टीएनपी डेस्क(TNP DESK): गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले, राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने राज्य में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code in the state) को लागू करने पर विचार करना शुरू कर दिया है. मिली जानकारी के अनुसार भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली सरकार राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू करने के मूल्यांकन के लिए एक समिति बनाने का प्रस्ताव पेश कर सकती है. बता दें कि अगर ऐसा होता है तो गुजरात समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन की घोषणा करने वाला हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बाद तीसरा राज्य बन जाएगा.
समिति की अध्यक्षता सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे
एएनआई की जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, यूसीसी के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए गठित की जाने वाली समिति की अध्यक्षता उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे. समान नागरिक संहिता भारत में नागरिकों के व्यक्तिगत कानूनों को बनाने और लागू करने का एक प्रस्ताव है जो सभी नागरिकों पर समान रूप से उनके धर्म, लिंग और यौन अभिविन्यास की परवाह किए बिना लागू होता है.
एआईएमपीएलबी ने बताया अल्पसंख्यक विरोधी
बता दें कि कई राजनीतिक नेताओं ने यूसीसी का समर्थन करते हुए कहा है कि इससे देश में समानता आएगी. हालांकि, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने इसे "एक असंवैधानिक और अल्पसंख्यक विरोधी कदम" करार दिया है और इसे महंगाई, अर्थव्यवस्था और बढ़ती बेरोजगारी से ध्यान हटाने का दांव बताया है.
भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में था यूसीसी
दरअसल, भारतीय जनता पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव घोषणा पत्र में सत्ता में आने पर यूसीसी को लागू करने का वादा किया था. केंद्र ने इस महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वह संसद को देश में समान नागरिक संहिता पर कोई कानून बनाने या उसे लागू करने का निर्देश नहीं दे सकता है. वहीं, कानून और न्याय मंत्रालय ने अपने हलफनामे में कहा है कि नीति का मामला जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों को तय करना है और इस संबंध में केंद्र द्वारा कोई निर्देश जारी नहीं किया जा सकता है.