रांची(RANCHI): झारखंड का पारसनाथ इन दिनों सुर्खियों में है. जैन धर्मलंबियों का प्रदर्शन अभी रुका ही था कि विभिन्न आदिवासी संगठन अब सड़क पर उतर गए हैं. पारासनाथ पहाड़ को मारंगबुरु बता रहे हैं. मारंगबुरु को लेकर आज गिरिडीह में कई राज्यों के अलावा पडोसी देश नेपाल से भी लोग पहुंच रहे है. मिली जानकारी के अनुसार आम सभा के बाद आंदोलन को तेज करने की रणनीति है. पारासनाथ पर मांस प्रतिबंध करने के खिलाफ आदिवासी समाज के लोग है. आदिवासी नेताओं का साफ कहना है कि जितने में मंदिर है उतने में ही मांस का सेवन नहीं किया जाएगा. इसके अलावा बाकी पहाड़ पर मांस को नहीं रोक सकते हैं.
आदिवासी नेताओं का मानना है कि पारासनाथ पहाड़ हमारा मरांग बुरु
आदिवासी समाज में किसी भी पूजा पाठ में बलि की प्रथा है. सभी पूजा में जानवर की बलि दी जाती है. यही कारण है कि पारसनाथ पहाड़ पर मांस को प्रतिबंधित करने का विरोध हो रहा है. आदिवासी नेताओं का मानना है कि पारासनाथ पहाड़ हमारा मरांग बुरु है. मरांग बुरु की आदिवासी समाज में पूजा होती है. आदिवासी नेताओं का कहना है कि हमने पहले भी कई पहाड़ को खो दिया है, लेकिन इस पहाड़ को किसी कीमत में हाथ से नहीं जाने देंगे.
15 और 16 जनवरी को भी पारसनाथ में जुटान
गिरिडीह में पांच राज्यों के अलावा पड़ोसी राज्य नेपाल से भी आदिवासी समाज के लोग पहुंच रहे हैं. इसके अलावा 15 और 16 जनवरी को भी पारसनाथ में जुटान होना है. वहीं, 30 जनवरी को बिरसा मुंडा की जन्म स्थली उलिहातू में एकदिवसीय उपवास किया जाएगा.
रिपोर्ट : समीर हुसैन, रांची
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