पलामू(PALAMU): कांग्रेस के कद्दावर नेता और मजदूर संगठन इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे चन्द्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे के खिलाफ एनएचआई के अधिकारी के खिलाफ मारपीट और गाली गलौज करने का मामला दर्ज करवाया गया है. विश्रामपुर एसडीपीओ सुरजीत कुमार ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया है कि एनएचआई के प्रोजेक्ट प्रभारी और अभियंता पार्थ घोष की लिखित शिकायत के बाद आईपीसी की धारा 147, 149, 341, 342, 353, 323, 447, 504 सहित विभिन्न धाराओं के तहत नावा बाजार थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी है. उन पर अपने लोगों के साथ कंपनी कार्यालय में घुस कर अभियंता दीपांजन दत्ता और एक रिटार्यड पुलिस कर्मी के साथ मारपीट करने और दूसरे कर्मियों के साथ गाली गलौज का आरोप है, इसके साथ ही मारपीट की शिकायत मिलने के बाद मामले की प्रारम्भिक जांच करने वाले दरोगा को भी धमकी देने का आरोप है.
कैसा रहा अब तक का राजनीतिक जीवन
ध्यान रहे कि ददई दुबे को झारखंड कांग्रेस का कद्दावर नेता माना जाता है, बलियारी पंचायत के मुखिया के रुप में अपने राजनीति जीवन की शुरुआत करने वाले ददई दुबे 1985 में पहली बार काग्रेंस की टिकट पर विश्रामपुर से विधायक चुने गये. 1990 में फिर यहां से उन्हे जीत मिली, लेकिन 1995 में आरजेडी के रामचन्द्र चन्द्रवंशी से हार का सामना करना पड़ा. लेकिन वर्ष 2000 आते आते ददई दुबे ने एक बार फिर से बाजी पलट दी. हालांकि वर्ष 2005 में रामचन्द्र चन्द्रवंशी ने इस हार का बदला ले लिया. इसके बाद वर्ष 2009 एक बार दोनों की भिंड़त हुई और ददई दुबे ने एक बार फिर से अपना जलबा कायम कर दिया. वर्ष 2014 में ददई दुबे ने अपने बेटे अजय दुबे को आजमाने का फैसला कर लिया, लेकिन जनता को यह पसंद नहीं आया, और अजय दुबे तीसरे नम्बर पर खिसक गयें. इस प्रकार ददई दुबे चार चार बार विश्रामपुर विधान से विधायक बने. हालांकि हर बार उनके सामने पूर्व स्वास्थ्य मंत्री रामचन्द्र चन्द्रवंशी ही रहें. और रामचन्द्र चन्द्रवंशी ने बड़ी ही शानदार तरीके से ददई दुबे को चुनौती पेश किया. लेकिन इतना सच है कि विश्रामपुर विधान की राजनीति इन्ही दोनों के इर्द गिर्द घूमती है. इसके साथ ही ददई दुबे हेमंत सोरेन की सरकार में ग्रामीण विकास मंत्रालय का कार्यभार भी संभाल चुके हैं.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार