धनबाद(DHANBAD): हाथियों के झुंड ने टुंडी के ग्रामीण इलाकों का सुख चैन छीन लिया है. गांव के लोग रात भर सो नहीं रहे. घर और जायदाद की चिंता के बजाय अब उन्हें अपनी जान की अधिक चिंता हो गई है. वन विभाग भी लाचार और विवश दिख रहा है. मशालचीयो के भरोसे हाथियों को इधर से उधर भगाने के सिवा उसके पास कोई साधन नहीं है. और हाथी है कि डेरा जमा कर बैठे हुए हैं. ग्रामीणों की माने तो हाथियों का झुंड टुंडी के जंगल में डेरा डाले हुए हैं. यह इलाका बराकर नदी के समीप और जामताड़ा जिला के सीमा पर स्थित है. वन विभाग लगातार कोशिश कर रहा है लेकिन हाथियों का झुंड घूम फिर कर वहीं पहुंच जा रहा है.
पिछले एक सप्ताह से लगातार हो रही घटना
ग्रामीणों की माने तो हाथियों का झुंड गिरिडीह जिला के पीर टाड से पहुंचा है और पिछले एक सप्ताह से इसी इलाके में किसी न किसी घटना को अंजाम दे रहा है. एक व्यक्ति की जान भी झुंड ले चुका है. हाथियों का झुंड फसल खाने के लिए जंगल से और पहाड़ों से निकलकर खेतों में पहुंच रहा है लेकिन खेत खाली मिल रहे हैं, उसके बाद भोजन की तलाश में हाथियों का झुंड गांव में प्रवेश कर जा रहा है. 3 दिसंबर को एक व्यक्ति की जान लेने के बाद तो इलाके में हाथियों के नाम का दहशत हो गया है. वन विभाग भी इन हाथियों को नहीं भगा पा रहा है.
क्या कहते हैं जानकार
जानकार बताते हैं कि हाथियों का झुंड झारखंड के साहिबगंज से चलकर दुमका, जामताड़ा होते हुए धनबाद के टुंडी और पूर्वी टुंडी इलाके में पहुंचते हैं. यहां से कभी कभार वह गिरिडीह के पीर टांड़, पारसनाथ पहाड़ होते हुए हजारीबाग के जंगलों में चले जाते हैं, फिर इसी रूट से लौटते भी हैं. हाथियों का झुंड गिरिडीह के पीर टांड़ क्षेत्र से टुंडी में प्रवेश करते हैं और उसके बाद टुंडी और पूर्वी टुंडी के गांव में आतंक मचाने के बाद जामताड़ा के क्षेत्र में प्रवेश कर जाते हैं. कभी-कभी तो यहां डेरा जमा कर बैठ भी जाते हैं. हाथियों का झुंड पिछले 3 सालों में टुंडी के 4 लोगों की जान ले चुका है.
महुआ के सुगंध से हाथी घरों में प्रवेश करते हैं
हाथियों के लिए कॉरिडोर की योजना फाइलों में जंग खा रही है. हाथी गांव में प्रवेश नहीं करें, इसके लिए धनबाद ,टुंडी पहाड़ी के बीच हाथियों के लिए कॉरिडोर बनाने की योजना है, लेकिन यह योजना अभी फाइलों की शोभा बढ़ा रही है. अधिकारी कहते हैं कि प्रस्ताव भेजा गया है. लेकिन अभी अनुमति नहीं मिली है. इस बीच हाथियों का झुंड दहशत कायम किए हुए हैं. गांव में प्रवेश करने पर घरों को तोड़ देते हैं, घर में रखे महुआ पर ज्यादा चोट मारते हैं. आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में महुआ से शराब बनाने का प्रचलन कायम है. महुआ के सुगंध से हाथी घरों में प्रवेश करते हैं ,जब उन्हें जाने का रास्ता नहीं मिलता तो घरों को तोड़ भी देते हैं और झुंड के झुंड जब चलते हैं तो यह किसी की सुनते नहीं. मशालचीओ के भरोसे वन विभाग इन्हें भगाने की कोशिश करता है .गिरिडीह धनबाद के सांसद सहित टुंडी के विधायक के लिए भी यह एक बड़ी चुनौती है कि लोगों को कैसे हाथियों से छुटकारा दिलाएं. सरकार पर दबाव बनाने की जरूरत है ताकि कॉरिडोर का निर्माण हो सके और टुंडी और पूर्वी टुंडी के लोग निश्चिंत से जिंदगी जी सकें. अगर यह हाथियों का झुंड शहर में प्रवेश कर गया तो क्या होगा, यह सोचकर ही आंखों की नींद खत्म हो जाती है.
रिपोर्ट: सत्यभूषण सिंह, धनबाद
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