टीएनपी डेस्क(Tnp desk):- हिन्दुस्तान में भद्रजनों के खेल क्रिकेट में दिवानगी सर चढ़कर बोलती है. देश के शहर-शहर और गांव-गांव में इसकी इतनी लोकप्रियता है कि मैच के दौरान तो सन्नाटा पसर जाता है.नजरे टी.वी औऱ मोबाइल पर जम जाती है. हाल ही में खत्म हुए क्रिकेट विश्व कप में भारत की शिकस्त पर तो मानों पूरा वतन मायूस हो गया था, चेहरे से मुस्कान गायब औऱ आंखों में आंसू देखने को मिले.
1983 में जब भारतीय क्रिकेट टीम वर्ल्ड कप कपिलदेव की अगुवाई में जीती थी, इसके बाद क्रिकेट का प्रचार-प्रसार और इसकी लोकप्रियता में जबरदस्त उछाल आया था. उस दरम्यान भी टीम में मुंबई औऱ दिल्ली के क्रिकेटर्स की तूती भारतीय टीम में बोलती थी. छोटे-छोटे राज्यों से तो बमुश्किल से ही क्रिकेटर आते थे. मुंबई के ही क्रिकेटरों के नाम गिने तो विजय मार्चेंट, बापू नाडकर्णी, अजीत वाडेकर, दिलीप वेंगसरकर, सुनील गावास्कर औऱ सचिन तेंदुलकर जैसे क्रिकेटर्स ने लंबे समय तक भारत के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट खेला. 90 के दशक तक तो मुंबई और महाराष्ट्र के क्रिकेटर्स का ही दबदबा था. मुंबई के बाद दिल्ली के क्रिकेटर्स ने भी अपनी पकड़ टीम इंडिया में बनाई. जिनमे विजय दहिया, विरेन्द्र सहवाग, गौतम गंभीर, आशीष नेहरा औऱ विराट कोहली जैसे नाम थे. दिल्ली के अलावा बैंगलुरु का भी धमक टीम में रही. गुडप्पा विश्वनाथ, अनील कुंबले, जवागल श्रीनाथ औऱ राहुल द्रविड़ सरीखे प्लेयर ने टीम में जगह बनाई.
इन महानगरों से तो क्रिकेटर निकले क्योंकि उन्हें इस तरह का साजगार माहौल, सुविधाएं औऱ इमादद मिलती थी. लेकिन, किसी ने ये नहीं सोचा था कि आदिवासी बहुल प्रदेश झारखंड से भी भद्रजनों के खेल में जोर-शोर से दस्तक प्लेयर्स देंगे. दरअसल, झारखंड क्रिकेट का भविष्य 2004 के बाद तेजी से बदला. जब विकेटकपीर बल्लेबाज महेन्द्र सिंह धोनी की टीम इंडिया में एंट्री हुई. इसके बाद तो जो हुआ वो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. माही के चमकने से रांची शहर औऱ झारखंड सुर्खियों में रहने लगा. अपनी अगुवाई और खेल की बदौलत धोनी ने भारतीय क्रिकेट को बुलंदियों पर पहुंचाया, इसके साथ ही झारखंड को भी क्रिकेटर्स की नर्सरी तब्दील कर दी. उनके लंबे समय से तक टीम में बनें रहने से झारखंड में युवाओं को क्रिकेट का जुनून जागा औऱ टीम इंडिया में जगह बनाने लिए मेहनत में जुट गये. जिसका नतीजा भी आगे देखने को मिला. माही की कामयाबी तो बेमिसाल रही. वे भारतीय टीम के अब तक के सबसे सफल कप्तानों में शुमार हुए. अपनी अगुवाई में 2011 वर्ल्ड कप जीता. साथ ही क्रिकेट की सभी बड़े टूर्नामेंट जीतकर अपनी काबियलत का लौहा मनवाया.
झारखंड के कई क्रिकटरों ने भारत के लिए खेला
सही वक्त पर धोनी ने इंटरनेशल क्रिकेट से रियाटर हो गये. उनके संन्यास लेने के बाद झारखंड में क्रिकेटर्स के लिए एक राह तो जरुर बना दी. एक समय था धोनी से पहले सबा करीम ने भारतीय टीम में विकेटकीपर बल्लेबाज के तौर पर टीम के लिए खेला करते थे. लेकिन, माही के संन्यास के बाद तो क्रिकेटर्स की फौज सी तैयार हो गई. अपने शानदार खेल के बूते इस प्रदेश के क्रिकेट भारतीय टीम का दरवाजा खटखटाने लगे. जमशेदपुर के बल्लेबाज सौरव तिवारी, तेज गेंदबाज वरुण एरोन औऱ धनबाद के फिरकी गेंदबाज शहबाज नदीम टीम में जगह बनाने की पुरजोर कोशिश की. हालांकि, प्रदर्शन औऱ तकदीर ने साथ नहीं दिया. लेकिन, अपनी कोशिशों से वहां तक पहुंचकर राज्य का नाम तो जरुर रोशन किया. मौजूदा वक्त में झारखंड के ही ईशान किशन टीम इंडिया की तरफ से खेल रहें हैं. ईशान में फैन्स धोनी का अक्स देख रहे हैं. उन्हें माही का विकल्प भी माना जा रहा है. इसके पीछे वजह विकेट के पीछे फुर्तीली विकिटकपिंग के साथ धुआंधार बैटिंग है. उनकी ताबतोड़ बल्लेबाजी का ही कमाल रहा है कि वन डे क्रिकेट में बांग्लादेश खिलाफ 210 रन की तूफानी पारी खेली. डबल सेंचुरी का कारनामा अपने करियर में धोनी भी नहीं कर सके हैं. ईशान को भारतीय क्रिकेट का भविष्य माना जा रहा है. इस सितारे के चमकने से लाजमी है कि झारखंड क्रिकेट की तस्वीर और तकदीर दोनों बदलेगी.
झारखंड से आईपीएल में तीन क्रिकेटर्स का चयन
क्रिकेट में दौलत की लीग यानि बेशुमार पैसो की बरसात आईपीएल में होती है. इस एक महीने के दौरान फटाफट क्रिकेट के दौरान क्रिकेट फैंस का रोमांच परवान पर होता है. लोगों को कम वक्त में भरपुर एटरटेनमेंट देखने को मिलता है. इस बार झारखंड के तीन युवा क्रिकेटर्स आईपीएल में अपना जलवा बिखेरते नजर आयेंगे. झारखंड के पहले आदिवासी क्रिकेटर रॉबिन मिंज, कुमार कुशाग्र औऱ सुशांत मिश्रा जो आईपीएल फ्रेंचाईजी टीम का हिस्सा बनें. रोबिन मिंज के चयन से तो हर जगह हलचल पैदा कर दी. उनके चयन से ही जल,जंगल औऱ जमीन के प्रदेश झारखंड में लोग झूमने लगे. गुजरात टाइटंस ने इस धुरंधर बल्लेबाज को 3 करोड़ 20 लाख में खरीदा. वही बोकारो जिले के कुमार कुशाग्र को दिल्ली कैपिटल्स ने 7.20 करोड़ और गेंदबाज सुशांत मिश्रा को 2.20 करोड़ में अपनी टीम में लिया.
इन खिलाड़ियों के चयन के बाद साफ है कि इंडियन प्रीमियर लीग देखने वालों की संख्या इस बार झारखंड में ज्यादा होगी. लेकिन, इससे भी बड़ी बात ये है कि राज्य में क्रिकेट खिलाड़ी बनने के लिए युवाओं की कतारें लगी हुई है. जो रोजाना क्रिकेट के मैदान में बैट-बॉल के साथ पसीना बहा रहे हैं. एक से एक होनहार क्रिकेटर भारतीय टीम में दस्तक देने के लिए बेकरार हैं. अगर देखा जाए तो झारखंड क्रिकेट को आगे बढ़ाने में रांची के राजकुमार माही का बड़ा योगदान है. क्योंकि, उनके नक्शे कदम पर ही युवा आगे अपना करियर क्रिकेट में देखते हैं.