टीएनपी डेस्क(TNP DESK): एक ज़माना था, जहां तक़रीबन सभी लोग बैंक की फिक्स डिपॉज़िट पर ही ऐतबार जताते थे. वही, बेझिझक अपना पैसा डालकर बेफिक्र रहते थे. इसका पीछे सबसे बड़ी वजह पैसा का सुरक्षित रहना था. आज से दो दशक पहले 10 प्रतिशत तक बैंक FD में ब्याज तक मिलता था , सीनियर सिटीजन को तो, इससे भी ज्यादा ब्याज मिलता था . लेकिन, अब ये बात गुजरे वक़्त की है, और इतिहास के पन्नों में संमा गई है . समय के साथ बैंक फिक्स डिपॉज़िट के ब्याज में भी गिरावाट आई है और बढ़ती महंगाई के सामने इसका असर भी बेअसर हो गया. कइयों का इससे मन टूट गया. हालांकि, दूसरा पहलू ये भी है कि आज भी बैंक फिक्स डिपॉज़िट सबसे बेहतरीन ऑप्शन लोगों के बीच बना हुआ. इससे लोग मुंह नहीं मोड़ते, क्योंकि इसमे पैसे के डूबने का खतरा न के बराबर रहता है. RBI की जून 2020 की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक औसतन 53 प्रतिशत भारतीय परिवार बैंक फिक्स डिपॉज़िट पर ही अपना पैसा डालते हैं. यानि आज भी इसकी महत्ता, लोकप्रियता और भरोसा कम नहीं हुआ है.
वही म्यूच्यूअल फंड पर गौर करें तो, इसका भी इतिहास रहा है. पहली बार 1963 में यूनिट ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया ने इसे शुरू किया था. लेकिन इसकी पॉपुलरटी के ग्राफ में इजाफा पिछले 20 से 25 सालों में बढ़ा. इसकी पीछे कारण , इसका दिया गया रिटर्न्स और निबेशकों को मिली दौलत थी . जो आज के बैंक FD के रिटर्न्स के मुकाबले कहीं ज्यादा थी . आज बढ़ती महंगाई ने लोगों का जीना हराम कर दिया है . खासकर कोरोना काल के बाद महंगाई ने तो सितम ही ढा दिया. लिहाजा, विकल्प के तौर पर लंबे समय में निवेश के लिए बैंक FD की जगह लोगों की पसंद म्यूच्यूअल फंड ही बन रहा है. AMFI यानि एसोसिएशन ऑफ़ म्यूच्यूअल फंड ऑफ़ इंडिया के मुताबिक पिछले 20 साल में 17 प्रतिशत की दर से म्यूच्यूअल फंड में निवेश बढ़ रहें हैं. लाजमी हैं, जो आंकड़े तस्वीर और तस्दीक पेश कर रहें हैं. वह म्यूच्यूअल फंड की क्या तासीर रही है, वो बेबाक बयान कर रही है. हालांकि, हकीकत ये भी है कि आज भी 7 प्रतिशत ही भारतीय परिवार म्यूच्यूअल फंड में निवेश करते हैं. लेकिन, जो रफ़्तार है और जो भारत की बढ़ती इकॉनमी है. इससे तो नहीं लगता आगे आने वाले वक़्त में इसकी नैया डावाडोल होने वाली है.
अब सवाल है कि बैंक FD बेहतर है या म्यूच्यूअल फंड?.
इसका जवाब यही है की दोनों के अलग -अलग फायदे और नुकसान है. सीधे और मोटे तौर पर समझे तो बैंक FD में पैसा तो सुरक्षित रहता है, लेकिन एक फिक्स रिटर्न्स ही मिलता है . बैंक RBI के गाइडलाइन के मुताबिक चलते हैं और इसमे बदलाव समय -समय पर होते रहते हैं . वही दूसरी तरफ म्यूच्यूअल फंड में रिटर्न्स लंबे समय में तो अभी तक बेहतरीन दिया है. लेकिन इसमें मार्केट रिस्क भी है इसमे कोई फिक्स्ड रिटर्न्स बैंक FD की तरह नहीं होता हैं. इसके चलते ही डर बना रहता है. म्यूच्यूअल फंड AMC सेबी के मताहत चलती हैं.ब म्यूच्यूअल फंड में सोच -समझकर और अपने वित्तीय सलाहकार की मदद से ही निवेश करना चाहिए, क्योंकि इसमें कई तरह के कई फंड होते हैं. जैसे इक्विटी और डेबट फंड. इसके रिटर्न्स और रिस्क अलग -अलग हैं. लिहाजा ये कहा जा सकता हैं म्यूच्यूअल फंड में पैसा लगाना और पैसा बनाना. आपके जोखिम, वक़्त और जरुरत पर निर्भर करता है. वैसे जो जमीन पर महंगाई पैर पसारे और काले नाग की तरह फन फैलाये हुए है. उससे मुकाबला करने की ताकत म्यूच्यूअल फंड ही दे सकता है. रही बात जोखिम की, तो इसपर एक सटीक कहावत हैं, अगर आप जीतते है, तो ख़ुश होंगे और हारते हैं तो बुद्धिमान होंगे.
रिपोर्ट: शिवपूजन सिंह
(बाजार विशेषज्ञ और सदस्य एसोसिएशन ऑफ़ म्यूच्यूअल फंड इन इंडिया )
( ये लेखक के निजी विचार है, किसी भी तरह के निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श ले )
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