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Big News: झारखंड में शिक्षकों की भारी कमी पर हाई कोर्ट सख्त, सरकार को सख्त आदेश 

Big News: झारखंड में शिक्षकों की भारी कमी पर हाई कोर्ट सख्त, सरकार को सख्त आदेश 

टीएनपी डेस्क: झारखंड में शिक्षा व्यवस्था की बदहाल स्थिति पर झारखंड हाई कोर्ट ने एक बार फिर सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. 16 अप्रैल 2025 को एक अहम सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने झारखंड सरकार को प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में 26,000 अतिरिक्त शिक्षकों की नियुक्ति में तेजी लाने का सख्त निर्देश दिया. स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव उमाशंकर सिंह स्वयं अदालत में उपस्थित थे.

यह मामला पिछले साल दायर एक रिट याचिका से जुड़ा है, जिसमें राज्य में शिक्षकों की भारी कमी को लेकर चिंता जताई गई थी. याचिका में कहा गया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार हर स्कूल में कम से कम दो शिक्षक और हर 30 छात्रों पर एक शिक्षक अनिवार्य है. लेकिन झारखंड में 8,000 से भी ज्यादा स्कूल ऐसे हैं जहाँ केवल एक ही शिक्षक है. कई अन्य स्कूलों में भी हालात बहुत खराब हैं.

8 अप्रैल को सरकार ने कोर्ट को बताया था कि नियुक्तियाँ जल्द ही “निष्पक्ष, पारदर्शी और समयबद्ध” तरीके से की जाएँगी और इसके लिए सभी परीक्षाएँ आयोजित की जा चुकी हैं. लेकिन 11 अप्रैल को झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) द्वारा दाखिल हलफनामे से पता चला कि कुरमाली, हो और पंचपरगनिया जैसी भाषाओं के लिए अभी परीक्षाएँ बाकी हैं और पूरी प्रक्रिया जनवरी 2026 तक चलेगी. इस पर मुख्य न्यायाधीश एम.एस. रामचंद्र राव ने कड़ी आपत्ति जताते हुए देरी को “बेतुका” करार दिया. उन्होंने शिक्षा विभाग को “धीमी गति से काम करने वाला” बताया और बार-बार पूछा कि “राज्य के बच्चों का क्या होगा?” उन्होंने कहा, “ये आपके राज्य के बच्चे हैं, उन्हें किस तरह की शिक्षा मिल रही है?” कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया कि नियुक्तियों की प्रक्रिया दो से तीन महीने के भीतर पूरी की जाए ताकि आगामी शैक्षणिक सत्र में बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके.

इस पर याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता पीयूषिता मेहा टुडू ने कहा, “यह एक सकारात्मक कदम है, लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि 26,000 शिक्षकों की नियुक्ति भी पर्याप्त नहीं है. जब तक हर स्कूल में नियमानुसार शिक्षक नहीं होंगे, तब तक शिक्षा का अधिकार अधूरा रहेगा.”

झारखंड में शिक्षा व्यवस्था को लेकर यह मामला राज्य की गंभीर हालत को उजागर करता है. जहाँ एक ओर सरकार बार-बार वादे करती है, वहीं दूसरी ओर ज़मीनी स्तर पर बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है.अब देखना यह है कि कोर्ट के आदेश के बाद सरकार कितना तेज़ी से कार्रवाई करती है. अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होनी है, और तब तक सभी की निगाहें सरकार की कार्यप्रणाली पर टिकी रहेंगी. क्या झारखंड के बच्चों को वह शिक्षा मिल पाएगी जिसके वे हकदार हैं? यह आने वाला वक्त बताएगा.

Published at:16 Apr 2025 01:30 PM (IST)
Tags:jharkhand news Ranchi news hemant soren jharkhand high court High Court strict on acute shortage of teachers in Jharkhandjharkhandझारखंड में शिक्षक नियुक्ति झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार को लगायी फटकार झारखंड में शिक्षा व्यवस्था की बदहाल स्थिति उच्च प्राथमिक स्कूलों में 26000 अतिरिक्त शिक्षकों की नियुक्तिTeacher crisis Right to education
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