रांची(RANCHI)- दिवंगत शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की पत्नी बेबी देवी को मंत्री पद की शपथ दिलवा कर महागठबंधन ने साफ कर दिया है कि अब बेबी देवी ही डुमरी के अखाड़े में आजसू भाजपा के संयुक्त ताकत का मुकाबला करने जा रही है. लेकिन इसके बावजूद अभी तक आजसू भाजपा में इस चुनाव को लेकर कोई साफ संकेत मिलता नहीं दिख रहा है, हालांकि प्राप्त सूचना के आधार पर बेबी देवी के मुकाबले में भाजपा समर्थित आजसू प्रत्याशी ही मैदान में होगा. लेकिन वह पहलवान कौन होगा, इसको लेकर चर्चाओं का दौर गरम है, तरह तरह के कयास लगाये जा रहे हैं, शायद आजसू भाजपा की रणनीति अपने कार्ड को अंतिम समय तक रहस्य बनाये रखने की है.
डुमरी विधान सभा में तेज हो चुकी है सुदेश महतो की सक्रियता
लेकिन डुमरी विधान सभा में आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो की सक्रियता तेज हो चुकी है. वह लगातार अपने कार्यकर्ताओं से सम्पर्क में हैं. दावा किया जा रहा है कि भाजपा ने यह साफ कर दिया है कि प्रत्याशी का चयन सुदेश महतो को ही करना है. हालांकि प्रत्याशी की घोषणा के पहले भाजपा आजसू में विचार मंथन जरुर किया जायेगा.
रामगढ़ उपचुनाव में आजसू से गठजोड़ का भाजपा को मिला था लाभ
यहां ध्यान दे कि रामगढ़ विधान सभा उपचुनाव में जिस प्रकार से आजसू ने झामुमो उम्मीदवार बजरंगी महतो को पटकनी दी है, उसके बाद आजसू के हौसले बुलंद है. भाजपा को भी इस बात का एहसास हो चुका है कि झारखंड की राजनीति में वह आजसू के बगैर मैराथन नहीं जीत सकती. पिछले बार भी डुमरी विधान सभा में मुख्य मुकाबला आजसू और झामुमो के बीच ही हुआ था, भाजपा यहां तीसरे स्थान पर खड़ी थी, साफ है कि भाजपा यहां पूरी कोशिश के बाद भी झामुमो को शिकस्त देने की स्थिति में नहीं है.
रघुवर दास को महंगा पड़ा था आजसू से रिस्ता तोड़ना
याद रहे कि पूर्व सीएम रघुवर दास ने 2019 के विधान सभा चुनाव में आजसू की ताकत को नजरअंदाज कर सभी सीटों पर खुद ही मुकाबला करने का निर्णय लिया था, जिसका परिणाम हेमंत सरकार की वापसी के रुप में हुई थी. अब जबकी भाजपा को अपनी भूल का एहसास हो चुका है, अनुभवी राजनेता बाबूलाल मरांडी के हाथों में झारखंड की बागडोर सौंप दी गयी है, बाबूलाल उस गलती को दुहराने की भूल नहीं करेंगे.
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