टीएनपी डेस्क(Tnp desk):-चुनाव से पहले तमाम तरह के वादे, दांवे और बातें सियासी पार्टियां करती है. मतगणना से पहले तक यही माहौल और बयार बहते रहती हैं. कुछ पता नहीं चलता कि किस तरफ जीत का ऊंट करवट लेगा. एग्जिट पोल बहुत हद तक कुछ वक्त लिए माहौल ठंडा कर देते है. हालांकि, चर्चा के बाजार में तो कोई भी किसी के जीत के दावें कर देता है. जानकर अपने तर्क से भविष्यवाणियां भी कर देते हैं . लेकिन, असली तूफान तो शांत मतगणना के दिन ही होता है. आखिर जनता ने किसे अपना फैसला दिया है.
हिन्दी पट्टी में भाजपा का लहराया भगवा
जिस तरह सियासी पटकथाएं गुपचुप लिखी जाती है. उसी तरह लोकतंत्र की मालिक जनता जनार्दन भी अपना काम खामोशी से कर देती है. राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दौरान तो किसी और पार्टी का दांव मजबूत नहीं माना जा रहा था. कांग्रेस-बीजेपी के बीच जोरदार घमासन की बात मानी जा रही थी. राजस्थान में गहलोत सरकार की सत्ता बरकरार रहने की बाते तक बोली जा रही थी. मध्यप्रदेश में शिवराज के दिन लद गये और एंटी इंकनबेंशी फेक्टर के चलते बीजेपी की सरकार की विदाई माना जा रहा था. छत्तीसगढ़ में तो एग्जिट पोल से लेकर तमाम पक्ष बीजेपी की हार की तकरीरे पेश कर रहे थे. आखिरकार हुआ वही, जो जनता चाहती थी. भाजपा को जनता ने चुना और लोकसभा चुनाव से पहले सत्ता के सेमीफाइनल माने जा रहे हिन्दी पट्टी के तीन राज्यों के चुनाव को जीतकर बहुत हद तक मोदी लहर कायम रहने के सबूत दे डाले .
2018 में कांग्रेस ने दर्ज की थी जीत
अगर बात इन्हीं राज्यों में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव की करें तो. पांच राज्यों (मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, और मिजोरम) में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी बढ़िया रहा था. कांग्रेस ने छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में बहुमत से सरकार बनाई थी. तेलंगाना में बीआरएस तो मिजोरम में मिजोरम नेशनल फ्रंट ने सरकार बनी थी. इस बार तो तेलंगाना में कांग्रेस का परचम लहराया है.
बगैर सीएम चेहरे के जीता चुनाव
इस विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर चुनाव लड़ा . राजस्थान,मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में तो बगैर मुख्यमंत्री चेहरे का भाजपा को जीत मिलना, इस बात की तरफ इशारा कर रहा है कि लोग सत्ता में बीजेपी को ही देखना चाहते हैं. दूसरी बात सामने ये भी आती है कि पीएम मोदी का जलवा अभी भी कायम हैं . लोकसभा चुनाव में भाजपा को मालूम पड़ गया है कि राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में उनका वोट बैंक मजबूत हैं और उनका जनाधार खिसका नहीं है, बल्कि और मजबूत हुआ हैं. सत्ता के इस सेमीफाइनल में भाजपा जीत गई है, इसे तो कहा ही जा सकता है.