दरभंगा(DARBHANGA): होली और जुम्मे की नमाज एक ही दिन पड़ रही है. वहीं, इसे लेकर बिहार में दरभंगा मेयर के बयान से सियासत गरमा गई है. जुम्मे की नमाज को लेकर दरभंगा की मेयर अंजुम आरा का बयान सामने आया है. जिसके बाद कई नेता उनके इस बयान पर पलटवार कर रहे हैं. एक तरफ मेयर का कहना है कि 12.30 बजे से 2 बजे तक होली को रोक दी जाए तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी नेताओं का कहना है कि होली को लेकर कोई ब्रेक नहीं लगेगा. इधर, बजट सत्र के दौरान विधानसभा में भी नेताओं के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है. बीजेपी के फायर ब्रांड नेता विधायक हरीभूषण ठाकुर बचौल ने कहा कि दरभंगा की मेयर आग लगाना चाहती है इसलिए वह इस तरह की मांग कर रही है. जबकि जिला प्रशासन ने उनकी मांग का खंडन भी किया है.
दरअसल, मंगलवार को दरभंगा में जिला प्रशासन की ओर से होली को देखते हुए शांति समिति की बैठक बुलाई गई थी. जिला प्रशासन द्वारा शांति समिति की बैठक के बाद दरभंगा मेयर अंजुम आरा ने कहा कि जुम्मा का टाइम आगे नहीं किया जा सकता है. वहीं, समाज में दो-चार ऐसे सामाजिक तत्व होते हैं, जो माहौल को खराब कर देते हैं. ऐसे में होली खेलने पर दो घंटे का ब्रेक लगा देना चाहिए. दो घंटे तक मस्जिद और नमाज पढ़ने की जगहों से होली खेलने वाले दूरी बना कर रखें. जिले में पहले भी शांतिपूर्वक एक ही दिन होली और रमजान हो चुका है. मेयर के इस बयान पर राजनीति शुरू हो गई है.
भाजपा विधायक हरीभूषण ठाकुर ने कहा कि होली को लेकर जब हमने बयान दिया था तो विपक्ष के नेता तरह-तरह के बयान दे रहे थे. आज वह कहां है. दरभंगा की मेयर की मांग पर वह चुप्पी क्यों साध रखे हैं. मेयर ने जो मांग की है उनकी मांगों को नहीं माना जाएगा. होली खूब धूमधाम से बनेगी. यहां तक की उन्होंने मेयर को आतंकवादी मानसिकता वाली महिला भी बता दिया. कहा की मेयर ‘गजवा ए हिन्द मानसिकता वाली हैं.’ भाजपा विधायक ने कहा हमने जो बयान दिया था वह संविधान के दायरे में ही रहकर बयान दिया था अब दरभंगा की मेयर ने जो मांग की है उसे पर विपक्ष के नेता जवाब दें.
वहीं, मेयर की इस बयान पर बीजेपी प्रवक्ता कुंतल कृष्णा ने भी पलटवार कर कहा कि साल में एक ही बार होली आती है. हमेशा से हिन्दू गंगा जमुनी तहजीब को निभाते आए हैं. इस बार इसे निभाने की जिम्मेदारी मुस्लिम समुदाय की है. यह केवल हमारी जिम्मेदारी नहीं है.
इधर, दरभंगा मेयर की इस मांग पर जदयू विधायक बिहार सरकार के मंत्री श्रवण कुमार संविधान की दलील देने में लगे हुए हैं. उनका कहना है कि सबके अलग-अलग अपने विचार हैं, जिन्होंने अपना विचार रखा है उनका वह विचार व्यक्तिगत हो सकता है. बिहार सरकार ने राज्य में कानून-व्यवस्था स्थापित की है. पर्व-त्यौहार को लेकर कानून अपना व्यवस्था करता है जो भी उचित फैसला होता है वही प्रशासन द्वारा लिया जाता है. वहीं, बीजेपी के नेता द्वारा दिए जा रहे बयान पर श्रवण कुमार ने कहा कि उन्हें इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए. क्योंकि, वह संवैधानिक पद पर बैठे हुए हैं. इस तरह के बयान से उन्हें बचाना चाहिए.
वहीं, राजद विधायक रणविजय साहू ने लोकतंत्र का हवाला देते हुए कहा कि इस लोकतंत्र में बोलने के लिए सब का अधिकार है. हमारे देश की जो संस्कृति है चाहे वह ईद मनाने का हो, रमजान हो, होली हो, दिवाली हो, छठ पूजा हो यह देश सभी धर्म के लोगों का है. आजादी की लड़ाई में सबका रक्त बहा है. अब सवाल इस बात का नहीं है कि कौन क्या बोलते हैं. सवाल है कि बिहार की तरक्की कैसे हो. बिहार के युवा कैसे आगे बढ़े. नेता इस तरह का बयान देखकर मूल्य मुद्दों को उलझाने की कोशिश मे लगे हुए हैं.