टीएनपी डेस्क (TNP DESK): “मकर संक्रांति” जब सूर्य देव बदलते हैं अपना घर और हो जाते है दक्षिणायन से उत्तरायण ये ऋतु परिवर्तन की बेला होती है, जब शरद ऋतु से बसंत ऋतु या आगमन होता है. यूं तो मकर संक्रांति मौसम के परिवर्तन होने का समय होता है लेकिन धार्मिक रूप से इस दिन का अत्यधिक महत्व है. बहुत से कहानी किस्से और दंत कथाएं इससे जुड़े हुए हैं लेकिन सबका सार एक ही है कि हम प्रकृति के इस करवट का स्वागत करते हैं. साथ ही इसे अलग अलग जगहों पर अलग अलग नाम से जानते और सेलिब्रेट करते हैं. बता दें इस साल को गुजरने में अब बस कुछ ही दिन शेष रह गए हैं और आने वाले साल 2023 को लेकर सभी के मन में उत्साह है. ऐसे में साल का जो पहला हिन्दू त्योहार आता है वो है मकर संक्रांति आईए जानते हैं कब है मकर संक्रांति और क्या है शुभ मुहूर्त आज हम संक्रांति से जुड़े सभी पहलुओं की चर्चा करेंगे. नए साल का सबसे पहला पर्व मकर सक्रांति होता है. मकर संक्रांति हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, मकर संक्रांति का पर्व पौष महीने की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर मनाया जाता है. भारत के अलग-अलग राज्यों में मकर संक्रांति को विभिन्न नामों से जाना जाता है. मकर संक्रांति को गुजरात में उत्तरायण, पूर्वी उत्तर प्रदेश में खिचड़ी और दक्षिण भारत में इस दिन को पोंगल के रूप में मनाया जाता है. मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के राशि परिवर्तन के मौके पर मनाया जाता है. इस दिन सूर्यदेव धनु राशि से निकलकर मकर में प्रवेश कर जाते हैं. वैसे तो मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई था लेकिन पिछले कई सालों से सूर्य देव के गोचर कल में परिवर्तन के कारण इसे 15 जनवरी को मनाया जात है. ऐसे में साल 2023 में मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्तों के विषय में चर्चा करेंगे.
कब है मकर संक्रांति कैसे करें पूजा
हिंदू पंचांग के अनुसार, ग्रहों के राजा सूर्य 14 जनवरी 2023 की रात 8 बजकर 21 मिनट पर मकर राशि में गोचर करेंगे. उदया तिथि 15 जनवरी को प्राप्त हो रही है. ऐसे में मकर संक्रांति नए साल में 15 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी. मकर संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर यदि हो सके तो किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान करें. लेकिन अधिक आबादी नदी तट पर नही रहती ऐसे में घर पर ही स्नान करते समय पानी में गंगा जल मिल लें यदि वो भी ना हो सके हो अपने स्नान की पानी में दूब के पाँच घास तोड़ कर डाल दें और माँ गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती और नर्मदा नदी का आवाहन कर उस जल से स्नान करें. फिर इसके बाद साफ वस्त्र पहनकर सूर्यदेव की पूजा करें इसके लिए अपने पूजा स्थान पर आसान बिछाए और घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें सूर्यदेव को अर्ध्य देने के लिए तांबे के लोटे में पानी भर लें और उसमें काला तिल, गुड़ का छोटा सा टुकड़ा और गंगाजल डालें. फिर सूर्य की ओर मुख करके सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करते हुए अर्घ्य दें. इस दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देने के साथ ही शनिदेव को भी जल अर्पित करें. इसके बाद गरीबों को तिल और खिचड़ी का दान करें.
कुंडली में सूर्य और शनि की स्थिति को मजबूत करने के लिए करें ये उपाये
मकर संक्रांति के दिन पानी में काली तिल और गंगाजल मिला कर स्नान करें. इससे सूर्य की कृपा होती है और कुंडली के ग्रह दोष दूर होते हैं. ऐसा करने से सूर्य और शनि दोनों की कृपा मिलती है, क्योंकि इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनि के घर मकर में प्रवेश करते हैं. ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव को अर्घ्य देना बेहद शुभ होता है. इस दिन तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें काला तिल, गुड़, लाल चंदन, लाल पुष्प, अक्षत आदि डालें और फिर 'ॐ सूर्याय नम:' मंत्र का जाप करते हुए सूर्य को अर्घ्य दें.
जानिए क्यों खास है ये संक्रांति
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति पर्व 2023 इस बार खास होने वाला है. क्योंकि इस दौरान 30 साल बाद यह दोनों ही ग्रह मकर राशि में उपस्थित होंगे. ग्रहों के इस योग का असर हमारे जीवन पर पड़ने वाला है. दो विपरित ग्रहों का एक ही राशि में उपस्थित होना, सबसे बड़ी घटनाओं में से एक है. क्योंकि ये ग्रह एक साथ बहुत कम मिलते हैं, लेकिन जब वे ऐसा करते हैं, तो कुछ असामान्य घटनाओं की संभावना रहती है. बता दें मकर संक्रांति के त्योहार का गहरा महत्व सूर्य और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के प्रति समर्पण से जुड़ा है. लोग अपने सभी सफलता और समृद्धि की कामना भगवान सूर्य देव से करते हैं. इस प्रकार सूर्य की कृपा से आपके सामने आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं और आप अपने करियर में आगे बढ़ते हैं. वहीं इस बस शनि के साथ युति बनाने पर ये मकर संक्रांति बेहद खास है क्योंकि शनि देव नये के देवता है और सुरदेव करियर और समृद्धि के. साथ ही ये दोनों धार्मिक मन्यताओं के अनुसार पिता पुत्र है ऐसे में इनका एक साथ युति बना कर शनि की राशि मकर में गोचर करना दुनिया के लिए विशेष रहनेवाला साबित होगा.
जानिए मकर संक्रांति पर क्या ना करे
मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर हमें सूर्य पूजा और माघ नक्षत्र पूजा करनी चाहिए और साथ ही पवित्र मंत्रों का जाप करना चाहिए. संक्रांति के अवसर पर हमें विवाह, संभोग, शरीर पर तेल लगाना, हजामत बनाना/बाल काटना, और नए उद्यम शुरू करने जैसे कार्यों से बचना चाहिए. इस दिन शेल और सत्य का पालन कर पुण्य अर्जित करना चाहिए.
जानिए मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त
मकर संक्रान्ति- 15 जनवरी 2023, दिन – रविवार
मकर संक्रान्ति पुण्यकाल – 07:15 AM से 05:46 PM तक
अवधि –10 घण्टा 31 मिनट
मकर संक्रान्ति महापुण्य काल – 07:15 AM से 09:00 AM तक
अवधि – 01 घण्टा 45 मिनट
जानिए भारत के किन हिस्सों में कैसे मनाई जाती है मकर संक्रांति
भारत त्यौहारों का देश है. इस प्रकार, हर दूसरे त्योहार की तरह, मकर संक्रांति को बहुत सारी सजावट के साथ मनाया जाता है. लोग नए कपड़े पहनते हैं और घर के बने व्यंजनों का स्वाद लेते हैं जो आमतौर पर गुड़ और तिल से बने होते हैं. भारत के कुछ हिस्सों में खिचड़ी भी खाई जाती है. तमिलनाडु में, यह त्योहार पोंगल के रूप में मनाया जाता है, और लोग बड़े उत्साह के साथ ताजे दूध और गुड़ के साथ उबले हुए चावल खाते हैं.
झारखंड और बिहार में मकर संक्रांति
बिहार और झारखंड में, लोग नदियों और तालाबों में डुबकी लगाते हैं और अच्छी फसल के उत्सव के रूप में मौसमी व्यंजनों का आनंद लेते हैं. व्यंजनों में चूड़ा, तिल और गुड से बने लड्डू और मूंगफली की चक्की और गुड से बनी मिठाई आदि शामिल हैं. इस दिन झारखंड मे लोग तहरी बना कर खाते हैं. तहरी को बनाने मे नए चावल में सभी मौसमी सब्जियां और गर्म मसाले डाल कर खाया जाता है.
मध्यप्रदेश राजस्थान और गुजरात में इसे “उत्तरायण” के रूप में मानते हैं
गुजरात, मध्यप्रदेश और राजस्थान में, उत्तरायण या मकर संक्रांति एक भव्य त्योहार के रूप में मनाया जाता है. यहां पतंगबाजी या पतंग उत्सव इस दिन का प्रमुख आकर्षण होता है. इन राज्यों में मकर संक्रांति का त्योहार एक महीने पहले दिसंबर से ही शुरू हो जाता है और आसमान मकर संक्रांति के स्वागत में रंगीन पतंगों से भर जाता है. कई बार इसे पतंगोंत्सव के रूप मे भी जाना जाता है. इस पतंग उत्सव को देश विदेश से लोग देखने आते हैं.
तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में “पेड्डा पांडुगा”
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में, यह चार दिवसीय उत्सव है. मकर संक्रांति से एक दिन पहले भोगी के रूप में जाना जाता है, जिसमें लोग पुरानी चीजों से छुटकारा पाकर उन्हें अलाव में जला देते हैं. अगला दिन पेड्डा पांडुगा के रूप में जाना जाने वाला प्रमुख दिन होता है जब लोग नए और रंगीन कपड़े पहनते हैं और देवताओं के साथ-साथ अपने पूर्वजों को प्रार्थना और पारंपरिक भोजन देते हैं.
केरल में “मकरविलक्कू” का त्योहार
केरल में, त्योहार को मकरविलक्कू के नाम से जाना जाता है. इस दिन सबरीमाला की पहाड़ियों को रोशनी से सजाया जाता है. सबरीमाला की पहाड़ियों को साल में सिर्फ तीन ही बार सजाया जाता है और केरल में मकरविलक्कू के नाम से मनाया जाने वाले त्योहार मकर संक्रांति उन तीन दिनों में से एक है. इस दिन को केरल में खूब खुशी हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है. मकर संक्रांति के दिन सबरीमाला की पहाड़ियों पर होने वाले प्रकाश उत्सव को देखने के लिए हजारों लोग दूर दूर से आते हैं.
पंजाब में “लोहड़ी” के रूप मे मनाया जाता है
हरियाणा और पंजाब में यह पर्व 14 जनवरी से एक दिन पूर्व मनाते हैं. वहां इस पर्व को ‘ लोहिड़ी’ के रूप में सेलिब्रेट करते हैं. इस दिन अग्निदेव की पूजा करते हुए तिल, गुड़, चावल और भुने मक्के की उसमें आहुति दी जाती है. यह पर्व नई-नवेली दुल्हनों और नवजात बच्चे के लिए बेहद खास होता है. इस पर्व पर सभी एक-दूसरे को तिल की बनीं मिठाईयां खिलाते हैं और लोहिड़ी लोकगीत गाते हैं.
बंगाल में इसे “पर स्नान” के रूप मे मानते है
बंगाल में इस पर्व पर गंगासागर पर बहुत बड़े मेले का आयोजन होता है. यहां इस पर्व के दिन स्नान करने के बाद तिल दान करने की प्रथा है. कहा जाता है कि इसी दिन यशोदा जी ने श्रीकृष्ण की प्राप्ति के लिए व्रत रखा था. साथ ही इसी दिन मां गंगा भगीरथ के पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए गंगा सागर में जा मिली थीं. यही वजह है कि हर साल मकर संक्रांति के दिन गंगा सागर में भारी भीड़ होती है.
इसके अलावा असम में इसे ‘माघ- बिहू’ और ‘ भोगाली-बिहू’ के नाम से जानते हैं
माघ बीहू या भोगाली बीहू उदार प्रकृति और विपुलता का उत्सव है. यह असम के लोगों के लिए एक समुदाय के रूप में आनंद लेने (भोगा कोरा) और प्रकृति के उपहारों को साझा करने, और अपनी पहचान और अपनेपन की भावना को मजबूत बनाने का एक अवसर है. त्योहार के दौरान बनाए और परोसे जाने वाले अनगिनत व्यंजन, नमकीन और चटपटे पकवानों द्वारा भोग-विलासिता और एक दूसरे के साथ अपने सुख दुःख साझा करने की भावना अभिव्यक्त होती है.
तमिलनाडु मे इसे पोंगल के रूप में मानते हैं
वहीं तमिलनाडु में तो इस पर्व को चार दिनों तक मनाते हैं. यहां पहला दिन ‘ भोगी – पोंगल, दूसरा दिन सूर्य- पोंगल, तीसरा दिन ‘मट्टू- पोंगल’ और चौथा दिन ‘ कन्या- पोंगल’ के रूप में मनाते हैं. यहां दिनों के मुताबिक पूजा और अर्चना की जाती है. विशेष रूप से यह किसानी त्यौहार है. जिसे हर साल जनवरी माह के मध्य में मानते हैं. जैसा कि सभी जानते है कि इसे लोग अपनी अच्छी फसल होने पर बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ मनाते हैं. यह त्यौहार 4 दिनों तक मनाया जाता है, और हर दिन का अलग – अलग मह्त्व है. पोंगल दक्षिण भारत विशेष कर तमिलनाडु के लोगों का एक प्राचीन त्यौहार है. इस त्यौहार के इतिहास का अनुमान लगाया जाए तो यह संगम उम्र यानि लगभग 200 ईसा पूर्व से 300 ईस्वी के पहले का हो सकता है. हालाँकि पोंगल एक द्रविड फसल के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है, और इसका संस्कृत पुराणों में उल्लेख भी है. इतिहासकारों ने थाई संयुक्त राष्ट्र और थाई निरादल के साथ इस त्यौहार की पहचान की, जिन्होंने यह माना कि यह त्यौहार संगम उम्र के दौरान मनाया गया. कुछ पौराणिक कहानियाँ भी पोंगल त्यौहार के साथ जुड़ी हुई हैं. यहाँ पोंगल की दो ऐसी कथा के बारे में बताया जा रहा है जोकि भगवान शिव और भगवान इंद्रा एवं कृष्णा से जुड़ी है.
मकर संक्रांति और उसका ज्योतिषीय महत्व
मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व भी कहीं न कहीं इसके ज्योतिषीय महत्व के साथ ही जुड़ा है. मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति का त्योहार ऋषियों और योगियों के लिए उनकी आध्यात्मिक यात्रा में एक नई पहल के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है. सामान्य तौर पर, लोग मकर संक्रांति को नए समय की शुरूआत और अतीत की बुरी और भयानक यादों को पीछे छुड़ा देने का दिन भी मानते हैं. इस दिन का एक और पहलू यह है कि इस शुभ दिन पर सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते है. सूर्य की यह स्थिति अत्यंत शुभ होती है. धार्मिक दृष्टि से इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनि देव के साथ सभी मुद्दों को छोड़कर उनके घर उनसे मिलने आते हैं. इसलिए मकर संक्रांति का दिन सुख और समृद्धि से जुड़ा है. मकर संक्रांति 2023 अधिक विशेष और शक्तिशाली है क्योंकि इस मकर संक्रांति को अभूतपूर्व तरीके से एक या दो नहीं बल्कि तीन ग्रह (सूर्य, शनि और बुध) आगामी महीने में मकर राशि में एक साथ रहेंगे. ज्योतिष में इस घटना को स्टेलियम के रूप में जाना जाता है. इस साल की मकर संक्रांति विद्वान और शिक्षित लोगों के लिए काफी अच्छी रहने वाली है. व्यापारियों और कारोबारी लोगों को वस्तुओं की लागत कम होने से कुछ लाभ होने की संभावना है. हालांकि इस दौरान किसी तरह का भय और चिंता बनी रह सकती है. लोगों को स्वास्थ्य लाभ मिलेगा. अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में मधुरता आएगी. अनाज के भंडारण में वृद्धि होगी इस नव वर्ष पर और मकर संक्रांति के उज्ज्वल पर्व के दिन, आइए जीवन के उज्जवल पक्ष को नई आशाओं के साथ देखें और इस त्योहार को भक्ति, उत्साह और जोश के साथ मनाएं.
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