रांची(RANCHI): साल 2023 अब कुछ घंटों का मेहमान है.लेकिन झारखंड पुलिस के लिए 2023 काफी कामयाबी का वर्ष है.साल 2023 में माओवादियों पर हद तक सुरक्षाबलों ने आक्रामक रणनीति के तहत कार्रवाई कर घुटनों पर ला दिया है.पुलिस ने दावा किया कि कई शीर्ष माओवादीओं को मार गिराया गया साथ ही 397 नक्सल कैडर को दबोचा गया है.अब माओवादी कोल्हान के सारंडा इलाके तक ही सीमित है. नए वर्ष में नई ऊर्जा के साथ और भी आक्रामक कार्रवाई दिख सकती है. बता दे कि कोल्हान में CRPF,झारखंड पुलिस और कोबरा करीब दो साल से अभियान में लगी है. आय दिन सारंडा के जंगलों में सुरक्षाबल के जवान और माओवादी आमने सामने हो जाते है,दोनों से मुठभेड़ होती रहती है.
ट्राई जंक्शन पर हुई कार्रवाई तो सारंडा भागे नक्सली
नक्सलियों का गढ़ माने जाने वाला ट्राई जंक्शन(सरायकेला, खूंटी व पश्चिमी सिंहभूम की सीमा) पर पुलिस ने पूरी तरह से कामयाबी हासिल की है. यहाँ दिन में भी लोग डर और दहशत में ज़िंदगी बिताते थे लेकिन अब वक्त बदल गया. जहां गोलियों की तड़तड़ाहट गूँजती थी अब उस जगह सुबह बच्चों के हस्ते खेलने की आवाज सुनाई देती है. बच्चें आपको स्कूल जाते हुए मिल जाएंगे.यह ऐसा इलाका था जहां खूंटी,सरायकेला और पश्चिमी सिंहभूम के सभी माओवादियों की बैठक होती थी. बैठक में चर्चा की जाती थी की किस तरह से किस इलाके में कौन सी वारदात को अंजाम देना है.
लाख कठिनाइयों के बाद नहीं रुकी कार्रवाई
ट्राई जंक्शन में कार्रवाई के बाद माओवादी कोल्हान को सेफ जॉन मान कर भाग खड़े हुए. कोल्हान के जंगलों में IED का जाल बिछा दिया,जिससे माओवादी खुद को सुरक्षित रख सके. जैसे ही कोई अभियान में जंगल में जाए तो वह IED की चपेट में आ जाये. लेकिन अब सुरक्षा बल के जवान माओवादियों के सफाये को लेकर कार्रवाई में लगे है. अभियान आईजी एवी होमकर ने बताया कि माओवादियों के द्वारा खुद को बचाने के ied लगाए है. जिसमें कई नुकसान उठाना पड़ा है. हमने कई जवानों को खोया है तो दर्जनों आम नागरिक भी इस बारूदी जाल में फस कर जान गवा चुके है. इन सब के बावजूद अभियान रुका नहीं बल्कि और तेजी के साथ लगातार जारी है.
माओवादी के खात्मे के करीब
कोल्हान में दशकों बाद सरजम बुरु क्षेत्र जिसे नक्सलियों का हेड क्वार्टर माना जाता है,इस इलाके से नक्सलियों को खदेड़ने में सुरक्षा बालों को बड़ी कामयाबी मिली है.कई बंकर इस इलाके में मौजूद थे जिसे अभियान के दौरान ध्वस्त कर दिया गया.इससे नक्सलियों को एक बड़ी चोट पहुंची है. अब सिर्फ सारंडा इलाके में ही माओवादी सक्रिय बचे है.माओवादियों को जो लोग सपोर्ट करते है उन्हे भी पहचान कर कार्रवाई की जा रही है. जिससे माओवादियों का जंगल के बाहर से पूरी तरह कनेक्शन टूट जाए.इससे साफ है कि माओवादियों के खात्मे के करीब पुलिस पहुंच चुकी है.
पुलिस ने दावा किया है कि माओवादियों को ग्रामीणों का भी कोई सहयोग नहीं मिल रहा है. पुलिस की ओर से विभिन्न माध्यमों से लोगों को जागरूक किया जा रहा है. माओवादियों के क्रूर चेहरे को जनता के बीच दिखाया जा रहा है. जिससे को लोग माओवादियों के प्रति अपनी सहाणभूति रखते है वह इसे देख कर उनके चेहरे को पहचान सके.अभियान आईजी ने दावा किया कि अब माओवादियों को कैडर नहीं मिल रहा है. अपनी अंतिम लड़ाई माओवाद लड़ रहा है.