दुमका(DUMKA): संथाल परगना प्रमंडल में दो ऐसे शिव मंदिर है जो विश्व प्रसिद्ध है. देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग शिव मंदिर हो या दुमका का बासुकीनाथ धाम शिव मंदिर. दोनों की महत्ता से सभी वाकिफ हैं. लेकिन आज हम ऐसे शिव लिंग की बात कर रहे है जिसका दर्शन वर्षों बाद होता है.
वर्षों बाद होता है बाबा का दर्शन
दुमका के बासुकीनाथ मंदिर से सटा है शिव गंगा. यहां आने वाले श्रद्धालु पहले शिव गंगा में आस्था की डुबकी लगाते है उसके बाद फौजदारी बाबा बासुकीनाथ पर जलार्पण करते हैं. बहुत कम लोगों को पता है कि शिव गंगा में भी एक शिवलिंग है जिसे पातालेश्वर नाथ महादेव कहा जाता है. लोग इसे पाताल शिव लिंग भी कहते हैं. शिव गंगा के मध्य सतह से लगभग 15 फ़ीट नीचे एक कुंड में स्थापित है पाताल बाबा शिव लिंग. इसका पूजन एवं दर्शन वर्षो बाद होता है.
प्रशासनिक स्तर से जब शिव गंगा की सफाई होती है तो पाताल बाबा का दर्शन होता है. जानकर बताते है कि यह अत्यंत प्राचीन है. बासुकीनाथ मंदिर का शिव लिंग हो या पाताल बाबा शिव लिंग, दोनों एक ही शीला का है. पाताल बाबा शिवलिंग के कुंड पर एक शिला लेख भी है.
क्या है पाताल बाबा की महिमा
पाताल बाबा की महिमा सोचने पर विवश कर देता है कि सचमुच कोई अदृश्य शक्ति है. हम ऐसा इसलिए कह रहे है क्योंकि जब शिव गंगा की सफाई होती है तो पहले पूरे पानी को मोटर लगाकर बाहर निकाला जाता है. उसके बाद शिव गंगा में जमे कीचड़ और गाद को निकाल जाता है. पाताल बाबा शिवलिंग शिव गंगा की सतह से लगभग 15 फ़ीट गहरे कुंड में है. कुंड में भी पानी, कीचड़ और गाद भरा रहता है. जब उसकी सफाई होती है तो बाबा की महिमा देख कर लोग दंग रह जाते हैं. दर असल शिव गंगा की सफाई करने के बाद उसमें पानी भरा जाता है. सफाई के क्रम में जब पाताल बाबा का दर्शन होता है तो दूर दराज से लोग यहां आते हैं और पाताल बाबा पर जलार्पण करते हैं. पूरे विधि विधान के साथ श्रृंगारी पूजा भी होता है. शिव गंगा में पानी भरने के पूर्व जो पूजा होती है उसमें बिल्वपत्र, पुष्प, अबीर गुलाल बाबा पर अर्पित किया जाता है. उसके बाद शिव गंगा को पानी से भर दिया जाता है. आश्चर्य की बात तो यह है कि जब बर्षों बाद शिव गंगा की सफाई होती है. पानी निकाल कर कीचड़ को जब हटाया जाता है तो वर्षो बाद भी पूजन सामग्री यथावत रहता है. ना तो वह सड़ता गलता है और ना ही नष्ट होता. एक नजर में ऐसा लगता है मानो आज ही बाबा का श्रृंगारी हुआ हो.
आश्चर्य यहीं समाप्त नहीं होता. शिवलिंग के पास बाबा का एक जोड़ी चरण पादुका अर्थात खडाँव रखा रहता है. चरण पादुका लकड़ी का बना होता है. विज्ञान की माने तो चरण पादुका लकड़ी का होने के कारण पानी के साथ उपला कर ऊपर आ जानी चाहिए, लेकिन ऐसा होता नहीं है. वह वर्षों तक अपने स्थान पर यथावत रहता है. उस पर काई भी नहीं जमता है. यह चमत्कार नहीं तो और क्या है?
पिछली बार 2016 में हुई थी सफाई
पिछली बार वर्ष 2016 में शिव गंगा की सफाई हुई थी. 7 वर्ष बाद 2023 में सफाई हो रही है. कुंड से कीचड़ हटाते ही पाताल बाबा के दर्शन हुए. सफाई के वक्त जब बाबा के दर्शन हुए इस समय की तस्वीर को आप देख सकते है. शिव लिंग के ऊपर बेल्बपत्र यथावत रखा हुआ है. शिवलिंग के चारों ओर अबीर गुलाल को भी आप तस्वीर में स्पष्ट रूप से देख सकते हैं. दर्शन के साथ ही पूजा अर्चना के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है. कुछ दिनों तक लोग पाताल बाबा का दर्शन और पूजन कर पाएंगे. पानी भरते ही पाताल बाबा अपने नाम के अनुरूप पाताल लोक में समा जाएंगे. आस पास के लोग बेसब्री से शिव गंगा की सफाई का इंतजार करते है ताकि पाताल बाबा के दर्शन हो सके।
चमत्कार को सभी नमस्कार करते हैं. पाताल बाबा की महिमा किसी चमत्कार से कम नहीं. आप भी घर बैठे The News Post के माध्यम से पाताल बाबा के दर्शन करें. बाबा सबों की मनोकामना पूर्ण करते है. शिव गंगा की अगली सफाई कब होगी ये तो बाबा ही जानें.
रिपोर्ट: पंचम झा
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