टीएनपी डेस्क(TNP DESK): बिहार की नीतीश सरकार को बड़ा झटका लगा है. पटना हाईकोर्ट ने जातीय जनगणना पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दिया है. पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस वी चन्द्रन की बेंच ने ये फैसला सुनाया. इस मामले में अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी. बता दें कि अदालत ने जातीय जनगणना पर रोक लगाने के साथ ही अब तक जनगणना के दौरान एकत्रित डाटा को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है. बिहार सरकार द्वारा जातीय जनगणना मई महीने तक पूरा होने की बात कही गई थी. लेकिन कोर्ट के फैसले के बाद इस पर रोक लगा दी गई है.
दोनों पक्षों का तर्क
घ्यान रहे कि मामले की सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता पीके शाही ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा था कि मंडल कमीशन की अनुशंसा को कार्यान्वित करने और उसे उसके वास्तविक जरुरत मंदों तक पहुंचाने के लिए यह सर्वेक्षण बेहद जरुरी है, साथ ही इसका फैसला विधान सभा के अन्दर सर्वसम्मत राय से किया गया है. जबकि याचिकाकर्ता की ओर से इस पूरी प्रक्रिया को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गयी थी. याचिकाकर्ता का तर्क था कि इससे समाज में जातिवाद को बढ़ावा मिलेगा. सरकार के इस फैसले से किसको लाभ होगा, इसका सामाजिक परिणाम क्या होगा, क्या हम इस जातीय जनगणना के बाद जाति विहीन समाज की ओर बढ़ सकेंगे? जबकि हमारा संविधान जातिविहीन समाज बनाने का सपना देखता है. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच के द्वारा फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. आज दोनों ही पक्षों को इस मामले में कोर्ट के फैसले का इंतजार है.
नीतीश कुमार का बयान
आपको बता दें आज सीएम नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना पर बयान देते हुए कहा था कि सबकी सहमति पर बिहार में जातीय गणना हो रही है. जातीय गणना की बिहार की जनता द्वारा पहले से मांग की जा रही थी. सीएम नीतीश कुमार ने कहा था कि बिहार सरकार ने बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों से इसको पारित करके गणना करवाने का फैसला किया था. लेकिन अब इसका विरोध क्यों हो रहा है यह समझ से परे है. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर यह जनगणना हो जाती है तो इससे नुकसान किसको है. अगर जातीय जनगणना होती तो यह साफ हो जाता कि बिहार के लोगों की आर्थिक स्थिति क्या है और कैसी है.