टीएनपी डेस्क(TNP DESK): पिछले कुछ वर्षो में पूरे देश भर में प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए आवेदन करने और पढ़ाई के लिए विदेश जाने वाले की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है. विदेशी शिक्षा के प्रति लोगों में ललक बढ़ी है. माना जाता है कि यह स्थिति इसलिए निर्मित हो रही है, क्योंकि देश में मांग के अनुरुप गुणवतापूर्ण शैक्षणिक संस्थानों का अभाव है.
देश में मात्र 30 फीसदी छात्र ही उच्च शिक्षा के लिए करवा पाते हैं अपना नामांकन
एक अनुमान के अनुसार उच्च शिक्षा में हमारा नामांकन अनुपात मात्र 30 फीसदी है. यानी देश में उच्च शिक्षा में इच्छुक छात्रों को नामाकंन नहीं मिल रहा है. क्योंकि सरकार चाह कर भी रातों रात उच्च शिक्षा में बड़ा बदलाव नहीं कर सकती, संसाधनों को खड़ा नहीं कर सकती.
यूजीसी ने तैयार किया है ड्राफ्ट
यही कारण है कि उच्च शिक्षा को बेहतर और गुणवता पूर्ण बनाने के लिए यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन (UGC) द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे हैं. इसी संदर्भ में 5 जनवरी 2023 को यूजीसी ने एक ड्राफ्ट तैयार किया है. यूजीसी की नयी नीति के तहत अब विदेश विश्वविद्यलाय भारत में अपना कैंपस खोल सकेंगें. यह नीति उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो बेहतर आय सृजन के लिए किसी बेहतर उच्च संस्थान में अपनी उच्च शिक्षा की पढ़ाई पूरी करने की तमन्ना रखते हैं.
विदेशी संस्थानों को रखना होगा गुणवता का ख्याल
लेकिन इसके साथ वैसे विदेशी संस्थान जो भारत में अपना कैम्पस खोलने की अनुमति की मांग करेंगे, उन्हे यह सुनिश्चित करना होगा कि भारतीय परिसरों में जो शिक्षा दी जा रही है वह उनके मूल संस्थान के समकक्ष हो, अर्थात सरकार किसी भी कीमत पर शिक्षा की गुणवता से समझौता नहीं करने वाली. बताया जाता है कि इस नीति के तहत जल्द ही
येल, स्टैनफोर्ड, हार्वर्ड, कैम्ब्रिज, ऑक्सफोर्ड किंग्स कॉलेज जैसे ब्रिटिश संस्थान भारत में कैंपस स्थापित कर सकते हैं. जिससे भारतीय छात्रों को विदेश गए बिना ही दुनिया के उच्च शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिल सकेगा.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार