टीएनपी डेस्क(TNP DESK): यह एक महत्वपूर्ण मामला है जिस पर भारत सरकार ने साफ तौर पर सुप्रीम कोर्ट को बता दिया है कि इस्लाम और ईसाई धर्म अपने वाले को अनुसूचित जाति का दर्जा नहीं दिया जा सकता है. केंद्र सरकार ने साफ तौर पर कहा है कि जस्टिस रंगनाथ मिश्रा कमीशन ने बिना जमीनी सच्चाई को जाने इस प्रकार की सिफारिश कर दी थी कि जो व्यक्ति इस्लाम या ईसाई धर्म अपनाता है, उसे अनुसूचित जाति का दर्जा दिया जाना चाहिए.
केंद्र सरकार ने इसे बिल्कुल गलत माना है. भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को हलफनामा के माध्यम से बताया है कि इस्लाम और ईसाई धर्म विदेशी धर्म हैं. जिसमें दमनकारी या भेदभाव जैसी कोई प्रथा नहीं रही है. इसके अलावा कोई व्यक्ति अगर धर्म परिवर्तन करता है तो वह अपनी जाति से अलग हो जाता है यानी वह अपनी जाति खो देता है. राष्ट्रीय धार्मिक और भाषाओं अल्पसंख्यक आयोग ने भी इस तरह की सिफारिश पर सहमति जताई थी. भारत सरकार ने कोर्ट को बताया है कि भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश के जी बालकृष्ण की अध्यक्षता में तीन सदस्य आयोग का गठन किया गया है जो इस बात पर गौर करेगा कि जो व्यक्ति अनुसूचित जाति का है और वह दूसरा धर्म अपना लेता है तो फिर क्या उसका स्टेटस होना चाहिए.