हालांकि नगर निकायों में पिछड़ी जातियों का आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन कर दिया है. लेकिन सच्चाई यह है कि उस आयोग का अब तक ना कोई अध्यक्ष और ना सचिव, अब इस हालत में जब सुदिव्य कुमार सोनू को आयोग का अध्यक्ष बनना लगभग तय माना जा रहा था, ठीक एन वक्त पर मुख्य सचिव की आपत्ति ने राज्य सरकार का पूरा खेल बिगाड़ दिया है.
क्योंकि जबतक पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्यों और उसके अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं होती, ट्रिपल टेस्ट नहीं करवाया जा सकता और बगैर ट्रिपल टेस्ट के पिछड़ों का आरक्षण नहीं दिया जा सकता, इस प्रकार निकाय चुनाव का भविष्य अंधेरे में लिपटा नजर आ रहा है.
ध्यान रहे कि पंचायत चुनाव में पिछड़ों को आरक्षण प्रदान नहीं किये जाने के कारण हेमंत सरकार को काफी विरोध का सामना करना पड़ा था, अब यदि एक बार सरकार फिर से निकाय चुनाव को भी पिछड़ों के आरक्षण के बगैर करवाती तो यह मामला राजनीतिक रंग ले सकता है, और सरकार को पिछड़ों की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है और 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले सरकार यह जोखिन नहीं ले सकती.
सीएम हेमंत का संकट मोचक सुदिव्य कुमार सोनू को कैबिनेट से झटका
यहां बता दें कि झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार सोनू को सीएम हेमंत का मुख्य संकट मोचक माना जाता है, जब बात सरकार की नीतियों का बचाव की होती है, तब सड़क से लेकर सदन कर सुदिव्य कुमार सोनू की हुंकार गुंजती है, चाहे आदिवासी-मूलवासी मुद्दों का सवाल हो या फिर हेमंत सोरेन के उपर लगाये जा रहे व्यक्तिगत आरोपों कि सुदिव्य हर बार संकट मोचक बन कर सामने आते हैं.
लेकिन अपने अकाट्य तर्कों से हेमंत सरकार का बचाव करते रहे सुदिव्य कुमार सोनू को बड़ा झटका तब लगा जब कैबिनेट की बैठक में 9 मंत्रियों ने उनके नाम पर अपनी असहमति दर्ज करवा दिया और जिसके बाद सुदिव्य कुमार को सोनू को झारखंड राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष बनाये जाने के प्रस्ताव सरकार को वापस लेना पड़ा. जबकि खुद सीएम हेमंत की इच्छा सुदिव्य कुमार सोनू को इस पद पर विराजमान होते देखने की थी.
मुख्य सचिव ने दिया नियमों का हवाला
दरअसल इसकी वजह मुख्य सचिव सुखदेव सिंह का वह नोट जिसमें उन्होंने झारखंड राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के पद को लाभ का पद बता दिया, और किसी भी लाभ के पद पर किसी निर्वाचित प्रतिनिधि को विराजमान करने का मतलब उसकी सदस्यता को खतरे में डालने है. जैसे ही सुखदेव सिंह का नोट सामने आया मंत्रियों ने इस पर अपनी असहमति जता दिया और इस प्रकार सुदिव्य कुमार सोनू पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष बनते बनते चूक गयें.
लाभ के पद के चक्कर में जा चुकी है सोनिया और जय बच्चन की सदस्यता
यहां बता दें कि इसी लाभ के पद के चक्कर में सोनिया गांधी से लेकर सपा नेता जया बच्चन को अपनी सदस्यता खोना पड़ा था, सोनिया गांधी को यूपीए सरकार के समय राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का चेयरमैन बनाया गया था, जिसे बाद में लाभ का पद माना गया था और अन्तोगतवा उन्हे अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी थी, ठीक यही स्थिति जया बच्चन की भी थी, जब वर्ष 2006 में राज्य सभा सांसद रहते हुए जया को उत्तर प्रदेश फिल्म विकास निगम का चेयरमैन बनाया गया था, बाद में इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी गयी और कोर्ट ने इसे लाभ का पद माना और जया बच्चन को राज्यसभा से इस्तीफा देना पड़ा. सुखदेव सिंह ने उसी प्रकरण को ध्य़ान में रखकर सरकार को इस फैसले से दूर रहने की सलाह दी, जिसके बाद मंत्रियों ने इस फैसले पर अपनी असहमति जाहिर कर दिया.
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