टीएनपी डेस्क (TNP DESK): बांग्लादेश की अदालत ने इस्कॉन (अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ) पर प्रतिबंध लगाने की याचिका को खारिज कर दिया है. गुरुवार को सुनवाई के दौरान अंतरिम सरकार ने कोर्ट को बताया कि इस्कॉन से जुड़ी गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए गए हैं. सरकार ने यह भी कहा कि यह मामला उनकी प्राथमिकताओं में शामिल है.
सरकार ने जानकारी दी कि इस्कॉन से संबंधित घटनाओं पर अब तक तीन मामले दर्ज किए जा चुके हैं, और 33 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. देश में शांति व्यवस्था बनाए रखने और किसी भी प्रकार की अस्थिरता को रोकने के लिए सेना को तैनात किया गया है. यह निर्णय बांग्लादेश के सामाजिक और धार्मिक संतुलन को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, जिसमें सरकार ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है.
बुधवार को हाईकोर्ट में याचिका किया गया था दायर
बता दें कि बुधवार को एक वकील ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी. वकील ने कोर्ट में यह भी उल्लेख किया कि मंगलवार की हिंसा में पब्लिक प्रॉसीक्यूटर सैफुल इस्लाम की मृत्यु हो गई थी और चिन्मय कृष्ण दास के समर्थकों की सुरक्षाबलों के साथ झड़प हुई थी.
याचिका में इस्कॉन के खिलाफ हिंसा और हंगामे से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट्स भी प्रस्तुत की गई थी, जिसमें चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद उत्पन्न हुई स्थिति का विवरण है. हाईकोर्ट में जस्टिस फराह महबूब की बेंच के सामने यह याचिका दायर की गई, जिसमें इस्कॉन पर बैन लगाने की अपील की गई है. अदालत ने इस मामले में सरकार के कदमों की जानकारी मांगी है और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से गुरुवार तक यह बताने को कहा कि उसने इस मुद्दे पर क्या कदम उठाए हैं. इसके अलावा, अदालत ने इस्कॉन के संबंध में जानकारी देने के लिए अटॉर्नी जनरल को समन भी किया है और उनसे पूछा कि बांग्लादेश में इस्कॉन की स्थापना किस प्रकार हुई. बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्जमां ने अदालत में सरकार का पक्ष रखते हुए कहा, "जैसे आम लोग दुखी हैं, वैसे ही मेरा दिल भी रो रहा है."
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ी तकरार
बांग्लादेश में इस्कॉन के प्रमुख धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की गिरफ्तारी को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय और बांग्लादेश सरकार के बीच तकरार बढ़ गई है. बांग्लादेश सरकार ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को लेकर कुछ लोग तथ्यों को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं. बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि ऐसी टिप्पणियां दोनों देशों के बीच दोस्ती और आपसी समझ के विपरीत हैं. बांग्लादेश सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी न्यायपालिका पूरी तरह से स्वतंत्र है और सरकार इस प्रक्रिया में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करती.
इसके साथ ही बांग्लादेश ने एक और बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि वह अपने देश में सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है. बांग्लादेश सरकार ने चटगांव में वकील सैफुल इस्लाम अलिफ की हत्या पर भी चिंता जताई और कहा कि प्रशासन ने सुरक्षा कड़ी कर दी है. ताकि धार्मिक सहिष्णुता कायम रखी जा सके.
भारत ने चिन्मया कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर जताई है चिंता
भारत ने चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए एक बयान जारी किया था. भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देशद्रोह के मामलों में उन धार्मिक नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है जो शांतिपूर्वक तरीके से अपनी मांगें उठा रहे हैं. मंत्रालय ने यह भी कहा कि अपराधियों के खुलेआम घूमने के बावजूद धार्मिक नेताओं पर मुकदमे चलाए जा रहे हैं.
इस्कॉन ने भी की बांग्लादेश सरकार की आलोचना
इस्कॉन ने भी इस मामले में बांग्लादेश सरकार की आलोचना की है और उनसे एक ऐसा माहौल बनाने की अपील की है, जिसमें सभी धर्मों के लोग मिलजुल कर रहें. इस्कॉन ने बांग्लादेश सरकार से यह भी कहा कि उन्हें नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए कदम उठाने चाहिए. इस्कॉन का कहना है कि चिन्मय कृष्ण दास प्रभु हमेशा अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए आवाज उठाते रहे हैं.
इस्कॉन ने बांग्लादेश सरकार से चिन्मय दास प्रभु की रिहाई कि की मांग
बता दें कि इससे पहले इस्कॉन ने भारत सरकार से भी बांग्लादेश सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की थी. इस्कॉन ने भारत सरकार से अनुरोध किया था कि वे बांग्लादेश सरकार को यह समझाएं कि इस्कॉन का दुनिया के किसी भी हिस्से में आतंकवाद से कोई संबंध नहीं है. इस्कॉन ने बांग्लादेश सरकार से चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की तत्काल रिहाई की मांग की और कहा कि वे केवल एक शांतिपूर्ण भक्ति आंदोलन चला रहे हैं.
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में हुआ काफी हंगामा
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद, बांग्लादेश में काफी हंगामा हुआ. 26 नवंबर को बांग्लादेश के चटगांव में अदालत में पेशी के दौरान चिन्मय प्रभु के खिलाफ देशद्रोह के आरोप में मामला दर्ज किया गया था. उन्हें बांग्लादेश दंड संहिता की धारा 120(बी), 124(ए), 153(ए), 109 और 34 के तहत आरोपित किया गया. हालांकि, कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए उन्हें जेल भेज दिया. चटगांव कोर्ट के बाहर पुलिस ने चिन्मय प्रभु के समर्थकों पर आंसू गैस और लाठीचार्ज किया, और रबर बुलेट्स का भी इस्तेमाल किया. पुलिस ने विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा और उन्हें हटा दिया.
हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से किया गया था गिरफ्तार
चिन्मय कृष्ण दास को ढाका के हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था, जबकि वह चटगांव जा रहे थे. इस्कॉन के सदस्य जो मौके पर मौजूद थे, उनका कहना था कि पुलिस ने गिरफ्तारी वारंट नहीं दिखाया था और बस इतना कहा कि वे उनसे बात करना चाहते हैं. इसके बाद उन्हें माइक्रोबस में बैठाकर ले गई.
क्या है चिन्मया दास के गिरफ्तारी का कारण
उनके गिरफ्तारी का कारण 25 अक्टूबर को चटगांव के लालदीघी मैदान में आयोजित एक रैली से जुड़ा है. इस रैली में चिन्मय कृष्ण दास ने भी हिस्सा लिया था, जहां कुछ लोगों ने आजादी स्तंभ पर भगवा ध्वज फहराया था, जिस पर "आमी सनातनी" (मैं सनातनी हूं) लिखा था. रैली के बाद 31 अक्टूबर को बांग्लादेश के प्रमुख राजनीतिक दलों में से एक, BNP के नेता फिरोज खान ने चिन्मय कृष्ण दास और अन्य 19 लोगों के खिलाफ चटगांव में राजद्रोह का मामला दर्ज किया था. आरोप यह था कि उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया था.
6 अगस्त को इस्कॉन मंदिर पर हुआ था हमला
इससे पहले 6 अगस्त को बांग्लादेश के खुलना जिले में एक इस्कॉन मंदिर पर हमला हुआ था, जिसमें भगवान जगन्नाथ की मूर्तियों को जला दिया गया था. इस हमले के बाद चिन्मय कृष्ण दास ने चेतावनी दी थी कि चटगांव के तीन अन्य मंदिरों को भी खतरा हो सकता है और वहां की हिंदू समुदाय ने मंदिरों की सुरक्षा के लिए कदम उठाए थे. उन्होंने कहा था कि हिंसा से बचने के लिए हिंदू समुदाय त्रिपुरा और बंगाल के रास्ते भारत में शरण लेने पर मजबूर हो सकता है. चिन्मय कृष्ण दास हमेशा से ही बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के मुद्दे को उठाते रहे हैं. बांग्लादेश में इस्कॉन के 77 से ज्यादा मंदिर हैं और अनुमानित रूप से 50,000 से ज्यादा लोग इससे जुड़े हुए हैं.
चिन्मया दास की गिरफ्तारी ने बढ़ाया बांग्लादेश की धार्मिक और राजनीतिक तनाव
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी ने बांग्लादेश में धार्मिक और राजनीतिक तनाव को और बढ़ा दिया है. इस मामले में दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के बीच बयानबाजी जारी है और इस मुद्दे ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान आकर्षित किया है.