रांची- नयी नियोजन नीति में 60:40 फार्मूले को लेकर भले ही छात्रों के बीच गुस्सा हो, जगह-जगह छात्रों का आन्दोलन चल रहा हो, सोशल मीडिया से लेकर विधान सभा के गेट तक छात्र अपना विरोध प्रर्दशन कर रहे हों, लेकिन इस सब से दूर हेमंत सरकार की कोशिश किसी भी कीमत पर नियुक्ति की प्रक्रिया को तेज करने की है.
सरकार के तीन वर्ष पूरे, लेकिन पूरा नहीं हुआ पांच लाख नौकरियों का वादा
याद रहे कि सरकार के तीन वर्ष पूरे हो चुके हैं, अगले दो वर्षो में उसे एक बार फिर से जनता की अदालत में जाना है, अपना रिपोर्ट कार्ड रखना है, जिन वादों, मुद्दों और नारों के सहारे पिछला चुनाव लड़ा गया था, उसमें से कितने वादे पूरे हुए, उसका लेखा जोखा पेश करना है.
नौकरियों का वादा पूरा करना चाहती है हेमंत सरकार
याद रहे कि हेमंत सरकार का सबसे बड़ा वादा पांच लाख सरकारी नौकरियां और संविदा पर कार्यरत कर्मियों को स्थायीकरण का था. यदि हम हेमंत सरकार के दूसरे वादों की चर्चा नहीं भी करें, तो नौकरियों के वादे पर यह सरकार अब तक कुछ खास नहीं कर पायी है, और उसका सबसे बड़ा कारण है नियुक्ति नियमावली का अभाव, नयी नियुक्ति नियमावली को झारखंड हाई कोर्ट के द्वारा रद्द किये जाने के बाद सरकार की कोशिश नियुक्ति की प्रक्रिया को तेज करने की है. हालांकि सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करते छात्रों की तरह ही सरकार भी नियोजन नीति का आधार 1932 का खतियान ही बनाना चाहती है.
नगर विकास विभाग में होने वाली है बहाली
इस बीच नगर विकास एवं आवास विभाग 1688 पदों पर नियुक्ति की तैयारी में है, कार्मिक विभाग की ओर से इसकी अधियाचना कर्मचारी चयन आयोग को भेज दी गयी है, माना जाता है कि इसी माह में इसकी विज्ञप्ति जारी कर दी जायेगी.