रांची(RANCHI): झारखंड हाईकोर्ट में जस्टिस संजय कुमार मिश्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में नमाज कक्ष आवंटन मामले की सुनवाई के दौरान विधान सभा सत्र की ओर से एक शपथ पत्र दायर कर इस बात की जानकारी दी गयी कि छह राज्यों से इस संबंध में मंतव्य की मांग की गयी थी, जिसमें से तीन राज्यों की ओर से यह सूचना प्रदान की गयी है कि वहां अल्पसंख्यक समुदाय के लिए अलग से नमाज कक्ष आवंटित है, जबकि अभी तीन राज्यों से जवाब का इंतजार है. जैसे ही इन तीन राज्यों की ओर से जानकारी सामने आती है, कोर्ट को इसकी जानकारी उपलब्ध करवा दी जायेगी.
तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और बिहार में अल्पसंख्यक विधायकों को दी जा रही है यह सुविधा
विधान सभा की ओर से यह बताया गया कि जिन तीन राज्यों में नमाज कक्ष आवंटित है उसमें तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और बिहार शामिल है. जैसे ही दूसरे राज्यों से इस बावत जानकारी प्राप्त होती है, सात सदस्यीय सर्वदलीय कमेटी के द्वारा इस पर आगे का निर्णय लिया जायेगा. और इसकी जानकारी कोर्ट को भी प्रदान कर दी जायेगी.
ध्यान रहे कि वर्ष 2021 में झारखंड विधान सभा के अन्दर कमरा नम्बर- TW-348 को नमाज कक्ष के रुप में आवंटित किया गया था. ताकि अल्पसंख्यक विधायक विधान सभा सत्र के दौरान अपने मजहबी मान्यता अनुसार परंपराओं का पालन कर सकें. लेकिन कमरा नम्बर- TW-348 को नमाज अदा करने के लिए आवंटित करते ही भाजपा ने इस पर विवाद खड़ा कर दिया. और इसे अल्पसंख्यकों का तुष्टीकरण बताया. हालांकि तब यह दावा भी किया गया था कि खुद रघुवर दास के शासन काल के दौरान भी विधान सभा का एक कमरा नमाज पढ़ने के लिए इस्तेमाल किया जाता था और यही परिपाटी हेमंत सरकार के द्वारा निभाई जाती रही, लेकिन भाजपा के हंगामें के बाद इस मामले में झारखंड हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर दी गयी, जिसके बाद विधान सभा अध्यक्ष की से सर्वदलीय समिति का गठन का इस पर फैसला लेने का निर्णय लिया गया. याचिका में प्रार्थी की ओर से इस बात का दावा किया गया है कि किसी भी समुदाय विशेष के लिए विधान सभा के अन्दर कक्ष का आवंटन गलत है.
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