Patna- सियासत की नगरी पटना में एक और नया बवाल खड़ा होता नजर आने लगा है, हालांकि पिछले कई माह की तरह ही इस बार भी यह विवाद भगवान राम से ही जुड़ा है, लेकिन इस बार उसके केन्द्र में पूर्व सीएम जीतन राम मांझी नहीं है, जिनके द्वारा कई अवसरों पर भगवान राम को अपना आदर्श मानने से साफ लफ्जों में इंकार किया गया है. तब जीतन राम मांझी के उस बयान पर भाजपा ने काफी बवाल काटा था. यहां तक की भाजपा ने उन्हे अपढ़ की श्रेणी में भी रख दिया था, लेकिन इस बार का बयान कुछ अलग हटकर है.
नौ साल बेमिसाल” के समानान्तर राजद कर रही है विरोध कार्यक्रम का आयोजन
दरअसल यह बयान दानापुर से राजद विधायक रीतलाल यादव की ओर से आया है, भाजपा की ओर से आयोजित की जा रही “नौ साल बेमिसाल” कार्यक्रम के जवाब में राजद इसके समानान्तर विरोध कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है. इसी कार्यक्रम में शामिल होने रीतलाल यादव भी पहुंचे थें, रीतलाल यादव ने अपने भाषण की शुरुआत ही भाजपा पर हमले के साथ की, उन्होंने कहा कि मुसलमानों से नफरत करने वाली भाजपा को यह याद रखना चाहिए कि जिस राम की वह दुहाई देते फिरते हैं, उस राम के जीवन पर आधारित रामचरित मानस की रचना गोस्वामी तुलसीदास ने किसी मंदिर में बैठकर नहीं, बल्कि एक मस्जिद में बैठकर की थी, यह है हमारी संस्क़ृति है, हमारी संस्कृति किसी भी धर्म से नफरत करना नहीं सिखाती, हमारी संस्कृति हमें प्यार-मोहब्बत का पाठ सिखाती है, लेकिन भाजपा को राम से कोई वास्ता ही नहीं है, उसे तो राम के नाम पर वोट की खेती करनी है. और वोट के लिए मुसलमानों के खिलाफ जहर भी बोना पड़े तो भाजपा को इससे परेहज नहीं है.
राजद विधायक का सवाल, उस वक्त धर्म खतरे में क्यों नहीं पड़ा
अपने सवालिया लहजे में रीतलाल यादव ने यह भी पूछ लिया कि भाजपा के हिसाब से तो मुसलमानों के कारण धर्म खतरे में है, तो उस समय धर्म खतरें में क्यों नहीं आया था, जब किसी मस्जिद में बैठकर रामचरित मानस की चौपाईँयां लिखी गयी थी. यह हमारा देश है, जहां एक मुस्लिम लड़की भागवत कथा को लेकर इनाम जीतती है, जब मुसलमानों से इतनी ही नफरत है तो भाजपा अपनी पार्टी से मुस्लिम नेताओं को बाहर का रास्ता क्यों नहीं दिखाती.
भाजपा को आयी चरवाहा विद्यालय की याद
इस बयान के बाद विवाद तो होना स्वाभाविक ही था, और हुआ भी, राजद विधायक के इस दावे पर कुछ बोलने बजाय भाजपा राजद और नीतीश को चरवाहा स्कूल की याद दिलाने लगी. कहा गया कि ये सभी लोग चरवाहा विद्यालय की उपज हैं, यही कारण है कि उनकी सोच ऐसी है.
पहले भी किया जा चुका है इस प्रकार के दावे
हालांकि रामचरित मानस की रचना किसी मस्जिद में बैठकर की गई है, यह दावा पहले भी किया जाता रहा है. मानस के जानकार कई विद्वानों की ओर से यह दावा किया जाता रहा है. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में यही दावा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हरीश त्रिवेदी ने किया था. त्रिवेदी का दावा था कि संभवत: गोस्वामी तुलसीदास ने बाबरी मस्जिद में बैठकर 'रामचरित मानस' की रचना की थी, 'रामचरित मानस: द लाइफ ऑफ ए टेक्स्ट' विषय संबोधित करते हुए त्रिवेदी ने कहा था कि , 'राम केवल धार्मिक पुरुष नहीं थे. उन्हें केवल कुछ लोगों के खास समुदाय से नहीं जोड़ा जा सकता. 1992 में अयोध्या में जो कुछ भी हुआ, उसमें राम का कोई दोष नहीं था. इसके लिए कुछ और लोग ही जिम्मेदार थे. यह हमारा दायित्व है कि हम संस्कृति को राजनीति से दूर रखें.'
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