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टीएनपी डेस्क (Tnp desk):- मॉनसून की बेईमानी के चलते इसका खामियाजा किसान भुगतते है और इसका दर्द सालों भर सलाता रहता है. लगातार दूसरे साल सूखे की हालत झारखंड के किसान झेल रहे हैं. उनकी परेशनी और दर्द तो अलग है ही, इसके साथ ही राज्य सरकार भी सबकुछ रहते भी उतना कुछ नहीं कर पाती. कही न कही कुछ कमियां और योजनाओं का जमीन पर नहीं उतरने का खामियाजा भी किसानों को झेलना पड़ता है. सबसे चौकाने वाली बात तो ये रहती है कि जो राशि खर्च करने के लिए मिली है, उसे ही पूरी तरह से खर्च नहीं कर पाती. इसके चलते सूखे की मार के साथ दोहरी मार झेलनी पड़ती है. राज्य के किसानों की इस फकाकाशी भरे जीवन के लिए मौसम के साथ-साथ कृषि विभाग भी कही न कही जिम्मेदार है.
खर्च ही नहीं कर पा रहा विभाग
राज्य के कृषि पशुपालन और सहकारिता विभाग के जो आंकड़े दिख रहे हैं. इससे तो लगता है कि उतना पैसा खर्च हुआ ही नहीं, जबकि बजट अच्छा खासा था. राज्य योजना में सबसे अधिक खर्च सहकारिता विभाग का है. इसका कुल बजट 565.60 करोड़ रुपये का है. जिसमे 191.08 करोड़ रुपये का आवंटन निकल चुका है. इसमें 166.24 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. यह कुल स्वीकृति का करीब 87 फीसदी है. इसी तरह कृषि विभाग ने स्वीकृत राशि की 60 फीसदी, उद्यान ने 65 फीसदी खर्च कर दिया है. पशुपालन विभाग की 30, डेयरी की 40 और मतस्य विभाग की करीब 50 फीसदी राशि खर्च हो गयी है. केंद्रीय योजना में कृषि विभाग को स्वीकृत राशि की करीब 50, उद्यान की 55, भूमि संरक्षण की 85, पशुपालन की 18 और मत्स्य की शत-प्रतिशत राशि खर्च हो गयी है.अगर देखे तो कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग ने केंद्र प्रायोजित योजनाओं में 60 फीसदी राशि खर्च किया है. राज्य योजना में अब तक 50 प्रतिशत से अधिक राशि खर्च हो गयी है.
क्या है खर्च की स्थिति (राज्य योजना)
विभाग-बजट-आवंटन-खर्च कृषि-71229-43677-26206
उद्यान- 16705-14700-9555
भूमि संरक्षण-62500-62500-18750
सहकारिता-56650-19108-16624
पशुपालन – 30403-26218-7866
डेयरी-39560-19134-7654
मत्स्य-10217-8953-4477
(नोट : राशि लाख रुपये में)
कृषि मंत्री ने दिए निर्देश
हेमंत सोरेन के कार्यकाल के दौरान भी कांगेस कोट से कृषि मंत्री बादल पत्रलेख बने थे, अब चंपाई सोरेन सरकार में बादल के जिम्मे ही यह विभाग है. लेकिन, अगर अभी तक की स्थिति को देखे तो उतना बेहतर नहीं कर पाए, जितनी उम्मीदें उनसे की गई थी. हालांकि , कृषि मंत्री बनने के बाद बादल ने खर्च बढ़ाने का निर्देश सभी अफसरों को दिया है. सख्त लहजे में उन्होंने साफ कहा है कि खर्च नहीं करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जायेगी. उन्होंने ये भी कहा कि काम हो गये हैं, उसका जल्द भुगतान किया जाये. जो काम पाइप लाइन में हैं, उसको जल्द पूरा करें. मंत्री ने अधिकारियों को जल्द खर्च की समीक्षा करने का भी निर्देश दिया है. कहा है कि खर्च के साथ-साथ काम का भौतिक सत्यापन और काम की गुणवत्ता का भी पूरा ख्याल रखें.
राज्य सरकार से किसानों को मदद की दरकार है और बजट सेशन भी आने वाला है. अब देखना है कि किसानों के लिए क्या-क्या घोषणाए, रियायत और योजनाएं लायी जाएगी. पिछले चार साल से सूबे में महागठबंधन की सरकार है, बादल पत्रलेख ही लगातार मंत्री रहे हैं . लेकिन, उनका विभाग इस क्षेत्र में उतना परफॉर्म नहीं कर सका और न ही मिली हुई राशि खर्च कर सका . चंपई सोरेन सरकार में भी कांग्रेस में मची किचकिच के बावजूद एकाबर फिर बादल पत्रलेख ही मंत्री बनाए गये. अब देखना ये है कि वो कितना काम कर पाते हैं . क्योंकि इस साल के अंत में चुनाव भी विधानसभा के होंगे . इसे देखते हए समय भी कम है और उम्मीदें राज्य की किसानों को उनसे ज्यादा है. .
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