टीएनपी डेस्क (TNP DESK)- विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के बीस सांसदों क टीम आज हिंसा पीड़ित मणिपुर के दौरे पर निकली है. उनकी कोशिश पिछले तीन महीनों से नस्लीय हिंसा की आग में जलते मणिपुर के सभी सामाजिक समूहों के मुलाकात कर उनका दुख दर्द को समझने और उन्हे इस बात का भरोसा दिलाने की है, कि इस आपदा और अमानवीय त्रासदी के दौर में भारत का आम अवाम उनके साथ खड़ा है, उनके दुख दर्द और सामाजिक आर्थिक विलगाव को लेकर भारत का हर नागरिक चिंतित है, संकट की इस बेला में पूरा राष्ट्र आपके साथ खड़ा है. इस टीम में अधीर रंजन चौधरी- कांग्रेस, गौरव गोगोई- कांग्रेस,सुष्मिता देव- टीएमसी, महुआ माझी- जेएमएम, कनिमोझी- डीएमके, मोहम्मद फैजल- एनसीपी, जयंत चौधरी- आरएलडी, मनोज कुमार झा- आरजेडी, एनके प्रेमचंद्रन- आरएसपी, टी थिरुमावलन- वीसीके, राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह- जेडीयू, अनील प्रसाद हेगड़े- जेडीयू, एए रहीम- सीपीआई-एम, संतोष कुमार- सीपीआई, जावेद अली खान- सपा, ईटी मोहम्मद बशीर- आईएमएल, सुशील गुप्ता- आप, अरविंद सावंत- शिवसेना (उद्धव गुट), डी रविकुमार- डीएमके और फूलो देवी नेताम- कांग्रेस की ओर से शामिल है,
राहत कैंपों का भी दौरा करेगी यह टीम
यहां बता दें कि इसके पहले विपक्षी दलों की ओर से शासित 10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को जाने की खबर थी, लेकिन इन सभी मुख्यमंत्रियों का एक साथ समय निकालना मुश्किल हो रहा था, जिसके बाद सासंदों और प्रतिनिधियों को भेजे जाने का निर्णय लिया गया. यह प्रतिनिधिमंडल पहाड़ी क्षेत्रों के साथ ही घाटी का भी दौरा करेगी.
मणिपुर हिंसा पर लोकसभा में हमलावर है विपक्ष
यहां ध्यान रहे कि इंडिया की ओर से मानसून सत्र में मणिपुर को लेकर बवाल काटा जा रहा है, विपक्ष सीधे प्रधानमंत्री मोदी से मणिपुर के हालात पर बयान देने की मांग पर अड़ा है, जबकि सत्ता पक्ष की ओर से अमित शाह ने मोर्चा संभाल रखा है, इसको लेकर लोकसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष में तकरार की स्थिति बनी हुई है. दावा किया जाता है कि इसी रणनीति के तहत विपक्ष की ओर से मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को रखा गया है, ताकि इस बार प्रधानमंत्री मोदी को खुद ही सामने आकर मणिपुर के हालत पर अपनी बात को रखने के लिए मजबूर होना पड़े. खबरों के अनुसार अब तक इस टीम को प्रशासन की ओर यात्रा की अनुमति प्रदान नहीं की गयी है, इस हालत में इन सांसदों को एयरपोर्ट पर ही रोका जा सकता है.
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