पटना(PATNA)जातीय जनगणना के सवाल पर केन्द्र सरकार के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अलग अलग हलफनामा पेश करना भाजपा के लिए नई मुसीबत बनता नजर आने लगा है. जदयू-राजद सहित दूसरे दलों से यह सवाल पूछा जाने लगा है कि एक हलफनामा में भाजपा जातीय जनगणना से इंकार करती है, साथ ही इस बात का दावा भी करती है कि राज्यों को जातीय सर्वेक्षण करवाने का अधिकार नहीं है, लेकिन अगले ही दिन एक नया हलफनामा पेश कर यह सफाई देती है कि राज्य चाहे तो जाति आधारित सर्वेक्षण करवा सकते हैं, और इसके साथ ही यह सफाई भी दे जाती है कि पहला हलफनामा भूलवश दिया गया था.
यह भूल का नहीं नीयत का मामला
कुल विवाद यहीं से शुरु होता है, जदयू यह सवाल उठा रही है कि यह भूल का मामला का है या नीयत का. मंत्री विजय चौधरी दावा करते हैं कि इस हलफनामे के बाद भाजपा से पूछने के लिए कुछ भी नहीं बचता है, सब कुछ एक्सपोज हो गया है. आखिर केन्द्र सरकार के समक्ष ऐसी क्या मजबूरी है कि वह जनगणना से पीछे भाग रही है, जबकि इसे वर्ष 2021 में ही पूरा किया जाना था. इसकी वजह कुछ और नहीं बल्कि वह जातीय जनगणना से बचना चाह रही है, और जातीय जनगणना नहीं करवाने पड़े इसलिए जनगणना से पिंड छुड़ाना चाहती है.
विजय चौधरी आगे कहते है कि बिहार सरकार के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने वाला और कोई नहीं बल्कि भाजपा ही है, यह भाजपा ही है जो अपने लोगों को कोर्ट भेजकर इसकी राह में अड़ंगा डालना चाह रही है. लेकिन बिहार सरकार ने तय कर लिया है तो जातिगत सर्वेक्षण होकर रहेगा और दुनिया की कोई ताकत इसे रोक नहीं सकती.
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